गौतमबुद्धनगरपुलिस की कार्य प्रणाली

रिपोस्टिंग और निर्धारित समय से अधिक की तैनाती गैरकानूनी, मठाधीशों की सूचना तो देनी ही होगी ~ संजय भाटी

वैसे तो सूचना का उद्देश्य जग जाहिर है। दूसरे जन सूचना अधिकार अधिनियम में आवेदक के नाम व पते के अतिरिक्त जनसूचना अधिकारी अन्य कोई भी जानकारी नही मांग सकते।

सुप्रीम न्यूज। गौतमबुद्धनगर

 

मठाधीशों से खुद पुलिस विभाग के लोग भी परेशान हैं 

गौतम बुध नगर। उत्तर प्रदेश में जन सूचना अधिकारियों से जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत यदि कोई भी सूचना मांगी जाती है तो जन सूचना अधिकारी सूचना देने से बचने के लिए जन सूचना अधिकार अधिनियम की उन धाराओं का उपयोग करते हैं। जिनके तहत सूचना देने से बच सकें। ऐसा केवल किसी एक मामले में नही होता बल्कि वास्तविकता तो यह है कि हर मामले में किसी न किसी तरह से सूचना देने से इंकार कर दिया जाता है।

मामला भले ही पुलिस विभाग के अधिकारियों से जुड़ा हो या फिर प्रशासनिक अधिकारियों से जुड़ा हुआ हो। जन सूचना अधिकारी सूचना देने को तैयार ही नही होते।

 

सूचना से इंकार का बहाना भले ही कुछ भी क्यों ना हो। वास्तव में जन सूचना अधिकारी द्वारा अपने विभाग के भ्रष्टाचार और गैरकानूनी गतिविधियों को बेनकाब होने से बचाने से के लिए ये बहाने लगाए जाते हैं।

आवेदक द्वारा पुलिस विभाग गौतम बुध नगर से गौतम बुध नगर में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों की जिले में रिपोस्टिंग और निर्धारित समय सीमा से अधिक समय तक एक ही स्थान पर तैनात मठाधीशों की सूचना मांगी गई। ज़बाब में अनर्गल बहाने लगाए कर जन सूचना अधिकारी ने सूचना से इंकार कर दिया।

जबकि इस तरह की आवेदक द्वारा पहले जिला गौतमबुद्धनगर में पुलिस विभाग में कार्यरत कर्मचारियों के समय अवधि से अधिक की तैनाती और रिपोस्टिंग का मुद्दा उठाया गया है। जिसके चलते आवेदक द्वारा जन सूचना अधिकारी से सूचना अब से पहले भी कई बार ली जा चुकी है। उस समय भी जन सूचना अधिकारी द्वारा सूचना देने से इंकार कर दिया था। प्रार्थी द्वारा प्रथम अपील की गई। प्रथम अपील अधिकारी द्वारा भी जन सूचना अधिकारी का समर्थन करते हुए सूचना नही दिलवाई।

आवेदक संजय भाटी द्वारा राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील दायर की गई थी। जिस पर आयोग ने प्रार्थी को सूचना दिलवाई थीं। पुलिस और प्रशासन के जनसूचना अधिकारी जानबूझ कर सूचना देने में देरी करते हैं। जिसका सीधा और बड़ा  कारण भ्रष्टाचार ही है।

 

वैसे तो सूचना का उद्देश्य जग जाहिर है। दूसरे जन सूचना अधिकार अधिनियम में आवेदक के नाम व पते के अतिरिक्त जनसूचना अधिकारी अन्य कोई भी जानकारी नही मांग सकते। हम अपने पाठकों को जानकारी दे देना चाहते हैं कि आवेदक द्वारा प्रथम व द्वितीय अपील विधिवत समय पर योजित कर दी जाएगी। 

 आवेदक द्वारा सूचना प्राप्त कर उत्तर प्रदेश पुलिस के उच्चाधिकारियों को पूर्व की तरह अवगत करा कर गैरकानूनी तरीके से मठाधीश बन कर भ्रष्टाचार कर रहे कर्मचारियों व अधिकारियों को जिले से स्थानांतरित करने के लिए आवेदन किया जाएगा।

 यदि उच्चाधिकारियों द्वारा प्रार्थी के आवेदन पर कार्रवाई नही की जाती है तो माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर की जाएगी।

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