दैनिक सुप्रीम न्यूज हिन्दी समाचार पत्र

सभी पाठकों और देश वासियों को सुप्रीम न्यूज परिवार की ओर से नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

सुप्रीम न्यूज के सभी पाठकों और देशवासियों को नव वर्ष 2023 की शुभकामनाओं के साथ एक विशेष जानकारी आप सभी को देने के लिए हम उत्साहित हो रहे हैं। सत्रह साल पहले आज ही के दिन “सुप्रीम न्यूज” का साप्ताहिक समाचार पत्र के रूप में पहले अंक का प्रकाशन किया गया था।

 

“सुप्रीम न्यूज” के प्रकाशन से पहले उस समय के बहुत से पत्रकारों के साथ मिलकर कई दैनिक अखबारों में मेरे द्वारा खबरें भेजी जाती थी। दस से अधिक अखबारों के लिए खबरें लिखने और अधिकांश खबरों के प्रकाशित न होने का अनुभव मुझे प्राप्त हुआ। मैं हमेशा अपने सिनियरों से खबरों के प्रकाशित न होने के कारण नाराजगी जताते हुए 10-20 दिन में ही अखबारों से खुद ही किनारा कर लेता था।

नव वर्ष, गणतंत्रता दिवस, स्वतंत्रता दिवस, होली, दीवाली आदि पर एक साथ कई-कई अखबारों के सिनियरों को मेरी याद आ जाती थी। उनके द्वारा मेरी खबरों पर लगा सेंसर हटाने का वादा करके किसी न किसी दूसरे पत्रकार के साथ मिलकर शुभकामना संदेश वाले विज्ञापन लाने को कहा जाता था।

जिन लोगों से विज्ञापन लेकर आने हैं। उनकी लिस्ट सिनियरों द्वारा थमा दी जाती थी। इनमें से अधिकांश वे लोग होते थे जिनकी कारगुज़ारियों को लेकर मेरे द्वारा खबरें भेजी जाती थी। कई बार तो मेरी खबरों से हटे सेंसर की खुशियां अखबार के सिनियरों द्वारा दी गई विज्ञापन देने वाले लोग की लिस्ट को देखते ही ध्वस्त हो जाती थी।

यही सिलसिला बहुत दिनों तक चलता रहा। लेकिन धीरे धीरे एक रास्ता निकाला। मैं बहुत से पत्रकारों के लिए पत्रकारिता करने लगा। इस तरह दस बीस खबरों में से एक खबर महीने दो महीने में कहीं छप जाती तो मुझे लगता कि मैंने देशवासियों के लिए कुछ किया है।

तभी देश भर में कुछ टीवी चैनलों पर समाचार दिखाए जाने लगे। टीवी चैनलों को देखकर मेरे अंदर का पत्रकार फिर से उत्साहित हो गया। यहां भी वही सब कुछ ही दिनों में मेरे सामने आ रहा था। इन दिनों कुछ लोगों ने केबल नेटवर्क वालों से मिलकर समाचारों के चैनलों की शुरुआत कर दी। मैं इनमें भी कईयों का हिस्सा रहा।

इस सब में मुझे जन साधारण द्वारा पत्रकार के रूप में पहचान हासिल हुई। सभी छोटे बड़े टीवी और अखबारों के पत्रकार भी जानने लगे। गांव देहात और गरीब मजदूरों व ईमानदार छवि के नेताओं का मैं पसंदीदा पत्रकार बन गया। मैं ईमानदार छवि के पुलिस अधिकारियों तक की पहली पसंद था।

छोटे व मंझले स्तर के पत्रकारों का मुझे भरपूर सहयोग और समर्थन मिलता था। उस समय के सभी बुजुर्ग पत्रकारों ने मुझे खुद का अखबार निकालने के लिए प्रोत्साहित किया। अखबार के लिए आवेदन भले ही मेरे नाम से था। जबकि अखबार के आवेदन में शामिल पत्रकारों को आवेदन करते समय मुझे से ज्यादा खुशी थी। मुझे वो दिन आज भी याद है।

अखबार के लिए जिले के सूचना विभाग से लेकर अभिसूचना इकाई तक सभी का भरपूर सहयोग मिला। रजिस्ट्रार ऑफ न्यूज पेपर के कार्यालय से भी बहुत सहयोग किया गया। मेरी जेब में आर एन आई से प्राप्त टाइटिल की कॉपी थी। मैं अपने साथियों के साथ अखबार के पहले अंक के प्रकाशन के लिए खबरों के लिए किसान और मजदूरों की खबरें कवरेज करने के लिए सूरजपुर जिलामुख्यालय पर आया।

वहां पर कुछ पत्रकारों ने एक किसानों के धरनें में शांति व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी सम्भालना रहे सूरजपुर थाना प्रभारी श्री राजीव यादव के कान में धीरे से मेरे बारे में फर्जी पत्रकार होने की बात कही। जिस पर श्री राजीव यादव ने मुझे रोक लिया। उन्होंने मुझ से मेरे बारे में जानकारी मांगी। मैंने जेब में रखे आर एन आई से प्राप्त टाइटिल लेटर को दिखाते हुए बताया कि मैं एक अखबार का मालिक और संपादक हूं।

इस पर “श्री राजीव यादव” ने मुझ से हाथ मिलाया। इसके बाद उन्होंने मुझे दुनिया के बड़े बड़े अखबारों और टीवी चैनलों के नाम लेते हुए “सुप्रीम न्यूज” को उनसे भी बड़ा मीडिया संस्थान बनने की शुभकामनाएं दीं।

 

संजय भाटी 

स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक सुप्रीम न्यूज दैनिक, साप्ताहिक, मासिक हिन्दी समाचार पत्र व supremenews.online  9811291332

 

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