सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया
नफरती भाषण पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
बीते मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने नफरती भाषण का त्याग करने की नसीहत दी है, इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संविधान के हिसाब से भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। धर्मनिरपेक्ष का मतलब सेकुलरिज्म से होता है। जबकि आप देखते होंगे कि सेक्युलरिज्म के समर्थकों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर किसी तरह का व्यवहार किया जाता है ~ संजय भाटी
मीडिया रिपोर्टों से
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश में सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए नफरती भाषण का त्याग करना मूलभूत जरूरत है।
बीते मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में नफरती भाषण के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी जस्टिस के.एम. जोसेफ और जस्टिस बी वी नागारत्ना की पीठ द्वारा दी गई।
पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि ऐसे मामलों में FIR के मुताबिक क्या कार्रवाई की गई है, क्योंकि सिर्फ शिकायत दर्ज करने से इस समस्या का समाधान नही होने वाला है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि नफरती भाषण के संबंध में 18 FIR दर्ज हैं।
ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी कहा था कि संविधान के मुताबिक भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है।