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थाने की बगल में रहने वाले तक पहुंचने में पूरी मशक्कत के बाद पंद्रह दिन लग गए

दैनिक सुप्रीम न्यूज 16 जनवरी 2023 supreme 16 jan 2023..का अंक पढ़ने के लिए क्लिक करें।

संपादकीय

थाने की बगल में रहने वाले तक पहुंचने में पूरी मशक्कत के बाद पंद्रह दिन लग गए

क्यों कि यहां एक सफेद पोश शराबी ठेकेदार था जो पेशेवर अपराधी नही था?

 

 

दिसंबर की 31 तारीख को एक छात्र व दो छात्रों को एक सेंट्रो कार चालक ने एक्सीडेंट मार दिया था जिसमें से एक छात्रा गंभीर रूप से घायल हो गई थी। छात्रा की मदद के लिए गौतम बुद्ध नगर की पुलिस द्वारा अपने 1 दिन का वेतन एकत्र करके 10 लाख रुपए छात्रा के इलाज के लिए भी दिया गया। इसके अलावा नोएडा की पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह द्वारा अपने स्तर से ₹ एक लाख अतिरिक्त भी दिए। इस तरह छात्रा के ईलाज के लिए गौतम बुध नगर के द्वारा 11 लाख रुपए दिए गए। यह धनराशि गौतम बुध नगर पुलिस द्वारा यहां की पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह के आवाहन पर छात्रा की मदद के लिए दी गई।

दूसरी तरफ छात्रा को एक्सीडेंट मारने वाली गाड़ी और उसके ड्राइवर को भी पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया है। घटना को 15 दिन बीत चुके हैं। 15 दिन की बड़ी मशक्कत के बाद कहीं जाकर पुलिस अपने ही थाने की बगल में रहने वाले या यूं कहें कि थाने से 100, 200 मीटर की दूरी में रहने वाले कार चालक को उसकी कार सहित गिरफ्तार करने में 15 दिन का समय लगा देती है।

अब आप इस मामले में ये बिल्कुल भी नही कह सकते कि थाने की पुलिस ने एक्सिडेंट करने वाले को तलाश करने में कोई कोर कसर बाकी छोड़ी थी। ये बात अलग है कि इस मामले में पुलिस को थाना के पड़ोस में रहने वाले तक पहुंचने में पूरे पंद्रह दिन लग गए।

पुलिस की मेहनत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक तो इस मामले में पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह और सहायक पुलिस आयुक्त प्रथम ग्रेटर नोएडा दोनों दिलों जान से लगे हुए थे। इनके अलावा स्थानीय थाना स्तर पर 6 टीमें मय सर्विलांस टीम के लगाई गई थीं। जिनके द्वारा बहुत ही गहन छानबीन कर रही थी। जो सीएनजी पंप/पैट्रोल पंप व रास्तों के 100 से अधिक सीसीटीवी व मरम्मत करने वालों से भी पूछताछ और छानबीन करती रहीं। इस सब में पूरे पंद्रह दिन लग गए।

 

   अब पुलिस की यह कामयाबी तब है जब एक्सीडेंट मारने वाला कोई पेशेवर अपराधी नही था। घटना स्थल भी अल्फा दो से डेल्टा की ओर जाने वाली सड़क है। जो कुछ सैक्टरों को जोड़ने वाली सड़क है  कोई राजमार्ग या हाईवे नही है। सर्दियों के मौसम में घटना का समय, घटना स्थल और गाडी के आने-जाने की दिशा भी निर्णायक रही होगी। 

 

अब यहां एक बड़ा सवाल यह है कि आखिर कार पुलिस को इतनी मशक्कत क्यों करनी पड़ी और पंद्रह दिन का समय क्यों लगा? इसका सीधा सा जवाब ये है कि सर्दियों का मौसम होने के कारण मुखबिर खास ठंड में ठिठुर रहा होगा।

 

दूसरे घटना को अंजाम देने वाला पेशेवर अपराधी नही था। इसलिए उसे चिन्हित करना मुश्किल था। नोएडा पुलिस में तो उत्तर प्रदेश पुलिस के छटे हुए जांबाज भरे पड़े हैं। जो पेशेवर अपराधियों से मुठभेड़ करने में महारत हासिल किए हुए हैं। घटना एक्सीडेंट की थी या ये कहें कि एक्सीडेंट करने वाला शख्स बीटा दो के एच 52 का निवासी होने के साथ-साथ उम्र दराज शराबी ठेकेदार व सफेद पोश है। जिसे खुद नही मालूम कि वह घटना के बाद नशे में अपने घर कैसे पहुंचा? वरना नोएडा पुलिस के जांबाज एक जिंदा और एक खोखा कारतूस के साथ तमंचा बरामद करने में शायद इतनी देर नही करते।

   

यहां पुलिस की जांबाजी और मुखबिरों की काबिलियत पर सवाल खड़े करना मकसद नही है। ये तो गनीमत है कि इस बार मुखबिर ठंड की वजह से कम काम कर रहे थे वरना एक्सीडेंट के मामले में भी चोरी की गाड़ी और तमंचा कारतूस, मुठभेड़ और पूरा तामझाम खड़ा हो गया होता।

 

 

 

 

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