कानून और संविधानदैनिक सुप्रीम न्यूज
सुप्रीम न्यूज परिवार की ओर से गणतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं भले ही हम 74 वा गणतंत्रता दिवस मना रहे हैं पत्रकारों ध्यान रहे तमंचा किसी से भी बरामद हो सकता है
दैनिक सुप्रीम न्यूज 26 जनवरी 2023 का अंक पढ़ने supreme 26 jan 2023_.. के लिए क्लिक करें।
संपादक की कलम से
ध्यान रहे हम 74 वा गणतंत्र दिवस मना रहे हैं
पत्रकार ही क्यों ना सही
रहना तो पुलिस के डंडे के नीचे है
26 जनवरी 1950 के दिन हमारे देश का संविधान लागू किया गया था। जिसके उपलक्ष्य में आज हम 74 वा गणतंत्र दिवस मना रहे हैं। गणतंत्रता दिवस और स्वतंत्रता दिवस दोनों का हमारे जीवन में विशेष महत्व है। दोनों राष्ट्रीय स्तर की बात है। गणतंत्र, प्रजातंत्र, लोकतंत्र का अभिप्राय उस राज्य या राष्ट्र जिसमें समस्त राज्यसत्ता जनसाधारण के हाथ में हो और वे सामूहिक रूप से या अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों के द्वारा शासन और न्याय का विधान करते हों। सीधे शब्दों में कहें तो हम संविधान दिवस यानी कानून दिवस मना रहे हैं। संक्षेप में कहें तो जन सामान्य को देश में न्याय, अधिकार, स्वतंत्रता, समानता और सम्मान देने वाले संविधान को लागू होने की खुशियां मना रहे हैं।
देश के आंतरिक भागों में संविधान और कानून को लागू करने की पहली जिम्मेदारी या पहली सीढी थाना पुलिस होती है। मतलब गरीब जनता को न्याय की उम्मीद थाने से ही होती है।
गरीब के पास न्यायालयों तक पहुंचने का न तो ज्ञान होता है और न ही बजट। जो व्यक्ति सरकारी राशन की दुकान पर राशन के लिए खड़ा हो उसकी जिन्दगी में उसकी चुनी हुई सरकार, संविधान और सुप्रीम कोर्ट की नुमाइंदगी पुलिस का सिपाही ही करता है। गरीब के पास दूसरे कोई विकल्प ही नही होते। गरीब तो पुलिस के अधिकारियों तक भी नही पहुंचता।
गरीब के लिए वकीलों और न्यायालयों तक का रास्ता केवल और केवल पुलिस के द्वारा ही पहुंचता है। वर्दी पहने प्रत्येक सिपाही को इस वास्तविकता को भलीभांति समझना चाहिए।
भले ही हिरासत में मौत के मामले में उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर है। पिछले तीन सालों की मीडिया रिपोर्टों को देखें तो 1318 लोगों की मौत के आंकड़े हमारे सामने हैं।
यहां हम केवल अपने जिले की बात करना चाहते हैं । हिरासत में मौत के मामले में गौतमबुद्धनगर में बहुत गनीमत है यहां के जांबाज तो मुठभेड़ के नाम पर सटीक निशाना साधते हैं। यहां की पुलिस प्रदेश भर में सबसे अधिक कमाऊ और जांबाज है। पिंडलियों में गोली बहुत लगती है पर सीने में बहुत कम। ध्यान रहे हम गणतंत्र दिवस मना रहे हैं
गौतमबुद्धनगर उत्तर प्रदेश की आर्थिक राजधानी है। यहां जितना गरीबों को सताया जाता है उतना ही धन कमाया जाता है। यानी मुठभेड़ से अपराध की रेटिंग तो आज तक कम नही हुई पर पुलिसिंग की रेटिंग जरूर अप हो जाती है।
यहां सब चमत्कारी मामले हैं। गौतमबुद्धनगर पुलिस चमत्कारों में मामले में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (बागेश्वर धाम सरकार ) से भी ज्यादा करिश्माई शक्तियों का प्रदर्शन आए दिन करती है । धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री कितने भी चमत्कार क्यों न कर ले पर हमारे जिले के दरोगाओं की शक्ति को चुनौती नही दे सकते।
हमारे दरोगाओं की गोली सीधे बदमाशों की पिंडलियों में इच्छित जगह पर ही लगती है। हमारे दरोगा अच्छे अच्छे के पास से तमंचा और कारतूस बरामद कर सकते हैं। अधिकारियों के आदेश पर चलाए जा रहे अभियान के तहत तमंचा, कारतूस, गांजा, अवैध शराब और न जाने क्या-क्या बरामद कर सकते हैं। ध्यान रहे हम गणतंत्र दिवस मना रहे हैं।
एक से बढ़कर एक विशेष और अद्भुत क्षमता हमारे दरोगाओं में हैं । उच्चाधिकारी जितने ईमानदार होंगे उनके नाम पर दरोगा और सिपाही अपनी रेटिंग हाई कर देंगे।
मुठभेड़ों के मामलों में तो किसी भी अरे गरे से खुद की पिस्टल छिनवा कर भी उसके पैर में निशाना साध देते हैं। मुठभेड़ों के नाम पर दो मुकदमे तो पलक झपकते ही बढ़ा देते हैं। एक आर्म्स एक्ट और दूसरा हत्या के प्रयास का। जबकि हमारे यहां के थानों में जनता की सही घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज नही होती। ध्यान रहे हम गणतंत्र दिवस मना रहे हैं।