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गिरफ्तार व्यक्ति के कानूनी अधिकार जिन्हें गिरफ्तार करने वाला पुलिस अधिकारी मानने को बाध्य

 

सुप्रीम न्यूज। कानूनी ज्ञान

 

   आज हम अपने पाठकों से कुछ जरूरी कानून की जानकारी को आम जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से अधिक से अधिक शेयर करने के आग्रह के साथ गिरफ्तारी के समय पर गिरफ्तार व्यक्ति के अधिकारों पर चर्चा कर रहे हैं 

 

संविधान के अनुच्छेद 22 (1) और 22 (2) किसी अपराध के संबंध में गिरफ्तार हुए व्यक्ति को चार अधिकार देता है

(1) गिरफ्तारी के कारण जानने का अधिकार अनुच्छेद 22 ( 1 ) गिरफ्तार करने वाले अधिकारी को बंदी व्यक्ति को उसकी गिरफ्तारी के कारण कोई यथाशीघ्र बताने का आदेश देता है यदि गिरफ्तारी के कारणों को देर से दिया जाता है तो उसका पर्याप्त कारण होना चाहिए बंदी को जमानत पर छोड़े जाने का प्रस्ताव स्वीकार कर लेने पर भी उसकी गिरफ्तारी के कारणों को जानने का अधिकार समाप्त नही होता क्योंकि बिना गिरफ्तारी के कारण को जाने हुए कोई भी बंदी व्यक्ति अपने बचाव में अच्छी तरह से तक पेश नही कर सकता

(2) अपनी पसंद के वकील से बचाव करने का अधिकार प्रत्येक व्यक्ति को यह अधिकार है कि वह अपना बचाव करने के लिए अपनी पसंद का वकील करें

   हुस्न आरा खातून बनाम गृह सचिव बिहार राज्य AIR 1979 SC 1377 यह निर्णय दिया गया कि प्रत्येक दोषी व्यक्ति जो गरीब या किसी अन्य कारण से अपने बचाव के लिए वकील नियुक्त नहीं कर सकता उसे निशुल्क कानूनी सहायता पाने का संवैधनिक अधिकार है अन्यथा अनुच्छेद 21 का उल्लंघन होने के कारण परीक्षण अवैध हो जाएगा।

 

( 3 ) 24 घंटे में पास के मजिस्ट्रेट के सामने पेश किए जाने का अधिकार

बंदी बनाए जाने के बाद यात्रा का समय निकालकर उसे 24 घंटे के भीतर किसी पास के मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा (गणपति केशवराम बनाम नफीसुल हुसैन AIR 1954 SC 636)

(4) 24 घंटे से अधिक निरोध मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना नहीं हो सकता

किसी गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घंटे से अधिक निरुद्ध करने की आवश्यकता हो तो वहां उसके लिए मजिस्ट्रेट का आदेश लेना आवश्यक है। दोनों में अंतर यह है कि पहले विरूद्ध व्यक्ति पुलिस की हिरासत में रहता है और दूसरे में न्यायिक हिरासत में रहता है।

 

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