अवसरवादिता
अखबार मालिक और संपादक गिरते-गिरते इतना गिरा कि टोल बचाने के लिए बना गया मीडिया प्रभारी
अपनी सोच/अज्ञानता और अंधे लालच के चलते पत्रकारिता में अपना वजूद खो चुके संपादक और पत्रकार समाज में सम्मान की तलाश कर रहे हैं। बेचारे अपनी गिरती हुई स्थिति को सुधारने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। वैसे भी बहुत से संपादकों को तो संपादक पद की गरिमा के साथ साथ सही और गलत का भी पता ही नही है। जिसके चलते वे कुछ भी कर बैठते हैं। वैसे तो नोएडा में पत्रकारिता से जुड़े लोग के अजीबोगरीब कारनामें देखने को मिलते ही रहते हैं।
लेकिन अब एक नया मामला सामने आया है। जिसमें एक संपादक केवल हाईवे पर लगने वाले टोल को बचाने के लिए न केवल एक किसान संगठन से जुड़ा। बल्कि किसान संगठन का राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी भी बन गया है।
दरअसल नोएडा के पत्रकार लम्बे समय से हाईवे पर लगने वाले टोल को लेकर बहुत परेशान हैं। जिससे निजात पाने के लिए बहुत से पत्रकारों ने विभिन्न पत्रकार संगठनों की सदस्यता ग्रहण की। लेकिन पत्रकारों को इन पत्रकार संगठनों से कोई लाभ नही हुआ। इस लिए अब नोएडा के एक संपादक ने किसान संगठन का दामन थाम कर संपादक पद के गौरव और मर्यादा को ताक पर रखते हुए किसान संगठन का मीडिया प्रभारी बन गया।
इससे ज्यादा हद और क्या होगी? जब संपादक को हाईवे पर लगने वाले टोल फ्री के लालच ने किसान संगठन का मीडिया प्रभारी बनवा दिया हो।
पिछले कुछ समय से देखने में आया है कि पत्रकारों को छोटे-मोटे संगठनों द्वारा अपने प्रचार प्रसार के लिए मीडिया प्रभारी बनाए जाने का चलन हो गया है। वहीं पत्रकारिता में वजूद खो चुके पत्रकार और संपादक भी इस तरह के संगठनों के मीडिया प्रभारी बन कर फूले नही समा रहे हैं।