उत्तरप्रदेशविचारक

मैं फुल फ्लैग चमारी हूं लेकिन तथाकथित अम्बेडकर वादियों को मन ही मन कोसती हूं ~ मधु चमारी

डाक्टर भीमराव राव अम्बेडकर के जन्मोत्सव पर अपने समाज व देश के प्रत्येक नागरिक को समर्पित तथाकथित सत्ता लोभी अम्बेडकर वादियों की असलियत ~ मधु चमारी

मधु चमारी

जय भारत, जय भीम, नमो बुद्धाय

महा मानव डॉ अम्बेडकर जयंती पर तथाकथित रस्म अदायगी करने वाले अम्बेडकर वादियों की असलियत खोलता हुआ सच घटनाओं और वास्तविक तथ्यों पर आधारित “मधु चमारी” का विशेष लेख समाज की आंखों पर बंधी पट्टी खोल का काम करेगा।

आज 14 अप्रैल है। डा. भीमराव अम्बेडकर जयंती जो हमारे द्वारा हर साल एक रस्म अदायगी की तरह देश भर में मनाई जाती है। वास्तव में डा अंबेडकर दबे, कुचले, अधिकार विहीन लोगों के लिए एक ऐसी चमत्कारिक शक्ति की तरह हैं। जिसने हम सब के जीवन को सम्मानित और समृद्धि पूर्ण बनाने के लिए संघर्ष किया। आओ ऐसे महा मानव को याद करते हुए हम अपने समाज में कुछ करने का संकल्प लें।

हम संकल्प लें कि हम प्रत्येक भारतीय नागरिक को सम्मान और बराबरी देते हुए उसके जीवन में सुख समृद्धि और खुशहाली लाने के लिए शिक्षा का अवसर उपलब्ध कराएं। नशा और जुआ जैसे लतों से सम्पूर्ण मानव जाति को मुक्त कराएं।

जिसके चलते युवा पथभ्रष्ट होकर न केवल अपने शरीर को बर्बाद करते हैं बल्कि अपनी परिवार और समाज को भी बर्बाद करते हैं। अपनी नशे व जुआ खेलने की आदतों को पूरा करने के लिए अपराध करते हैं। हमारे समाज को नशे और जुआ की लत दिमक की तरह खा रही है। असल अंबेडकर वादियों को दलित उत्थान के लिए धरातल पर उतार कर काम करने की जरूरत है।

केवल वोट बैंक के लिए महा पुरुषों के नाम पर समारोह आयोजित कर रस्म अदायगी करने वाले तथाकथित अम्बेडकर वादियों को आज मैं अपने इस लेख के माध्यम से डाक्टर भीमराव अम्बेडकर जयंती पर ललकार रही हूं । ऐसे लोग जो नशे व जुआ/सट्टे की खाई बाडी करते व करने वाले लोगों को आश्रय देते हैं। जो अपने समाज को दिमक की तरह खा रहे हैं। वे समाज के महा पुरुषों से दूर ही रहें तो ही समाज के लिए बेहतर होगा ~ मधु चमारी 

सबसे पहले तो आपको ये बताते हुए मुझे बहुत खुशी और उत्साह हो रही है कि मैं अपने समय की सबसे पहली चमार जाति की महिला हूं जिसने अपने नाम के साथ चमारी जोड़ने का साहस करते हुए सभी समुदायों और जातियों के लोगों से आग्रह किया कि वे मुझे स्नेह और सम्मान के साथ “मधु चमारी” कह कर संबोधित करें।

मझे मेरे खुद के ‘चमार’ समुदाय के अलावा अन्य सभी समुदायों और जातियों के लोगों ने “मधु चमारी” के रूप में अथाह सम्मान दिया।

जिसके फलस्वरूप सर्व समाज व समुदायों के लोग बहुत ही श्रद्धा और स्नेह के साथ मुझे “श्रीमती मधु चमारी जी”, “मैडम चमारी जी”, “चमारी जी”, के अलावा अपने पैतृक कस्बे दादरी में रहने के कारण “बहन मधु चमारी जी”, “दीदी मधु चमारी”, “बुआ मधु चमारी”, मुस्लिम समुदाय के छोटे-छोटे बच्चे तक भी “फुफ्फो मधु चमारी” कहते हैं

 मेरे खुद के व्यवहार और उम्र के हिसाब से सभी मुझे भरपूर सम्मान करते हैं। किसी ने भी मेरे “चमार” होने या नाम के साथ खुलकर “चमारी” लगाने के कारण किसी भी तरह का अपमान आज तक नही किया।

ये बात अलग है कि मेरे द्वारा अपने आप को “मधु चमारी” घोषित करने से खुद मेरे ‘चमार’ समुदाय के लोग ही असहज महसूस करते हैं। खासकर मेरे अपने मोहल्ले के तथाकथित अम्बेडकर वादी संगठन जिनके उच्च पदस्थ लोग जो केवल हमारे चमार समुदाय के वोट बैंक तक सीमित हैं। जो निचले स्तर पर कभी भी नही देखते कि हमारे समाज में वास्तविक समस्याएं क्या है ?

अपने बारे में विस्तार से 

मैं उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर के दादरी कस्बे के गौतमपुरी मोहल्ले की रहने वाली हूं। मेरे पर-दादा के पिता स्वर्गीय बलराज/बल्लू थे। उनके बेटे स्वर्गीय हर दास मेरे परदादा थे। उनके बेटे स्वर्गीय रामस्वरूप मेरे दादा थे। मेरे दादा पर खानदानी विरासत से मिली पचास बीघा जमीन थी। जिसमें लगभग 22 बीघा सिकन्दराबाद मैन जीटी रोड पर स्थित थी। बाकी दादरी में लगभग 28 बीघा जमीन थी जिसमें से अभी भी कुछ बची हुई है।

मुझे गर्व है कि मैं एक खाल काढ़ा की पोती हूं

इसी जमीन पर मेरे दादा स्वर्गीय रामस्वरूप कृषि कार्य करते हुए अतिरिक्त कमाई के लिए पशुओं की खाल उतारने का काम भी करते थे। जिसके लिए उन पर किसी का कोई जोर दबाव नही था। क्योंकि बाद में यह कार्य मेरे पिता आदि ने नही किया तो मुझे तो ऐसी कोई जानकारी नही है कि किसी अन्य ने कोई जबरदस्ती की हो।

पांच पुश्तों में किसी गैर समुदायों और जातियों के लोगों से कोई विवाद नही हुआ

मेरे खुद के पिता स्वर्गीय रिछपाल भी खुद के खेतों में कृषि का काम करते थे। मेरे दादा जी के पास पचास बिगहा से अधिक जमीन थी। उन्होंने एक इंच जमीन नही बेची थी। मेरे परिवार के सदस्यों का कोई भी विवाद अभी तक किसी भी दूसरे समुदायों और जातियों के व्यक्ति से जातिगत आधार पर नही हुआ। दादरी तहसील और थाने का रिकॉर्ड भी इस बात की तस्दीक करते हैं।

हमारे खुद के खेतों में अम्बेडकर भवन बना हुआ है

एक बात और भी बतानी बहुत महत्वपूर्ण है। मेरे पिता स्वर्गीय रिछपाल सिंह ने डा.भीमराव अम्बेडकर के नाम पर चलने वाले अनेकों संगठनों और मिशनों पर बहुत समय और धन बर्बाद किया। मेरे पिता जी द्वारा दादरी स्थित अपने खेतों में अपनी बिरादरी के लोगों को सस्ती दरों में प्लाट देकर बसाया गया। वहीं समाज के लोगों की सुविधा के लिए मेरे पिता जी और ताऊ जी ने अपनी खुद की जमीन में अंबेडकर भवन का निर्माण भी करवाया। जो आज आस-पास रहने वाले दलितों द्वारा मनमाने उपयोग में लाया जा रहा है।

अब आप यह भी अच्छी तरह समझ लीजिए कि मैं यहां पर यह बिल्कुल भी नही कह रही हूं कि मेरा या मेरे परिवार के सदस्यों के किसी से भी कोई विवाद नही हुए। मैं सिर्फ एक बात कह रही हूं। अभी तक कोई भी विवाद किसी से भी दूसरे समुदायों या जातियों के व्यक्ति से नही हुआ। या फिर यह कहुं कि जातिगत आधार पर कोई विवाद नही हुआ।

मुझ पर, मेरी बहन व मेरे भाई पर कई मुकदमें दर्ज हैं। ये मुकदमें मेरे खुद के समुदाय वाले लोगों द्वारा किए गए हैं या फिर मेरे खुद के समुदाय वाले तथाकथित अम्बेडकर वादी नेताओं द्वारा साजिश के तहत कराएं गए हैं। जानना चाहोगे उन्होंने ये मुकदमें क्यों दर्ज कराएं ?

मैंने अपनी जाति वर्ग के एक दरोगा दादरी थाने की चौकी के तत्कालीन प्रभारी, जो अपने आप को मिनी अंबेडकर कहते हुए अंबेडकर वादी होने का दावा करता था। इस दरोगा द्वारा मेरे खुद के साथ देर रात अश्लीलता/छेड़छाड़ की गई जिसका मैंने विरोध किया था। दरोगा पर कार्रवाई हुई। विभागीय जांच में दोषी पाए जाने पर सस्पेंड हुआ, मुकदमा लिखा गया।

मोहल्ले के तथाकथित अम्बेडकर वादी जो अपने समुदाय के चौकी प्रभारी के संरक्षण में अवैध कारोबार चलते थे। जैसे सट्टा/जुआ, गांजा तस्करी, अवैध शराब की बिक्री आदि। अपने अवैध धंधों को चलाए रखने के लिए अपने समुदाय का सांठगांठ वाले चौकी प्रभारी को तथाकथित अम्बेडकर वादी संगठनों के मेरी खुद की गली मोहल्ले गौतमपुरी के नेताओं ने मुझे व मेरे भाई को फंसाने के लिए खुद को मिनी अंबेडकर कहने वाले दरोगा को समर्थन कर दिया। जबकि मैं इन्हीं तथाकथित अम्बेडकर वादियों की बेटी, बहन और बुआ थी।

 जिसके कारण मुझ पर व मेरे भाई पर दरोगा ने अंबेडकर वादी तथाकथित फौज और पुलिस के द्वारा मुकदमें दर्ज कराए। वे मुकदमें आज भी न्यायालय में विचाराधीन हैं। तब तथाकथित अम्बेडकर वादी कहां थे ?

 अपने चमार समुदाय की महिलाओं को अधिकार और सम्मान दिलाने वाली तथाकथित अम्बेडकर वादी मुहिम के पुरोधा उस समय मनुवादी सोच पर चलते हुए अपने समुदाय के दरोगा से गलबहियां करते नजर आए। जिनके लिए “मधु चमारी” महिला होने के कारण पैर की जुती और दरोगा मर्द होने के कारण सिर का ताज था।

यहां मेरे खुद के क्षेत्र दादरी के तथाकथित अंबेडकर वादी संगठनों से जुड़े हुए लोग अपने ही समाज व समुदाय की खुल कर नाम के साथ “चमारी” लिखने के बावजूद भी मेरे साथ नही थे। जिसका दूसरा बड़ा और सीधा कारण पुलिस संरक्षण में चलने वाले अवैध धंधे थे। 

मेरे खुद के समुदाय वाले तथाकथित अम्बेडकर वादी मुझ “मधु चमारी” खाल काढ़ा की पोती को गैर समझते हुए। मेरा शिकार करने के लिए अपना पूरा दमखम लगाते हुए मेरे विरुद्ध थाना दादरी क्षेत्र के गांजा तस्करों, खाई बड़ी कर सट्टेबाजी और अवैध शराब की बिक्री करने वालों को लगा देते हैं। जो स्वयं मेरी बिरादरी के होने के साथ ही मेरे मोहल्ले गौतमपुरी के ही हैं।

तथाकथित अम्बेडकर वादियों को दलित बस्तियों में बिकने वाले मादक पदार्थों और सट्टेबाजी से परेज नही 

अब आपको बता दूं कि मेरे मोहल्ले गौतमपुरी में एक भी उच्च जाति का व्यक्ति गांजा, शराब और अन्य मादक पदार्थों की बिक्री नही करता और न ही वो इन सब चीजों का ग्राहक हैं। इसके अलावा गली-गली में हो रही खाइबाडी भी दलितों के घरों में ही है। मतलब दलित बस्तियों में सट्टेबाजी और जुआ भी चलते हैं।  इसमें भी सट्टा/जुआ चलाने वाले और लगाने/खेलने वाले सब के सब दलित वर्ग के ही होते हैं।

अपने ही समाज को नशे और जुआ की लत में धकेलकर बर्बाद कर रहे हैं 

तथाकथित अम्बेडकर वाद के नाम पर चलने वाले संगठनों और मिशनों के कार्यकर्ताओं के गली मोहल्ले के कार्यालयों और निवास स्थालों के आसपास चल रहे अवैध शराब की बिक्री, गांजा तस्करी, अन्य मादक पदार्थों की बिक्री वह सट्टेबाजों की खाईबाडी पर कभी भी अंबेडकर वादी संगठनों की नजर न जाना अपने आप में एक बड़ा सवाल है। जबकि इन सभी के ग्राहक दलित वर्ग के होते हैं।

खुद के मोहल्ले गौतमपुरी की गलियों और नुक्कड़ों, सड़कों के किनारों पर अपनी बिरादरी के लोगों को जब मैं नशे में डूबे देखती हूं तो उन तथाकथित अम्बेडकर वादियों को मन ही मन कोसती हूं। जो अपने निजी स्वार्थों और बोट बैंक की राजनीति के चलते नशे और जुआ के व्यापारियों को मसीहा बनकर रखते हैं।

ऐसा कैसे अम्बेडकर वाद है ? जो इतनी हिम्मत भी नही देता कि नशे और जुआ/सट्टे के अवैध कारोबार का विरोध कर सकें।

कल अम्बेडकर जयंती के अवसर पर मेरे खुद के बड़े भाई की तस्वीर भी तथाकथित अम्बेडकर वादियों के साथ “डाक्टर भीमराव अम्बेडकर जी” की मुर्ति पर फूल माला अर्पित करने वाले लोगों की अगली कतार में होगी। ये केवल एक राजनैतिक रस्म अदायगी भर है। ये सभी तथाकथित अम्बेडकर वादी अंबेडकर जयंती पर रस्म अदायगी तो कर सकते हैं

लेकिन मोहल्ले में किसी भी गांजा तस्कर, अवैध शराब तस्कर और सट्टे की खाईबाडी का विरोध करने की हिम्मत नही जुटा पाएंगे। ये भी कह सकते हैं कि सभी अवैध कारोबारी भी इनके वोट बैंक है। अंबेडकर जयंती इनके लिए वोट बैंक को संवारने का एक प्रोग्राम मात्र है।

जो हमें शिक्षा का दूध पिला रहे हैं तथाकथित अम्बेडकर वादी उन्हीं के प्रति भड़काते हैं 

हमारे मोहल्ले गौतमपुरी से उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री तक बनें लेकिन एक स्कूल पांचवीं, आठवीं तक का डाक्टर भीमराव अम्बेडकर या अपने अन्य महापुरुषों के नाम से पूरे दादरी कस्बे में कहीं भी नही बना पाएं। हमारे बच्चे दूसरे उन समुदायों द्वारा संचालित स्कूल, कॉलेजों में पढ़ने जाते हैं। वैसे हमारे साथ दूसरे समुदायों के लोगों के द्वारा चलाए जा रहे स्कूल, कॉलेजों में मेरी याद में आज तक कोई भेद भाव नही हुआ। भले ही बोट बैंक पर कब्जा जमाए रखने के उद्देश्य से तथाकथित अम्बेडकर वादियों द्वारा सभी दूसरे समुदायों के प्रति जहर फैलाया जाता है।

जिन समुदायों की तुम्हें सत्ता में आने के लिए वोट चाहिए उन्हीं पर एसी,एसटी एक्ट की तलवार भी चलाओगे

तथाकथित अम्बेडकर वाद के नाम पर सत्ता की चाहत रखने वाले एक तरफ दूसरे समुदायों को यह बताते नही थकते की मनुस्मृति के हिसाब से हम सब शूद्र हैं। इसलिए हमें एक जुट होकर सत्ता पर काबिज हो कर मनुवादियों के खिलाफ बहुमत तैयार करना चाहिए। अब यहां पर बस मेरा इतना कहना है कि वोट के लिए जिन्हें अपने साथ जोड़ने का छद्म प्रयास किया जाता है। उन्हीं के विरुद्ध तथाकथित अम्बेडकर वादियों को तुरुप के इक्के की तरह एससी, एसटी एक्ट की तलवार भी चाहिए।

तथाकथित अंबेडकर वादियों द्वारा धार्मिक कट्टरवाद और टकराव पैदा कर वोट बैंक खड़ा करने का प्रयास बुद्धिज़्म नही है 

डा. भीमराव अंबेडकर के बौद्ध हो जाने और महात्मा बुद्ध के प्रेम और ज्ञान के रास्ते को अपने राजनीतिक लाभ उठाने की योजना के तहत हमेशा दूसरे समुदायों से विरोध व अलगाव की भावना पैदा की जा रही है। तथाकथित अम्बेडकर वादी  हिन्दू धर्म के मानने मानने वाले को बेइज्जत करने कोई भी मौका नही छोड़ते। यह सब धार्मिक प्रचार प्रसार के लिए न होकर वोट बैंक की राजनीति के लिए किया जाता है।

दूसरे धर्म के मानने वाले लोगों को बेइज्जत करना या फिर उनके पूर्वजों की गलतियां बता कर उन पर दोषारोपण करना किसी भी तरह से उचित नही है। ऐसा करने से हर किसी के दिलोदिमाग में सिर्फ और सिर्फ कुंठा और बदले की भावना पैदा होगी। किसी भी पक्ष का इससे उद्धार नही होगा। यह तो उन राजनीतिक दलों की तर्ज पर ही है जो देश को हिन्दू मुस्लिम में बांट रहे हैं। सदियों पहले गड़े मुर्दे उखाड़ कर द्वेष खड़ा करके अपना वोट बैंक पक्का करना। किसी भी सभ्य समाज और राष्ट्र के हित में नही है। इसका खामियाजा अंततः हम सभी को भुगतना पड़ेगा।

तथाकथित अम्बेडकर वादियों की छत्रछाया में पनपने वाले नशे के व्यापार के कारण हम ने पिता और दो भाईयों की असमय मृत्यु का दंश झेला है

जबकि मैंने नशे के कारण अपने दो भाईयों की असमय मृत्यु का दंश झेला है। मेरे दो भाई लगभग 28 से 35 वर्ष की उम्र में ही नशे की लत के कारण हमें अलविदा कह गए। वे गली मोहल्ले में बिकने वाले मादक पदार्थों के ग्राहक थे। मेरे पिता भी नशे की लत के कारण करोड़ों रुपए की चल अचल सम्पत्ति को छोड़ कर असमय चले गए। 

आप सभी को भलीभांति मालूम होगा कि डा. भीमराव अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को भारत के महू में दलित परिवार में हुआ था। पूरे भारत वर्ष में ही नही दुनिया भर में हर साल 14 को बहुत ही हर्षोल्लास से उनकी जयंती मनाई जाती है। जगह जगह बड़े बड़े समारोह आयोजित किए जाते हैं।

लाखों संगठनों से जुड़े करोड़ों लोगों द्वारा अंबेडकर वादी होने का दावा किया जाता है। इन संगठनों से जुड़ा हुआ हर व्यक्ति पूरे जोश से सत्ता पाने के लिए न केवल अम्बेडकर वादी होने का दावा करता है। बल्कि इसी के साथ साथ खुद के लिए विशेषाधिकारों की न केवल इच्छा रखता है। बल्कि विशेषाधिकार प्राप्त कर उनका भोग भी करता है।

देश भर में कोई शहर कोई कस्बा, कोई गांव, गली मोहल्ला ऐसा नही होगा। जहां अंबेडकर वादियों की पहुंच न हो। लेकिन ये पहुंच केवल और केवल वोट और देश की सत्ता पाने की मुहिम तक सीमित है।

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उत्तर प्रदेश में चमारों की जनसंख्या की बात करें तो अनुसूचित जाति के रूप में सूचीबद्ध 66 समुदायों में चमार समुदाय की आबादी स्पष्ट रूप से सबसे ज्यादा है। 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, चमार समुदाय की संख्या सबसे अधिक 2,24,96,047 है। जो उत्तर प्रदेश की कुल अनुसूचित जाति आबादी का 54.23% है। जो वर्तमान में अनुसूचित जाति की जनसंख्या लगभग ढाई करोड़ के आसपास होनी चाहिए। जिसमें अकेले चमारों की जनसंख्या लगभग डेढ़ करोड़ होगी।

हम कहां पर है ? ये भी हम सभी को भलीभांति मालूम होना चाहिए। संविधान द्वारा प्रदत्त इतने अधिकार और कानूनों के होते हुए भी हम आज भी हाशिए पर हैं। इसे समझौते हुए। तथाकथित अम्बेडकर वादियों से भी सवाल करो और कहो कि हमें तुम्हें सिर्फ और सिर्फ इस आधार पर बोट नही देंगे कि तुम अंबेडकर वादी होने के दावे ठोकते हो। 

भीमराव अंबेडकर और अन्य महापुरुषों के नाम पर कब तक बहकाया जाएगा ?

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर और अन्य महापुरुषों के नाम पर प्राप्त जन समर्थन का उपयोग निजी स्वार्थों व सत्ता और वर्चस्व कायम करने तक सीमित नही रहना चाहिए बल्कि इससे आगे बढ़कर खुद के समुदाय/समाज को पतन की ओर जाने से रोकने पर ध्यान देना चाहिए। हमारे समाज को आजादी और संविधान के लागू होने के बाद 76 वर्ष में जितने आगे बढ़ाना चाहिए था। वो हम नही बढ़ पाए। इसका बड़ा कारण है कि हमारे तथाकथित मसीहा केवल और केवल महापुरुषों के नाम पर बोट लेकर सत्ता का सुख भोगते रहे।

अंत में जय भारत, जय भीम, नमो बुद्धाय 

महा पुरुष किसी एक समुदाय के नही होते वे समस्त मानव जाति के होते हैं। उनके सिद्धांतों पर चलकर समस्त मानव जाति का भला करें। डा.भीमराव अंबेडकर और महात्मा बुद्ध व अन्य महापुरुषों के नाम पर धर्म और जातिगत राजनीति करने से बचें। उनके बताए मार्ग पर चलकर मानव जाति का उद्धार करने वाले बनें।

प्रत्येक अम्बेडकर वादी या बुद्धिस्ट को अपने आसपास रहने वाले गरीब मजदूर वर्ग के बच्चों के लिए शिक्षा का इन्तजाम करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए । नशे का कारोबार करने वाले लोगों को जातिगत आधार पर नजरंदाज करने की बजाय उनसे शक्ति से पेश आकर मानव जाति से नशे के कलंक को हटा कर असली बुद्धिस्ट और अंबेडकर वादी होने का प्रमाण देना चाहिए।

जुआ और सट्टे की खाईबाडी करने वाले लोगों को दलित बस्तियों में जातिगत आधार पर माफी न किया जाना चाहिए। दलित बस्तियों से ऐसे सभी विकार पूरी तरह से बहार निकालने होंगे। इससे न केवल अंबेडकर वादियों की बदनामी हो रही है। बल्कि मानवीय मूल्य गर्त में जा रहे हैं।

मेरा मकसद महा पुरुषों को किसी एक समुदाय या जाति से जोड़ कर देखने वाले लोगों की आंखें खोलना है। क्योंकि जिन महापुरुषों को हम किसी एक समुदाय या जाति से जोड़ कर राजनीतिक माहौल बना रहे हैं। उन्होंने सम्पूर्ण मानव समाज के दबे, कुचले, अधिकार विहीन लोगों को अधिकार दिलाने के लिए जीवन भर काम किया। उनके सिद्धांतों और विचारों को संकुचित दायरे से बाहर निकल कर देखें।

बुद्धिज़्म और अम्बेडकर वाद को केवल कुछ लोगों के लिए सत्ता की चाबी न बनने दें। इसके राजनीतिक दायरे से बाहर भी बड़े अर्थ है। ये ज्ञान की न केवल एक शाखा मात्र है बल्कि ज्ञान का समुद्र हैं। अतः ज्ञान के समुंदर रुपी बुद्धिज़्म और अम्बेडकर वाद में गोते लगाते हुए समस्त मानव जाति के चहुंमुखी विकास की योजना तैयार करो।

मधु चमारी, संपादक सुप्रीम न्यूज

सुप्रीम न्यूज के संपादक श्री संजय भाटी अपने कार्यालय सेवा सदन देवला पर अपने पड़ोसियों के साथ अंबेडकर जयंती समारोह आयोजित कर पुष्प अर्पित कर हलुआ वितरण कराते हुए।  

सेवा सदन देवला में बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर जयंती समारोह आयोजित

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