राजनैतिक दल और धर्म की अफीम से मुक्ति की दो बुंदराष्ट्रीय

आपको धार्मिक अफीम देकर राजनीतिक दलों ने गुलाम बना दिया ~ संजय भाटी

धार्मिक अफीम और राजनैतिक दलों की गुलामी से आजादी के लिए दो बुंद 

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“आपको धार्मिक अफीम देकर राजनीतिक दलों ने गुलाम बना दिया” ~ संजय भाटी

सेवा सदन देवला। आपको धार्मिक अफीम देकर राजनीतिक दलों ने गुलाम बना दिया है। जिसके चलते चोर-उचक्के और भ्रष्टाचार में अकंठ डूबे लोग आपका नेतृत्व कर रहे हैं। लेकिन आपको धर्म की अफीम इस कदर बढ़ गई है कि आपको अपने बच्चों तक की परवाह नही है। बच्चों की शिक्षा पर आपका ध्यान नही है। आप खुद ही अपने बच्चों को हिन्दू-मुस्लिम में झोंक रहे हैं।

आपको धार्मिक अफीम इतनी चढ़ चुकी है कि आपको अपने घर की बगल में पड़े हुए कचरे से बदबू नही आती। पहले ये गंदगी केवल गरीब मजदूर व अशिक्षित लोगों की गलियों में हुआ करती थी। क्योंकि धर्म का ठेका पहले इन्हीं लोगों के पास था। उस समय आप ऐसे गली-मोहल्ले में नाक-मुंह बंद करके निकला करते थे। लेकिन आज ये गंदगी और कचरे का ढेर आपके घर के दरवाजे तक आ पहुंचा।

नालियों का गन्दा पानी लबालब होकर सड़कों पर बह रहा है। आपकी गली की नलियों का गन्दा पानी आपके घर में घुसने को तैयार है। लेकिन अब आपको इससे कोई मतलब नही है। आपको न तो इससे बदबू आती है। न ही अब नाली के गंदे पानी और कचरे के सड़ते हुए ढेर से आपको और आपके परिवार को किसी भी तरह की बीमारी होने का खतरा है। जाते हैं क्यों?

जन लीजिए आखिरकार ऐसा क्यों हो रहा है। सबसे पहले तो अब आपको ही पाकिस्तान के बारे में सब कुछ सोचना है, पाकिस्तान क्या कर रहा है? पाकिस्तान के लोग क्या कर रहे हैं? पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कैसी चल रही है? बॉर्डर पर पाकिस्तान क्या कर रहा है? पाकिस्तान के बारे में अगरा-वैगरा सब आपको सोचना है। क्योंकि मानों एक तो भारतीय सेना की जिम्मेदारी अब आपके कंधे पर है। आप ही उसे कमांड कर रहे हैं। धर्म की अफीम के कारण आपको लगता है कि सेना के जवान, अधिकारी सब मानों छुट्टी पर गए हैं।

धर्म की अफीम इतनी चढ़ गई है कि मानों देश का रक्षा विभाग भी आप ही चला रहे हैं। क्या करें धर्म की अफीम इतनी चढ़ गई है कि मानों पाकिस्तान का एडीशनल चार्ज का बोझ भी आप पर ही हावी हो गया है।

पहली डोज में इतना ही काफी है। क्योंकि धर्म की अफीम के कारण कोई दूसरी दवा काम नही करती है। इससे आपका दिमाग सातवें आसमान तक जा सकता है, मतलब आपकी सोच और आप ज्यादा बड़े लेवल पर पहुंच जाते हो। आपकी सोच उन संत-महात्माओं और दार्शनिकों जैसी हो जाती है, जो हल्के-हल्के गांजे और भांग के सुट्टे मार कर समाज में धार्मिक उपदेश देते हैं। आपको वर्तमान में क्या हो रहा है? आपके खुद के परिवार की क्या जरूरतें हैं? यहां तक कि आपको अपने खुद के बच्चों के भविष्य यानी पढ़ाई-लिखाई, स्वास्थ्य पर ध्यान भी नही रहता। आपके आसपास क्या चल रहा है? मतलब गली-मोहल्ले की नालियों की गंदगी और कुढ़े के ढेर आपको दिखाई नही देंगे। धर्म की अफीम से आपको यह विश्वास हो जाता है कि जो ज़िम्मेदारियां आपकी हैं वे तो भगवान की मर्जी पर हैं। धर्म की अफीम चढ़ जाने पर आपको ऐसा लगेगा कि आपकी जिम्मेदारी तो केवल दूसरे धर्म वालों को ललकारने और उनकी खिलाफत करने भर की है।

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आपको हमारी दवा की पहली दो बूंद दी गई है रिएक्शन भी हो सकता है। ये टेस्टिंग डोज है। धर्म और राजनीति दलों की गुलामी की अफीम उतार कर आपको आपकी जिम्मेदारी समझाने के लिए, बाकी हमारी दवा की दो बुंद यदि रिएक्शन नही करेंगी तो काम और दवाईयां आपके गली-मोहल्ले में आकर दी जाएगी ~ संजय भाटी

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