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नौसिखिया पत्रकार का इतना खौफ की कुछ पत्रकारों ने आकाओं के इसारे पर खुद के माथों पर गुलाम लिख लिया

 संपादक की कलम से 

 

जिले में एक नौसिखिया पत्रकार का इतना खौफ की दूसरे पत्रकारों ने उसे मिटाने के लिए खुद के चेहरों पर खुद ही कालिख पोत ली। कलम के कुछ सिपाहियों ने तो आकाओ को खुश करने के लिए खुद को बेनकाब करते हुए खुद ही अपने हाथों से अपने माथे पर दलाल और गुलाम लिख लिया। ~ संजय भाटी 

गौतम बुद्ध नगर जिले में जब भी कहीं किसी अवैध कारोबार, अवैध शराब की बिक्री, सरकारी शराब के ठेकों पर ओवर रेटिंग और देर रात में ब्लैक में नियम विरुद्ध शराब व बियर की बिक्री करने, सुल्फा और गांजे की तस्करी और बिक्री करने से सट्टे की खाईबाडी या पुलिस-प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई खबर छपती है तो भ्रष्टाचारियों और अवैध कारोबारियों के जेहन में एक नाम दौड़ने लगता है। उसी नाम को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगते हैं। जब भी किसी सट्टेबाज गांजा तस्कर शराब तस्कर या सरकारी ठेकों पर हो रही हो वर रेटिंग और देर रात्रि में अवैध रूप से ब्लॉक में बेची जा रही शराब की कहीं कोई खबर सामने आती है तो सिर्फ और सिर्फ एक ही नाम की चर्चा चलने लगती है। गजब की बात है पूरे जिले में कहीं कुछ भी छपे बस एक ही पत्रकार का नाम गाया बजाया जाने लगता है। ताज्जुब तो इस बात का है कि एक नौसिखिया पत्रकार का इतना खौफ

अब आप कहेंगे कि जिले के दूसरे पत्रकार क्या करते हैं? तो आप भी जान लीजिए कि जिले के अधिकांश पत्रकार क्या करते हैं? वैसे तो ये केवल हमारे जिले की बात नही है। आपके जिलों में भी अधिकांश पत्रकारों का यही हाल होगा। गौतमबुद्धनगर में तो अधिकांश पत्रकार जिले में चल रहे अवैध कारोबार पर पर्दा डालने में लगे रहते हैं। वैसे तो यह अब एक आम बात है। हालात सभी जगहों पर ऐसे ही हैं कि जब भी कोई पत्रकार किसी गैरकानूनी धंधे जैसे सट्टा, जुआ, गांजे की तस्करी या बिक्री अवैध शराब की बिक्री किसी सरकारी ठेके पर ओवर रेटिंग, देर रात्रि में अवैध रूप से ब्लैक में की जा रही शराब व बियर आदि की बिक्री की खबरें प्रकाशित करते हैं।

 

किसी सरकारी निर्माण कार्य में घटिया किस्म की निर्माण सामग्री लगाए जाने की। या फिर किसी पुलिस प्रशासन के अधिकारी व कर्मचारी की गैरकानूनी गतिविधियों से संबंधित खबरों का प्रकाशन किया जाता है तो पत्रकारों का ही एक धड़ा ऐसी खबरें प्रकाशित करने वाले पत्रकार के खिलाफ चिल्लाना शुरू कर देता है। जिससे पत्रकारिता में लाइजनिंग और चमचागिरी कर रहे लोगों के चेहरे एकाएक सामने आने लगते हैं। जो चेहरे पत्रकारों के विरोध में सामने आते हैं वह इतने ढीठ और बेशर्म हो चुके होते हैं कि उन्हें जन सरोकारों से कोई लेना-देना ही नही है।

 

अब आप कहेंगे कि हमने आपको तमाम सारी जानकारियां देनी शुरू कर दी लेकिन उस पत्रकार का नाम नहीं बताया जिसने जिले भर में चल रही अवैध गतिविधियों के खुलासे कर पुलिस प्रशासन व यहां तक कि कि दूसरे पत्रकारों तक की भी पोल खोल कर रख दी उस पत्रकार का नाम क्या है? वैसे तो ये नाम लाइजनिंग और चमचागिरी कर रहे पत्रकारों ने अपने अखबारों और वेबसाइटों पर लिख-लिख कर दूसरे जिलों तक भी इतना प्रसिद्ध कर दिया कि अब इस नाम को हमारे द्वारा लिखने की जरूरत ही नही रही।

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