पत्रकारिता से धंधा नही

पत्रकारिता एक ऐसा मिशन जिसमें कदम कदम पर जान का खतरा

सरकारी मशीनरी सच्चाई बर्दाश्त नहीं करती

 

 

सुप्रीम न्यूज नेटवर्क

Aligarh उत्तर प्रदेश के अलिगढ़ के एक डेटक्टिव रिपोर्टर समाचार पत्र के संपादक जो करीब 20 वर्ष से अधिक प्रकाशन कर रहे है स्कूल भी चलाते थे ओर मानव अधिकार कार्यकर्ता भी हैँ को फ़साने की साजिश कैसे हुई जाकिर भारती तकरीबन 8 साल से कुछ ट्विटर पर भी प्रसारित कर रहें थे, खबरों की खुन्नस के चलते पुलिस ओर अपराधियों ने झूठा मामला दर्ज करा दिया तथा खबरों को कबर करने कि कोशिश कर रहे थे कुछ खबरों के सिलसिले के में पुलिस के संपर्क में अधिकारीयों से मिले.

एक साथी पत्रकार ने कहा कि हम भी साथ चलेंगे। मैं आमतौर पर अकेले ही आता जाता था लेकिन एक साथी उस पत्रकार को मैं साथ ले लिया.

उस समय मुझे भनक न लगी की वह कुछ भृष्ट पुलिस कर्मियों के करीब था.

 

जैसे ही आईपीएस चैंबर में घुसा साथी पत्रकार ने आगे सारी बाते सुनी  उस आईपीएस ने मुझे समझाया आप निडर पत्रकार लगते हो थोड़ा होशियारी से काम किया करो खैर, बाहर निकला तो मैने साथी पत्रकार से कहाँ आपने सुना हर पुलिस अधिकारी गलत नहीं होता इस देश में कर्त्तव्यनिष्ठ अधिकारी भी है और मैंने कहाँ ये सारी बाते किसी को नहीं बतानी हैँ. ओर निष्पक्ष, निडरता से काम करना है साथ गए पत्रकार बोला आप बड़े मेरे बड़े भाई की तरह हैं.

आप चिंता न करें पत्रकारिता धर्म बखूबी निभाउंगा शिकायत का मौका नहीं मिलेगा.

 

खैर यह बातचीत सुनकर यही खयाल आया। एक तरफ अलीगढ़ के मित्र है दूसरी तरफ एक स्थानीय पत्रकारिता का अनुभव लें रहे है। कई पत्रकारों ने दलाली की होगी तो साथी को लगा होगा यह भाषा इस्तेमाल मेरे लिए कर रहे हैं। ये पूर्व की सच्चाई है जो

एक वक्त था जब कोइ प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस वाला गलत बोल जाता था तो पहले ऐसी जुर्रत किसी की नहीं हो सकती थी। अगर कोई अधिकारी ऐसे बोल भी जाता तो आंदोलन शुरू हो जाता।

हम भ्रष्ट पुलिस वालो की शिकायत के सिलसिले में अधिकारीयों से मिल शिकायत कर रहे थे हमें किया मालूम था पुलिस ओर आपराधिक तत्वों की चापलूसी कर जाएगा.

तथाकथित पत्रकार ने लालच में जलन हसद में अपनी पुत्री को साझे में लेकर पैसे हड़ने की नियत से झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया ओर गरीब बच्चों का भी स्कूल बंद करा दिया.

पुलिस अधिकारीयों को ईमेल, पत्राचार किया लेकिन कोइ ईमानदार, निडर पत्रकार ओर उसके परिजनों को राहत नहीं मिली  नॉएडा के कुछ पत्रकारों ने साथ दिया मेरे परिवार का ख्याल रखा में आदरणीय श्री संजय भाटी जो विधि विशेषज्ञ है उनका शुक्र गुजार हूँ. उन्होंने दिल्ली में बच्चों को पढ़ाने का साहस दिया. तथाकथित पत्रकारों ने खूब छवि खराव करने की कोशिश की उत्तर पुलिस के एक अधिकारी ने निष्पक्ष जाँच के आदेश दिए वो भी फ़ाइल भ्रष्ट पुलिस वालों ने दवाने की कोशिश की लेकिन राज्य मानव अधिकार आयोग की सख़्ती के चलते फिर केस के बिंदुओं पर जाँच हुई पुलिस फिर भी लीपा पोती में लगी रहीं.

तथाकथित लोग पुलिस को गुमराह करते रहे नये नये हथकंडे अपनाने लगे. जिस लड़की को  नाबालिग दर्शाया कर सहपीड़िता बनाया गया उसने ओर माता पिता ने बताया उसने जाँच अधिकारी ओर कोर्ट को शपथ में पत्र बताया मामला झूठा है ये सब तथाकथित पत्रकार के बहकाबे में आकर झूठी शिकायत की कराई गई हैं. ईश्वर की कृपा रहीं कुछ आपराधिक किस्म के लोगों पर कार्यवाही हुई साथ ही पुलिस वालों पर ये हाल हैं आज के पत्रकारों का किसी की छवि कैसे ख़राब करनी हैं गलत तरीके से पैसे कमाने के लिए नये हथकंडे अपनाते हैँ. पत्रकारिता को अपना धंधा बना लिया हैँ…. खुलासा जारी रहेंगा.

#Aligarh उत्तर प्रदेश के अलिगढ़ के एक डेटक्टिव रिपोर्टर समाचार पत्र के संपादक जो करीब 20 वर्ष से अधिक प्रकाशन कर रहे है स्कूल भी चलाते थे ओर मानव अधिकार कार्यकर्ता भी हैँ को फ़साने की साजिश कैसे हुई जाकिर भारती तकरीबन 8 साल से कुछ ट्विटर पर भी प्रसारित कर रहें थे, खबरों की खुन्नस के चलते पुलिस ओर अपराधियों ने झूठा मामला दर्ज करा दिया तथा खबरों को कबर करने कि कोशिश कर रहे थे कुछ खबरों के सिलसिले के में पुलिस के संपर्क में अधिकारीयों से मिले.
एक साथी पत्रकार ने कहा कि हम भी साथ चलेंगे। मैं आमतौर पर अकेले ही आता जाता था लेकिन एक साथी उस पत्रकार को मैं साथ ले लिया.
उस समय मुझे भनक न लगी की वह कुछ भृष्ट पुलिस कर्मियों के करीब था.

जैसे ही आईपीएस चैंबर में घुसा साथी पत्रकार ने आगे सारी बाते सुनी उस आईपीएस ने मुझे समझाया आप निडर पत्रकार लगते हो थोड़ा होशियारी से काम किया करो खैर, बाहर निकला तो मैने साथी पत्रकार से कहाँ आपने सुना हर पुलिस अधिकारी गलत नहीं होता इस देश में कर्त्तव्यनिष्ठ अधिकारी भी है और मैंने कहाँ ये सारी बाते किसी को नहीं बतानी हैँ. ओर निष्पक्ष, निडरता से काम करना है साथ गए पत्रकार बोला आप बड़े मेरे बड़े भाई की तरह हैं.
आप चिंता न करें पत्रकारिता धर्म बखूबी निभाउंगा शिकायत का मौका नहीं मिलेगा.

खैर यह बातचीत सुनकर यही खयाल आया। एक तरफ अलीगढ़ के मित्र है दूसरी तरफ एक स्थानीय पत्रकारिता का अनुभव लें रहे है। कई पत्रकारों ने दलाली की होगी तो साथी को लगा होगा यह भाषा इस्तेमाल मेरे लिए कर रहे हैं। ये पूर्व की सच्चाई है जो
एक वक्त था जब कोइ प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस वाला गलत बोल जाता था तो पहले ऐसी जुर्रत किसी की नहीं हो सकती थी। अगर कोई अधिकारी ऐसे बोल भी जाता तो आंदोलन शुरू हो जाता।
हम भ्रष्ट पुलिस वालो की शिकायत के सिलसिले में अधिकारीयों से मिल शिकायत कर रहे थे हमें किया मालूम था पुलिस ओर आपराधिक तत्वों की चापलूसी कर जाएगा.
तथाकथित पत्रकार ने लालच में जलन हसद में अपनी पुत्री को साझे में लेकर पैसे हड़ने की नियत से झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया ओर गरीब बच्चों का भी स्कूल बंद करा दिया.
पुलिस अधिकारीयों को ईमेल, पत्राचार किया लेकिन कोइ ईमानदार, निडर पत्रकार ओर उसके परिजनों को राहत नहीं मिली नॉएडा के कुछ पत्रकारों ने साथ दिया मेरे परिवार का ख्याल रखा में आदरणीय श्री संजय भाटी जो विधि विशेषज्ञ है उनका शुक्र गुजार हूँ. उन्होंने दिल्ली में बच्चों को पढ़ाने का साहस दिया. तथाकथित पत्रकारों ने खूब छवि खराव करने की कोशिश की उत्तर पुलिस के एक अधिकारी ने निष्पक्ष जाँच के आदेश दिए वो भी फ़ाइल भ्रष्ट पुलिस वालों ने दवाने की कोशिश की लेकिन राज्य मानव अधिकार आयोग की सख़्ती के चलते फिर केस के बिंदुओं पर जाँच हुई पुलिस फिर भी लीपा पोती में लगी रहीं.
तथाकथित लोग पुलिस को गुमराह करते रहे नये नये हथकंडे अपनाने लगे. जिस लड़की को नाबालिग दर्शाया कर सहपीड़िता बनाया गया उसने ओर माता पिता ने बताया उसने जाँच अधिकारी ओर कोर्ट को शपथ में पत्र बताया मामला झूठा है ये सब तथाकथित पत्रकार के बहकाबे में आकर झूठी शिकायत की कराई गई हैं. ईश्वर की कृपा रहीं कुछ आपराधिक किस्म के लोगों पर कार्यवाही हुई साथ ही पुलिस वालों पर ये हाल हैं आज के पत्रकारों का किसी की छवि कैसे ख़राब करनी हैं गलत तरीके से पैसे कमाने के लिए नये हथकंडे अपनाते हैँ. पत्रकारिता को अपना धंधा बना लिया हैँ…. खुलासा जारी रहेंगा.

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