_-राजेश बैरागी-_
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण आज तिथि तक अधिग्रहीत की गई कुल भूमि में से कितनी भूमि का उपयोग कर पाया है? यह प्रश्न इसलिए महत्वपूर्ण हो गया है कि भूमि कोष के लिए तरस रहे प्राधिकरण के पास अपनी ही अधिग्रहीत भूमि का कोई लेखा जोखा नहीं है।
प्राधिकरण सूत्रों के अनुसार अभी तक प्राधिकरण लगभग सोलह हजार हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण कर चुका है। इसमें से लगभग नौ हजार हेक्टेयर भूमि का उपयोग आवासीय, औद्योगिक, वाणिज्यिक, संस्थागत कार्यों के लिए आवंटित भूखंडों तथा जनसुविधाओं, हरित पट्टी आदि में उपयोग किया गया है। शेष लगभग सात हजार हेक्टेयर भूमि कहां है? प्राधिकरण में यह प्रश्न पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी नरेंद्र भूषण ने भी अपने कार्यकाल में मातहतों से पूछा था। खोजबीन भी की गई। कुछ भूमि किसानों और अन्य लोगों के अवैध कब्जे में बताई जाती है। हालांकि अवैध कब्जों को हटाने में भी प्राधिकरण ने कभी ठोस कार्रवाई करने में रुचि नहीं दिखाई है। दिखावे की कार्रवाई होती रहती है। प्राधिकरण की अतिक्रमण हटाओ टीमें मौके पर जा कर “इतने करोड़ रुपए की भूमि मुक्त कराई” के दावे के साथ लौट आती हैं। क्या प्राधिकरण की सात हजार हेक्टेयर भूमि अवैध कब्जों की चपेट में है?
संभवतः स्वयं प्राधिकरण ऐसा मानने को तैयार नहीं होगा। तो फिर जमीन है कहां? क्या जमीन को जमीन खा गयी या आसमान निगल गया। भूमि कोष के अभाव में किसानों को आबादी विस्तार के लिए सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद भूखंड आवंटित न करने, किसानों को लीज बैक न करने और नयी परियोजनाओं को जमीन पर लाने में असमर्थ ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण फिर क्या कर रहा है? इस प्रश्न का उत्तर भी कोई देने को तैयार नहीं है।
(साभार:नेक दृष्टि हिंदी साप्ताहिक नोएडा)
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