पुलिस-प्रशासन
पुलिस-प्रशासन संतुलन बनाए रखें पत्रकारिता की आड़ में छिपे अपराधियों को बेनकाब किया रहा है
पुलिस प्रशासन संतुलन बनाए रखें हम गौतम बुद्ध नगर के मूल निवासी हैं जन्म से ही जिले में रह रहे हैं अपने जिले के अधिकांश अपराधियों और उनके संरक्षकओं को भली-भति जानते हैं। जिले में पिछले 25 साल से हो रहे राजनीतिक उठापटक पर भी हमारी नजर हमेशा बनी रहती है। संक्षेप में हम यह कहना चाहते हैं कि गौतम बुद्ध नगर जिले में अधिकांश अपराध जमीनों को लेकर है इन्हीं जमीनी विवादों को लेकर मारपीट हत्याएं वह दूसरे प्राथमिक घटते हैं।
जिले की राजनीति और पत्रकारिता जिले में बढ़ती हुई जमीनों की किंतु से न केवल प्रभावित हुई है बलिक जमीनों के घपले होटल में पूरी तरीके से शामिल है। इन बढ़ती हुई जमीनों के घपले घोटालों में करोड़ों कमाने की ललक लेकर जिले में न केवल उत्तर प्रदेश भर के दूसरे जिलों के मलिक यह कहा जाए कि देश भर के अपराधिक मानसिकता के लोग आकर यहां डेरा डालने लगे।
जिनमें से कुछ यहां की राजनीति में शामिल हो गए तो कुछ पत्रकारिता और समाज सेवा जैसे ढकोसलों में शामिल हो गए। इन बाहर से आए हुए लोगों के पास गौतम बुध नगर में पहले से मौजूद अपराधियों को संरक्षण देने के अलावा अपने धंधे को आगे बढ़ाने का साधन नही था। यहां हमारा मतलब यह है कि जो स्थानीय लोग अपराधों में शामिल थे। बहार से आए बाजीगरों के पास गौतमबुद्धनगर के स्थानीय अपराधिक पृष्ठ भूमि के लोगों को संरक्षण देने के अलावा अपने वजूद को बनाने और अवैध कमाई करने का कोई दूसरा जरिया नहीं था।
यहां हम बहुत कम शब्दों में सिर्फ इतना कह रहे हैं कि गौतमबुद्धनगर में पत्रकारिता, राजनीति और समाजसेवा के नाम पर आए दिन नई-नई नौटंकियां करने वाले लोगों तरह-तरह की नेतागिरी करके आर्थिक लाभ कमाते हैं। ऐसे लोगों करोड़ों और अरबों में खेलते हैं। जो एक बहुत बड़ा गौरखधंधा है। जिसे समझना आम आदमी के लिए आसान नहीं है। क्योंकि इस सब में गौतमबुद्धनगर नगर के पत्रकारों की अहम भूमिका होती है। जिसमें पत्रकारिता में बैठे लोगों द्वारा पुलिस प्रशासन के अधिकारियों को गुमराह कर अपने अन्नदाताओं को लाभ देकर खुद की जेब भरने का काम होता है।
20-25 वर्ष पहले से ही प्रेस के लोगों ने भूमाफियाओं, बिल्डरों और आर्थिक अपराधियों को संरक्षण देने का काम शुरू कर दिया था। लेकिन वर्तमान में ये सब संरक्षण देने तक सीमित नही रहा। बल्कि समय के साथ-साथ अपराधियों और भूमाफियाओं द्वारा या तो खुद के अखबार निकाला लिए या फिर खुद या परिजनों को बड़े अखबारों और टीवी चैनलों में पत्रकारिता करने के लिए शामिल हो गए।
समय के साथ-साथ भूमाफिया, ठेकेदारी, ठगी करने वाले लोगों ने जिले की पत्रकारिता को अपने कब्जे में लेने की योजना के तहत पत्रकारों के संगठन बनाकर एजेंडा पत्रकारिता और अवैध वसूली को उद्देश्य बना कर पत्रकारिता को मुठ्ठी में कस लिया। जिसके चलते पत्रकारों ने पुलिस-प्रशासन को भी कब्जे में लेकर कानूनी प्रक्रियाओं को अपंग बना दिया।