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उधार और सब्जी बेचकर कमाए पैसे से लिया ई-रिक्शा चोरी, दो दिन से FIR तक दर्ज नही, कानूनी मदद के लिए टीम सहित ‘संजय भाटी’ पहुंचे

परिवहन विभाग से रजिस्टर्ड ई-रिक्शा/वाहन के मामले में पुलिस को जितना जल्द हो सके FIR दर्ज कर लेनी चाहिए ~ संजय भाटी

मधु चमारी/राजा मौर्या

सुप्रीम न्यूज नेटवर्क की देवला टीम कानूनी मदद के लिए पहुंची। देवला में एक गरीब दम्पत्ति जिसका उधार व सब्जी बेचकर कमाए पैसे से लिया गया ई-रिकशा की चोरी हो गया। सुप्रीम न्यूज की टीम ने पीड़ित परिवार को कानूनी प्रक्रिया की जानकारी देते हुए मामले को नोएडा से लेकर प्रदेश पुलिस तक के संज्ञान में लाते हुए कानूनी कार्यवाही को आगे बढ़वाया।  

सूरजपुर। दिनांक 28/05/2023 गौतमबुद्धनगर जिले के सूरजपुर थाना क्षेत्र के देवला गांव में किराए पर रहने वाले गरीब का ई-रिकशा नम्बर UP16KT5297  देर रात्रि चार्जिंग के लिए अपने किराए के कमरे के पास लगा रखा था। जिसे वहां से चोर ले गए। ई-रिक्शा के चोरी होने की जानकारी लगभग रात्रि 3 बजे हुई। जानकारी होते हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस की 112 सेवा पर सूचना दी गई। पुलिस आई और अपनी प्रक्रिया करके चली गई। इस मामले की लिखित तहरीर भी पुलिस को चौकी/थाने जाकर दे दी गई।

 

लेकिन दो दिन बाद भी पुलिस द्वारा न तो तहरीर की रिसिविंग कर के दी, न ही FIR दर्ज की गई। जबकि आजकल ई-रिक्शा बाकायदा सरकार के परिवहन विभाग में रोड़ टैक्स, GST, बीमा आदि सब कुछ के बाद ही सड़क पर उतरते हैं।

यहां हमारा कहना यह भी है कि परिवहन विभाग से रजिस्टर्ड ई-रिक्शा का उपयोग चोर किसी अपराध में भी कर सकते हैं। दूसरे बगैर FIR के बीमा कंपनी वाहन के लिए कोई क्लेम तक नही देगी। अतः पुलिस को ऐसे मामलों में तुरंत FIR दर्ज कर लेनी चाहिए ~ संजय भाटी 

ग्रेटर नोएडा में अधिकांश लोग रोजी रोटी कमाने के उद्देश्य से देश के दूसरे जिलों से आकर यहां मेहनत मजदूरी करके अपनी गुजर बसर करते हैं। गौतमबुद्धनगर जिले में अधिकांश लोग देश के अलग-अलग क्षेत्रों से यहां औद्योगिक क्षेत्र होने के चलते आते हैं।

रिश्तेदारों से उधार और पत्नी ने सब्जी बेचकर कमाए पैसे से पति के लिए ई-रिक्शा लिया था, उसे चोर ले गए। योगी जी का पालतू मीडिया कहता है कि उत्तर प्रदेश में अपराधी प्रदेश छोड़कर भाग गए हैं या फिर गले में तख्तियां डाल कर बता रहे हैं कि हम ने अपराध छोड़ दिया। जबकि वास्तविकता कुछ और ही है।

पुलिस को सरकारें काम नही करने देती तो फिर पुलिस भी मजबूरी वश ढुलमुल रवैया अपनाने लगती है

यहां हमारा कहना यह है कि ई-रिक्शा वाले गरीब ने सरकार व बीमा कंपनी को हर स्तर पर उनके नियमों को मानने हुए पैसे का भुगतान किया। लेकिन जब गरीब का ई-रिकशा चोरी हो गया तो योगी जी की पुलिस दो दिन तक FIR तक दर्ज नही कर सकी। यहां हम पुलिस को इसके लिए दोषी नही बताना चाहते। बल्कि आप सभी को यह बताना चाहते हैं कि पुलिस भी सरकार की नीतियों का शिकार हो रही है। पुलिस पर सरकार का कम से कम अपराध दर्ज करने का दबाव तो रहता ही है। इसके अलावा पुलिस साधनों के आभाव से लेकर मैन पॉवर की कमी से भी जुझती है। इसके अलावा दूसरा बड़ा कारण यह भी है कि कई बार पुलिस अपराधियों को पकड़ने के प्रयास में लगे होने और कानूनी लिखापढ़ी की पेचीदगियों से बचने के लिए भी ऐसा करती हैं।

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