कानून और संविधानगौतमबुद्धनगर

मेरे तथाकथित अंबेडकर वादी भाइयों क्या इस तरह तुम्हें सम्मान मिलेगा? “भोलू भाटी” तो आज नही तो कल छूट जाएगा ~ मधु चमारी

भोलू भी हमारा छोटा भाई है, कानून हर समस्या का समाधान नही है, मैं खुद उसे मिलकर समझाऊंगी, मुझे उम्मीद है कि वो आगे से ऐसा कुछ नही करेगा ~ मधु चमारी

मधु चमारी

उम्मीद करती हूं कि आप सभी मुझ से भलीभांति परिचित होंगे। फिर भी एक बार फिर से अपना परिचय दे रही हूं। मेरा नाम “मधु चमारी” है। मैं एक दम सौ प्रतिशत “चमारी” हूं। उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर जिले के दादरी कस्बे के गौतमपुरी मोहल्ले की मूल निवासी हूं। मुझे अपने “चमारी” होने पर गर्व है। आप जैसे दूसरे समुदायों और जातियों के लोगों को उनकी जाति के नाम से पुकारते हैं, मुझे भी आप सम्मान के साथ “चमारी जी/ बहन मधु चमारी/ दीदी मधु चमारी/बुआ मधु चमारी” भी कह कर पुकार सकते हैं।

तमाम जानकार भी मुझे “चमारी जी” कह कर बुलते हैं। मेरी मां, बहन, भाई, भाभियां और दूसरे सभी रिश्तेदार भी मुझे इसी उपनाम से जानते हैं। इससे मुझे बेहद खुशी मिलती है। क्योंकि मुझे संपूर्ण समाज में बराबरी का अहसास मिलता है। मैंने अपने आप को “चमारी” सरनेम के साथ स्थापित किया है।दूसरे सरनेम वाले प्रतिष्ठित व्यक्तियों की तरह मैं भी “चमारी” सरनेम से प्रतिष्ठित हूं। “चमारी” होना मेरी पहचान है। इससे मेरे मन मस्तिष्क में कोई हिन भावना पैदा नही होती। मैं अपने समुदाय के लोगों से अपने सरनेम “चमार” को लगाने का आह्वान वर्षों से कर रही हूं। 

हमारे समाज के कुछ तथाकथित अम्बेडकर वादियों ने गुर्जर बरादरी के एक नवयुवक “भोलू भाटी” यूट्यूबर पर हमारे समुदाय के बारे में एक वीडियो में कुछ कहने भर के लिए गौतमबुद्धनगर जिले के ग्रेटर नोएडा के इकोटेक 1 थाने में एससी एसटी एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई है।

 

सबसे पहले तो मैं ऐसे तथाकथित बिरादरी वाले लोगों से कहना चाहती हूं कि आपनी समझ और बुद्धि को थोड़ा सा ऊपर उठा कर सोचना शुरू करो। एससी/एसटी कानून में भले ही कुछ भी प्रावधान है लेकिन आज के दौर में आपको इतनी सी बात पर इतना आहत होने की बिल्कुल भी जरूरत नही है। जिससे दूसरे समुदायों द्वारा हम से दूरी बना ली जाए। इस तरह की FIR दर्ज होने से न जाने कितने लोग मन ही मन हमें व हमारे समुदाय को कोसते हैं।

बता देना चाहती हूं कि “मायावती जी” को सत्ता से बाहर करने में एससी/एसटी एक्ट के अनावश्यक उपयोग का बहुत बड़ा रोल है। तुम दूसरे समुदायों के लोगों को छोटी-छोटी बातों के लिए कटघरे में खड़ा करोंगे और वे तुम्हें अपने वोट देकर विधायक, सांसद मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बना देंगे।

एससी/एसटी कानून पर कुछ शब्द कहना चाहती हूं। हमारे खुद के समाज में कुछ तथाकथित बिरादरी के लोग बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर का नाम लेकर कानून और संविधान की बड़ी-बडी बात करते हैं। आज मैं उन तथाकथित अम्बेडकर वादियों से एक सवाल का जबाब जानना चाहती हूं। क्या हर मामले में एससी/एसटी कानून ही विकल्प है? क्या कोई और रास्ता नही है ?

मेरा ये सवाल खासकर उन लोगों से जो अंबेडकर वादी होने के दावे के साथ (BSP) बहुजन समाज पार्टी और (ASP) आजाद समाज पार्टी से जुड़े हुए हैं। एक तरफ हम राजनीति में ओबीसी कार्ड खेल कर वोट बटोरने के लिए गुर्जरों, जाटों, यादवों आदि बैकवर्ड जातियों को एकजुट करके उनके वोट से सत्ता की चाबी चाहते हैं। हम मुस्लिमों से भी यही उम्मीद करते हैं कि वे हमारे साथ एकजुट होकर बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर के नाम पर वोट हमें दे दें।

दूसरी ओर हम मामूली बातों पर एससी एसटी एक्ट की तलवार लेकर खड़े हैं। पल भर में बगैर किसी को छूए हम इतने आहत हो जाते हैं कि एक कम पढ़े लिखे ओबीसी कैटगरी में आने वाले गुर्जर जाति के यूट्यूबर “भोलू भाटी” के लिए कानूनी कार्रवाई की मांग करते हैं। बल्कि हमारे तथाकथित अम्बेडकर वादियों द्वारा थाने में शिकायत देकर मुकदमा दर्ज कराया जाता है।

क्या भोलू भाटी पर एससी एसटी एक्ट का मुकदमा दर्ज हो जाने से हमारे सम्मान में चार चांद लग गए हैं? या उसके थाने में बंद हो जाने से या फिर उसके जेल जाने से हमारा मिशन कामयाब हो गया है? क्या दूसरे समुदायों के लोग इसी तरह हमें बराबरी और सम्मान देंगे ?

भोला भाटी आज नही तो कल छूट जाएगा। वैसे तो पुलिस को थाने से कानूनी प्रक्रिया के तहत ही छोड़ देना चाहिए। यदि पुलिस नही भी छोड़ेगी तो न्यायालय जमानत दे देगा। नतीजा कुछ तथाकथित अम्बेडकर वादियों द्वारा बेवजह न केवल गुर्जर समाज से बल्कि दूसरे समुदायों से भी वैमनस्यता को बढ़ा दिया।

यहां मैं आपको यह जानकारी दे देना चाहती हूं कि समाज में इस तरह के रवैए से वैमनस्यता बढ़ती है। हर बात पर एससी/एसटी एक्ट की तलवार लेकर खड़े हो जाना कहां का अम्बेडकर वाद है ? क्या कोई मारपीट हुई या कोई तोड़ फोड़ हुई ? भोलू भाटी ने वीडियो में ऐसे कौन सी बड़ी बात कह दी जो आप थाने और पुलिस तक पहुंच गए? ये वीडियो भी देखिए 👇

क्या आप जानते हैं कि हम अपने प्रति दूसरों का नजरिया अपनी काबिलियत से बदलेंगे तो ज्यादा बेहतर नतीजे होंगे। सच कहूं तो एससी एसटी एक्ट का दुरुपयोग हमें मुख्य धारा में शामिल होने से रोकता है। माना एससी एसटी कानून के तहत FIR हो सकती है। क्या हर बात के लिए कानून और FIR ही विकल्प है?

मैं खास तौर से (BSP) बहुजन समाज पार्टी और (ASP) आजाद समाज पार्टी के पदाधिकारियों से कहना चाहती हूं कि यदि हमें आगे राजनीति करनी है। कुछ बड़ा करना और सोचना होगा। बात-बात पर एससी एसटी एक्ट की तलवार खींच कर क्या साबित करना चाहते हो? हमें आगे बढ़ने के लिए एससी एसटी एक्ट की तलवार को खुंटी पर टांग देना चाहिए। छोटी मोटी बातों को नजरंदाज करना होगा। तभी हम सबको साथ लेकर चलने का सपना देख सकते हैं। एससी एसटी एक्ट की तलवार हाथ में लेकर सबका साथ कभी भी नही मिल पाएगा। इसलिए हमारे समुदाय के अग्रणी नेताओं और कार्यकर्ताओं को उदार रुख अख्तियार करना चाहिए।

मुझे इस बात पर भी आश्चर्य हो रहा है कि हमारे समाज के भाई बात तो अंबेडकर वादी होने की करते हैं। बड़े बड़े महापुरुषों की तस्वीरें अपने सोशल मीडिया अकाउंटों पर लगा कर रखते हैं। लेकिन वे समाज में इतना सामंजस्य भी नही बैठा सकते कि ऐसे मामलों को मिल बैठकर आपस में निपटा लें।

आप इस लेख के साथ मेरी तस्वीरें देख रहे हैं। तस्वीरों को देखकर क्या आपको लगता है कि कोई भी व्यक्ति मेरे चमार समुदाय से होने के कारण मुझे निम्न स्तर पर देख रहा हो। ये अधिकांश तस्वीरें दूसरे समुदायों के संपादकों, पत्रकारों और अधिवक्ताओं के साथ की हैं। आप स्वयं खुद को कमतर देखने के अपने नजरिए को बदल लीजिए। सब आपको सम्मान देंगे।

एसी/एसटी एक्ट की तलवार हमें ताकत देने के बजाए समाज की मुख्य धारा से अलग कर रही है। इसका अनावश्यक उपयोग हमें सर्वसमाज से जोड़ने के बजाए अलग फैंकने का काम करता है। मैं अपने समुदाय के अग्रणी नेताओं से आग्रह करना चाहूंगी कि वे तथाकथित अम्बेडकर वादियों को समझाएं कि वे दो समुदायों के बीच वैमनस्य पैदा करने से परेज करें। सबको साथ लेकर चलेंगे तो ही भविष्य में अच्छे परिणाम सामने आएंगे।

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