नोएडा प्राधिकरणपुलिस-प्रशासनभ्रष्टाचार और दबंगई

कमिश्नर साहब पब्लिक कैसे उठाए पुलिस-प्रशासन और पत्रकारों की मंथली का बोझ?

ऊपर से प्राधिकरणों के लोग भी हैं

मंथली सेट नही हुई तो सैकड़ों गरीबों को बेरोजगार कर मातहतों ने नियमों और कानूनों का पाठ्यक्रम चालू कर दिया। नए कमिश्नर का रबाब मीडिया में इतना दिखा दिया जाता है कि गरीब अपनी समस्याओं को कमिश्नर के सामने रखने की हिम्मत नही जुटा पा रहे हैं। न तो मीडिया सपोर्ट कर रहा है न कोई नेता और न कोई समाजसेवी ही आगे आ रहा है। नोएडा में मंथली का खेल ही ऐसा है। कोई करे भी तो क्या करे?

पहले गुंडे मवालियों की मंथली होती थी। अब तो पुलिस-प्रशासन और पत्रकारों तक की मंथली होती है। समाजसेवियों पर भी ज्यादा भरोसा नही किया जा सकता। सभी समाजसेवियों के बीच संगठन के पदों को लेकर जुतम पतरम होती रहती है। ऐसे में पुलिस अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी छोड़कर प्राधिकरणों का कार्यभार संभाल लिया है।

रोजगार ना मिलने से लोग कर रहे हैं त्राहिमाम, कुछ तथाकथित लोगों ने पुलिस के द्वारा छीन लिया गरीबों का निवाला

 

सुप्रीम न्यूज़ संपादक/मधु चमारी

नोएडा थाना 39 क्षेत्र के सदरपुर सेक्टर 45 सोम बाजार में 15 से 20 वर्षों से सैकड़ों लोग रेहडी पटरी लगाकर अपने परिवार का पालन पोषण जैसे तैसे कर रहे थे। सूत्रों ने बताया कि तथाकथित लोगों और पुलिस की दैनिक बाजार से मंथली नही हुई सेट तो बजार हटवा दिया। वैसे तो देखा जाता था कि नोएडा प्राधिकरण के पीले पंजे से पलायन करके आए रेडी पटरी के दुकानदार वैसे ही त्राहिमाम कर रहे हैं।

नोएडा पुलिस अपनी जिम्मेदारी के कार्यों को छोड़कर गरीबों का निवाला छीनने पर उतारू है। प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने कोविड-19 के दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस को निर्देश दिए थे कि गरीब रेहड़ी पटरी के पति विक्रेताओं को परेशान ना करें, उन्हें रोजगार करने दें ,लेकिन नोएडा पुलिस के कुछ अधिकारी अपने निजी स्वार्थ और द्वेष भावना के चलते अतिक्रमण का नाम लेकर प्रताड़ित कर रहे हैं सूत्रों ने यह भी बताया कि दैनिक बाजार में दिन में लगने वाली रेहडी पटरी की दुकानों से मंथली उगा कर पुलिस दुकानों को लगवाती है, अगर कोई दुकानदार पुलिस द्वारा किए जा रहे निंदनीय कार्य की शिकायत उच्चाधिकारियों से करने का प्रयास भी करता है तो पुलिस उन व्यक्तियों के लिए फर्जी मुकदमों में जेल भेजने की धमकी भी देती है जिस वजह से द्वेष भावना रखने वाले अधिकारियों द्वारा कराई जा रही प्रताड़ना को सैकड़ों दुकानदार झेलने के लिए मजबूर है। अगर पथ विक्रेताओं का प्रतिनिधिमंडल हिम्मत कर द्वेष भावना रखने वाले अधिकारियों की शिकायत उच्चाधिकारियों से करने भी पहुंचते हैं तो उन्हें स्थानीय प्रशासन जेल भेजने की धमकी दे देता है।

पुलिस और कानून के नाम पर सबसे बड़े दुर्भाग्य की बात तो यह है कि यदि कोई व्यक्ति अधिकारियों को क्षेत्र में चल रही अवैध गतिविधियों के बारे में जानकारी देते हैं तो सब कुछ सामने होने के बाद भी अधिकांश अधिकारियों द्वारा सब कुछ नजरअंदाज कर दिया जाता है। कुछ मामलों में तो अधिकारियों द्वारा अपराधियों की ट्विटर आदि पर वकालत तक की जाती है। जैसे क्षेत्र में बिक रहे अवैध गांजे, अवैध तरीके से बिक रही दारू, अवैध तरीके से बड़े पैमाने पर बाजारों में कई एलपीजी गैस एजेंसियों के सहयोग से लोगों के द्वारा खुलेआम धड़ल्ले से गैस रिफिलिंग व कालाबाजारी, सट्टा व जुआ, अवैध पार्किंग या अवैध कालोनियां काटने वाले भूमाफियाओं आदि। यहां हम स्पष्ट रूप से यह जानकारी कमिश्नर गौतमबुद्धनगर को दें रहें हैं कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में अनेकों जगह डेली व सप्ताहिक बाजार लगते हैं। जो प्राधिकरणों के वेंडर जोन से बाहर है। लेकिन वहां से स्थानीय पुलिस व स्थानीय तथाकथित नेताओं, तथाकथित समाजसेवियों व क्लबिया गैंग के पत्रकारों की जेब गर्म होती रहती हैं तो रेहड़ी पटरी लगाने वालों के सामने कानून व कानून व्यवस्था कोई रोड़ा नही बनती। जहां ये सब चलता रहता है वहां के बाजारों को बहुत ही सुनियोजित तरीके से चलाया जाता है।

 

अब एक बड़ा सवाल यह भी है कि क्या अब जिले में मीडिया मैनेजमेंट कर अधिकारियों द्वारा हीरो बनने का दौर पहले की तरह चलता रहेगा या फिर गौतमबुद्धनगर पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम की कमान संभाल रहीं आईपीएस अधिकारी लक्ष्मी सिंह जनहितैषी पत्रकारिता और पत्रकारों को सपोर्ट करेंगी या फिर दमन और पुलिसिया दंश का दौर बरकरार रखा जाएगा।

 

सुप्रीम न्यूज की टीम गौतमबुद्धनगर पुलिस कमिश्नर के सामने गरीब जनता की समस्याओं को समाचार पत्र के माध्यम से रखते हुए उनकी ओर ध्यान आकर्षित करना चाहता है। जिससे गरीबों की रोजी रोटी और सम्मान से जुड़े मुद्दों का उचित निस्तारण हो सके।

 

 

 

 

“””” (स्थानीय पुलिस अधिकारियों की दमनकारी नीतियों के कारण गरीबों का स्वरोजगार तथा जीवन पर गहरा संकट आन पड़ा है पिछले कुछ महीनों से सैकड़ों पति विक्रेताओं को पुलिस द्वारा उजाड़ दिया गया है जबकि भारतीय संविधान द्वारा सभी गरीबों को जीवन यापन करने का स्वतंत्र अधिकार प्रदान किया गया है और प्रशासनिक कार्रवाई से संरक्षण एवं संवर्धन प्रदान करने के लिए अजीब का संरक्षण एवं पद विक्रय विनियमन अधिनियम 2014 में स्पष्ट किया है कि जब तक प्रत्येक पद विक्रेताओं को सुनियोजित नहीं किया जाता है तब तक किसी भी स्थिति में पति विक्रेताओं को विस्थापन नहीं किया जा सकता मगर स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने स्वयं संविधान एवं कानून सर्वोच्च मानते हुए उन्हें उजाड़ने की कार्रवाई की गई है जो कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय अहवेलना के समान है””)

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