उत्तरप्रदेशगौतमबुद्धनगरभ्रष्टाचार
सरकारी मशीनरी और राजनीतिक संरक्षकों से हमारा आग्रह है कि क्लबिया गैंग से दूरियां बना लें
हम हर हाल में क्लबिया गैंग की गैरकानूनी गतिविधियों को बेनकाब करेंगे, रास्ते में रोड़ा मत बनों ~ संजय भाटी
झोपड़ी वाले पत्रकार का ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठता और कानून के पालन से जुड़े अधिकांश लोगों व सरकारी मशीनरी, पत्रकारों, समाजसेवियों व नेताओं के नाम खुला पत्र, जिसके माध्यम से हम राष्ट्र हित में अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए अपने उद्देश्यों को आप सभी को समझाने का प्रयास कर रहे हैं।
RTI से मांगी गई सूचनाओं को देकर भ्रष्टाचारियों और भ्रष्टाचार की सफाई करने में मददगार बनें
नकल सवाल और RTI पर बहस करना हमारा उद्देश्य नही है। सूचना चाहिए तो चाहिए
हम जिले के कुछ भ्रष्टाचार और अपराध में अकंठ डूबे पत्रकारों और उनके परिजनों से संबंधित सूचनाएं RTI के माध्यम से मांगते हैं। जिन्हें विभिन्न अधिकारियों द्वारा देने से इंकार कर दिया जाता है। इसका सीधा मतलब यह है कि अधिकारी क्लबिया गैंग के दबाव में आकर मांगी गई सूचना नही देते हैं। क्योंकि अधिकांश अधिकारियों के साथ विभिन्न मामलों में इन क्लबिया पत्रकारों की मिली भगत होती है।
यहां यह बात उल्लेखनीय है कि क्लबिया गैंग के पत्रकारों का तिलिस्म केवल उन पत्रकारों, समाजसेवियों, अधिकारियों और नेताओं आदि पर असर करता है जो स्वयं गैर कानूनी गतिविधियों में लिप्त होते हैं या जिनके परिजन आदि गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त होते हैं।
नोएडा मीडिया के क्लबिया गैंग के पापों का घड़ा वर्षों से भरा पड़ा है। अब इसके फुटने का समय आ गया है। बसपा और सपा के शासनकाल से ही नोएडा मीडिया के पाप के घड़े की दुर्गंध दूर-दूर तक फैली हुई थी लेकिन भाजपा के सांसदों और विधायकों ने इसे क्वच-कुंडल समझते हुए धारण कर लिया। गौतमबुद्धनगर पुलिस-प्रशासन में बैठे अधिकारी और कर्मचारी भी क्लबिया गैंग अमृत का प्याला समझते हुए पी रहे हैं। हमारी घासफूस की झोपड़ी में पहले भी बसपा और सपा सरकार को कुछ भी नही मिला था। अब भाजपा को भी कुछ नही मिलेगा। पुराने बसपाई, सपाई और पुराने क्लबिया सब के सब भले ही अब भाजपाई हो गए हैं। लेकिन सभी को ये बात पहले से ही मालूम है ~ संजय भाटी
हमें जो सूचनाएं चाहिए वो हम हर कीमत पर लेकर ही रहते हैं हमारे लिए पैसा अहमियत नही रखता।
हमारे बार-बार समझाने के बाद भी पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों द्वारा क्लबिया गैंग को संरक्षण देने की आदत नही जाती। श्रीमान ने सूचना अधिकार अधिनियम को ही नकार दिया। हम ठहरे घासफूस की झोपड़ी वाले हमें तो जो सूचनाएं चाहिए हम उन्हें मेरठ तो क्या लखनऊ आकर लाखों रुपए खर्च करके भी लेकर मानेंगे। विनती कर रहे कि हमारे रास्ते में आप रोड़ा मत बनों। हमारा और अपना समय बर्बाद मत करो।
अब आप समझ लें कि झोपड़ी वाले पत्रकार तो भ्रष्टाचार की जड़ तक जाते हैं। जिले में सोसायटी रजिस्ट्रार कौन से दूध के धुले हुए हैं। हम इन्हें नजरंदाज भी करें तो ये कौन सा मानते हैं।
आप समझ सकते हैं कि हमारी टीम लगातार भ्रष्टाचारियों को समझाने और ईमानदारी के साथ कानूनी काम करने के लिए आग्रह करती है। ये लोग कानून को घुमाफिरा कर हमारे मिशन को आगे बढ़ाने से रोकते हैं। आप समझ लीजिए कि इस तरह से क्लबिया गैंग के संरक्षकों पर हमारी नजर चली जाती है। हमारी मजबूरी बन जाती है कि क्लबिया गैंग के भ्रष्टाचार तक पहुंचने से पहले हमें इन्हें भी अपने बारे में बताना ही पड़ेंगा।
अपने पाठकों और सरकारी मशीनरी व क्लबिया गैंग के राजनीतिक संरक्षकों को यह जानकारी दे देना चाहते हैं कि हम सब कुछ कानून के दायरे में रहकर ही करते हैं। जिसका सीधा मतलब यह है कि कानून के दायरे में रहकर ही पहले क्लबिया गैंग की करतूतों के चिट्ठे खोलते हैं।
सबसे पहले दौर में हम अपने जिले की जनता और देश भर में बैठे कानून और सच्चाई के उन पुरोधाओं को भ्रष्टाचार की जड़ क्लबिया गैंग की वास्तविकता से रूबरू कराने का प्रयास करते हैं। जैसा कि हम पिछले कुछ समय से कर रहे हैं।
अब जो लोग समझदार हैं। वे इस शुरुआती दौर में ही अपने आप को दूर कर लेते हैं। लेकिन कुछ लोगों को क्लबिया गैंग के साथ मिलकर दलाली और अवैध वसूली/मंथली लेने की आदत इतनी पक चुकी होती है कि वे अपनी आदतों को लालच के वशिभूत होकर छोड़ने को तैयार ही नही होते हैं। जो लगातार क्लबिया गैंग को फंडिंग से लेकर संरक्षण तक देते रहते हैं। अब हमारी मजबूरी बन जाती है कि हमें ऐसे लोगों को भी बेनकाब करना पड़ता है।
यही हाल सरकारी मशीनरी मतलब पुलिस और प्रशासन में बैठे अधिकारियों और कर्मचारियों का भी होता है। जो समय के साथ-साथ अपने आप को भ्रष्टाचार से दूर करने के बजाए क्लबिया गैंग के साथ मिलकर हमारे खिलाफ खड़े होकर हमें कुचलने की योजना पर काम करने लगते हैं। हमारे खिलाफ फर्जी मुकदमों से लेकर तमाम तरह से क्लबिया गैंग की ओर से हमारे रास्ते में आ कर बेवजह खड़े हो जाते हैं।
अब आप समझ लीजिए जब हम प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ बार-बार मुलाकात करने और उनके साथ फोटो खींचवा कर अपनी क्षमताओं को प्रदर्शित कर रहे लोगों को बेनकाब करते हुए उनकी कारगुज़ारियों को लगातार जनता के सामने ला रहे हैं तो सरकारी मशीनरी जो आज जिले में है कल किसी और जिले में होगी। जब हम उसके और क्लबिया गैंग के संबंधों से उत्पन्न हुए भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था को गर्त में धकेल कर लूट खसोट करना पटकथा को उजागर करने पर ध्यान देना शुरू कर देंगे तो सरकार भी हस्तक्षेप करने को मजबूर हो जाएंगी।
पांच सौ, हजार वाले रिश्वत खोर हमारी मुहिम में रोड़ा न अटकाएं
जिले में केवल एक, दो ट्विन टावर या भूमि घोटाले नही है। न कोई एक, दो कब्रिस्तान, श्मसान घाट, तालाब, गोचर, जंगल आदि नही थे। जिले में चिटहेरा और तुस्याना के भूमि घोटाले के अलावा हजारों भूमि घोटाले हैं। जिनमें क्लबिया गैंग के बहुत से पत्रकारों ने बंदरबांट की हुई है। जिस बंदरबांट के सबूत हम RTI आदि के माध्यम से तलाश रहे हैं। जिसे पांच सौ, हजार की रिश्वत लेने वाले अधिकारी और कर्मचारी उलझाए रखतें हैं।
किसी पटवारी, बाबू या फिर चपरासी आदि का सौ दो सौ रुपए लेकर काम करने वाले वीडियो वायरल करना आज के दौर में बड़ी बात नही है। उत्तर प्रदेश में कोई दफ्तर ऐसा नही है। जहां सौ, दो सौ, पांच सौ वाला धंधा बंद हो। उप रजिस्ट्रार कार्यालय मेरठ भी इस गोरखधंधे से अछूता नही है। हमारे द्वारा मांगी गई सूचनाएं समय पर दे कर हमें हमारी मुहिम पर काम करने दो। हम पत्रकारिता के नाम पर हो रहे गोरखधंधे को जन जन तक पहुंचाना चाहते हैं।