_-राजेश बैरागी-_
मैंने आज बिना कोठे वाली वेश्याओं को लेकर चिंतन किया। स्वयं की इच्छा से अथवा जबरन कोठे पर जा बैठने वाली महिलाओं को सुभीता यह है कि उन्हें ग्राहक खोजने नहीं जाना पड़ता। ग्राहक उन्हें खोजते हुए आते हैं। बिना कोठे वाली वेश्याओं का धंधा कैसे चलता है? मैं इस पर विचार कर ही रहा था कि किसी समाचार चैनल पर सोनाली फोगाट से संबंधित समाचार दिखाया जाने लगा।हाल ही में गोवा के एक होटल में वह संदिग्ध रूप से मार दी गई थी।
उसके निजी सहायक सुधीर सांगवान पर उसे प्रतिबंधित नशीला पदार्थ खिलाकर मार देने का संदेह है। गोवा पुलिस आज हिसार आई थी जहां साढ़े छः एकड़ में सोनाली फोगाट का शानदार फार्म हाउस है।इसी फार्म हाउस में 2016 में सोनाली के पति और भाजपा नेता संजय फोगाट की संदिग्धावस्था में मौत हो गई थी। तब सोनाली खूब चर्चा में रही थी।
सोनाली अभिनेत्री थी। उसे राजनीति का शौक लगा तो वह भाजपा में शामिल हो गयी और भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष भी बन गयी। गोवा में वह अपने दो पुरुष साथियों के साथ थी। पुलिस उसकी मौत के लिए जिम्मेदार लोगों और कारणों की जांच कर रही है।
मेरा चिंतन जारी है। मैं मस्तिष्क पर जोर डालता हूं तो अनेक महिला चेहरे मानस पटल पर उभरने लगते हैं। पुरुष नेताओं के साथ उनके अनबूझ रिश्ते, राजनीति में उनकी हनक, धमक और पहुंच। हालांकि मैं महिलाओं के सम्मान और उनकी महत्वाकांक्षा को कतई कमतर नहीं समझता। परंतु केवल खूबसूरत चेहरे, अच्छी देह और पुरुष नेताओं की कामेच्छा को संतुष्ट करने के दम पर कथित राजनीति करने वाली महिलाओं को क्या कहा जाए?
ऐसी महिलाएं राजनीति में किसी वैचारिक बदलाव या सेवा के लिए नहीं आती हैं। मैं बिना कोठे वाली वेश्याओं के जीवन पर पुनः चिंतन करने लगता हूं।
(साभार:नेक दृष्टि हिंदी साप्ताहिक नौएडा)