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क्लबिया साजिशों का शिकार पत्रकार राजा मौर्य अदालत के द्वार पर

राजा मौर्य का मामला दूसरे बहुत से क्लबिया पत्रकारों के लिए एक गंभीर संदेश देते हुए एक नसीहत भी है जो यह स्पष्ट करता है कि क्लबिया गैंग कभी भी अपने अन्नदाताओं और आकाओं के खुलासे सहन नही कर सकता। क्लबिया गैंग में शामिल होकर अवैध उगाही और एजेंडा पत्रकारिता तो की जा सकती है लेकिन जनहित कारी पत्रकारिता नही की जा सकती।

सुप्रीम न्यूज के लिए मधु चमारी की खास रिपोर्ट

कमिश्नरेट पुलिस के संरक्षण में चल रहे अवैध कार्यों का खुलासा करने वाले पत्रकार पर नोएडा पुलिस ने अपनी खुन्नस निकालने के लिए एक आरोपी के बयान में राजा मोर्य का नाम दर्ज कर दिया वांटेड, -वाह रे नोएडा पुलिस तेरा भी जवाब नही

कम उम्र के नवयुवक पत्रकार और कल तक के क्लबिया पत्रकार राजा मौर्य को मालूम ही नही था कि खबरें लिखने के लिए क्लबिया सदस्यता नही मिलती। नोएडा मीडिया क्लब की सदस्यता तो खबरों को मेनेज करने के लिए दी जाती है। राजा मोर्य को अब मालूम हुआ कि नोएडा में सच्चाई लिखना बहुत मंहगा पड़ता है।

 

 

नोएडा मीडिया क्लब यानी क्लबिया गैंग द्वारा पत्रकारों के हितों की बात करके राजा मोर्य जैसे गरीब परिवार के नौजवान से भी सदस्यता के नाम पर 2500 रुपए ठग लिए गए। राजा मोर्या के संपादक को नोएडा के पत्रकारों द्वारा राजा मोर्य को झूठे मुकदमों फंसा कर जेल भेजने की योजना महीनों पहले से दे दी गई थी। यह जानकारी सुप्रीम न्यूज के संपादकों को भी कुछ पत्रकारों द्वारा दी गई थी। वैसे भी यह कोई नई बात नही थी। उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ दल की कानून व्यवस्था की पोल खोलने वाले पत्रकारों के साथ ये सब होता रहता है।

 

पत्रकार संगठन के नाम पर चलने वाले नोएडा मीडिया क्लब यानी क्लबिया गैंग के लिए यह बहुत ही शर्म की बात है कि जिस क्लबिया गैंग में हत्यारों, हिस्ट्रीशीटरों , भूमाफियाओं, बिल्डरों और आर्थिक अपराध से जुड़े परिवारों के लोग क्लबिया गैंग की कार्यकारिणी के सदस्य हों। अनुशासन समिति में हिस्ट्रीशीटर बाप का बेटा हो। वे सब किसी आरोपी के 161 के बयान के नाम पर पुलिस के द्वारा लिखें गए राजा मोर्या के नाम पर राजा मौर्या को नोएडा मीडिया क्लब से निष्कासित कर खुद को धर्मात्मा घोषित करते हैं।

 

पुलिस-प्रशासन के संरक्षण में पनप रहे अवैध कारोबारों के विरुद्ध अभियान चलाने वाले नवयुवक पत्रकार राजा मौर्य को अवैध कारोबारी, मंथली बाज मीडिया माफियाओं और पुलिस-प्रशासन के द्वारा षड्यंत्र कर फंसाया जा रहा है।

राजा मौर्य ने पुलिस-प्रशासन को 50 से अधिक अवैध कारोबारियों पर करवाई करने के मजबूर किया था।

राजा मौर्य के बारे में नोएडा वासियों से प्राप्त जानकारी

नोएडा लोगों द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक पता चला कि राजा मौर्य कम उम्र के निर्भीक पत्रकार है उन्होंने कलम की ताकत से अवैध तरीके से प्रशासन के संरक्षण में चल रही अवैध गोरखधंधा जैसे देह व्यापार अवैध कब्जे खनन माफियाओं अवैध मादक पदार्थ अवैध शराब गांजा चरस व जिले में तथाकथित गैंग और विभाग की मिलीभगत से बिक रही ओवररेट शराबबंदी रात्रि में ब्लैक में शराब की बिक्री करने वालों पर कार्रवाई कर अंकुश लगवाने का कार्य किया बल्कि सूत्रों द्वारा पता चला कि काफी समय से निष्पक्ष खबर दर्शाने और अवैध कार्यों के खुलासा करने पर पत्रकार राजा मौर्या को प्रशासन के वरिष्ठ लोगों और माफियाओं द्वारा झूठे मुकदमे में जेल भेजने जान से मारने की चेतावनी भी दी गई थी लेकिन फिर भी निडर होकर आज का मुद्दा न्यूज़ के पत्रकार राजा मौर्य अवैध कार्यों के खिलाफ खबरों को प्रकाशित करते रहे, जिससे तंग आकर अवैध कारोबारी माफियाओं ने प्रशासन द्वारा आरोपी से एक घटना में उनका नाम लिए जाने पर प्रशासन ने बिना जांच कर उनका नाम घटना में घसीट दिया, यही नहीं बल्कि आम नागरिकों और समाजसेवियों ने बताया कि नवयुवक पत्रकार राजा मौर्य प्रशासन और दबंगों द्वारा प्रताड़ित होकर आने वालों को न्याय दिलवाने में मदद करने का करते थे प्रयास, उन्होंने कुछ माह पूर्व में रहे थाना प्रभारी द्वारा किए गए नशे में धुत कृत्य घटना की खबर को किया था प्रकाशित, जिस मामले में अजय मौर्या का नाम घसीटा जाने लगा वह मामला नोएडा के थाना 58 क्षेत्र का है जिसके वर्तमान थाना प्रभारी विवेक त्रिवेदी है यह वही थाना प्रभारी है जो कि पूर्व में थाना फेस 3 के प्रभारी रहे थे इन्होंने अपने प्रति खबर प्रकाशित का बदला लेने के लिए राजा मौर्या को हवाला कांड में फर्जी तरीके से षड्यंत्र रचा कर शामिल कर दिया, पहले से ही पत्रकार राजा मौर्या को लगातार धमकाया जाने लगा और फर्जी मामलों में जेल भेजने की तैयारी भी की जाने लगी, उत्तर प्रदेश में निष्पक्ष पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों पर प्रशासन द्वारा उत्पीड़न होना कोई नई बात नहीं है
वैसे तो ईमानदार का ढिंढोरा पीटने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को निष्पक्ष खबर प्रकाशित करने वाले पत्रकारों पर पुलिस-प्रशासन द्वारा झूठे मुकदमें में फंसा कर जेल भेजने की योजना बनाने वाले पुलिस कर्मियों और अधिकारियों पर कार्रवाई करनी चाहिए। वैसे उत्तर प्रदेश में पत्रकारों को झूठे मुकदमों में फंसाकर जेल भेजना कोई नई बात नही है।

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