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कमिश्नर गौतमबुद्धनगर जिले भर में चल रहे सट्टा,खाईवाडी, गांजा व अवैध शराब तस्करों पर ध्यान दें

जन शिकायतों पर गम्भीरता से ध्यान दें, जनता को आपसे बहुत उम्मीदें हैं ~ संजय भाटी

सट्टा,गांजा व अवैध शराब तस्कर महिलाएं ईमानदार पुलिस वालों व पत्रकारों पर भी फर्जी मुकदमें लगा देती हैं। क्योंकि ये कुछ भ्रष्टाचारी पुलिस वालों के नजदीक संबंधों व संरक्षण में होती हैं। ऐसे अनेकों उदाहरण हैं ~ संजय भाटी 

गौतमबुद्धनगर। गौतम बुध नगर में जगह जगह सट्टेबाजों, गांजा तस्करों और अवैध शराब तस्करों ने अपने ठिकाने बना रखें हैं। ये लोगों अपने अवैध और गैरकानूनी धंधे में गरीब परिवारों के बच्चों व महिलाओं को शामिल कर पुलिस व स्थानीय समाज की आंखों में धूल झोंककर नेतागिरी करते रहते हैं।

अक्सर ऐसे लोगों मीडिया और पुलिस विभाग में भी अच्छी पेंठ बनाए रखते हैं। कभी-कभी तो ऐसे लोग मीडिया संस्थानों व समाजसेवी संस्थाओं के संचालकों की आंखों में धूल झोंककर या फिर आर्थिक लाभ देकर पत्रकार या फिर समाजसेवी संस्थाओं में पदाधिकारी तक बन जाते हैं।

गौतमबुद्धनगर में आए दिन आबकारी विभाग व पुलिस विभाग द्वारा आएं दिन कहीं ना कहीं अवैध शराब व गांजा तस्करों की गिरफ्तारी होती रहती है। ऐसा कोई दिन नही होता जब जिले से दो-चार लोगों को अवैध शराब या गांजा बरामद कर जेल न भेजा जाता हो। फिर भी इन लोगों का नेटवर्क समाप्त नही होता। आखिर ऐसा क्यों है?

आपको बता दें कि जो लोग सुल्फा, गांजा, अवैध शराब की बिक्री करते हुए पकड़े जाते हैं। या सट्टे की पर्चियां बनाते पकड़े जाते हैं । वे भले ही कानून की नजर में अपराधी होते हैं। सभी को दिखाई भी वही देते हैं। वास्तव में वे केवल दहाड़ी मजदूर की तरह होते हैं। जो कुछ सफेद पोशों द्वारा संचालित व संरक्षित अवैध कारोबार की सबसे छोटी इकाई होते हैं। शिकायत होने पर पुलिस कार्रवाई केवल इन्हीं लोगों तक होती है।

वास्तविकता तो यह है कि इस तरह के अवैध धंधों को संरक्षण प्रदान करने वाले बहुत मजबूत स्थिति में होते हैं। क्योंकि ये स्थानीय स्तर पर पुलिस-प्रशासन और प्रेस के साथ हमेशा सामंजस्य स्थापित करके रखते हैं। इनमें से कुछेक तो स्थानीय राजनीति और तथाकथित समाजसेवी होने के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों में शामिल होकर उनका झण्डा बुलन्द करते देखे जा सकते हैं।

अंत में हम गौतमबुद्धनगर की कमिश्नर श्रीमती लक्ष्मी सिंह का इस और ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं कि जिले में अधिकांश थाने और चौकी क्षेत्रों में अवैध शराब, गांजा, सुल्फा सट्टा आदि के बड़े सिंडिकेट काम कर रहे हैं। जो स्थानीय पुलिस को किसी न किसी रूप में चकमा देकर या मेनेज करके अपने अवैध धंधों को संचालित करते हैं। 

 पत्रकारिता से जुड़े हुए लोग भी इन सब कार्यों से अछूते नही हैं। जब भी पुलिस द्वारा इस तरह के किसी अवैध धंधे से जुड़े व्यक्ति की गिरफ्तारी की जाती है तो पत्रकारों से लेकर स्थानीय तथाकथित समाजसेवियों और स्थानीय छूट भैय्या नेताओं के जमघट थानों में मुजरा करने आ जातें हैं। 

यही कारण है कि आमजन इस तरह के लोगों के विरुद्ध शिकायतें नही करते हैं। क्यों कि स्थानीय पुलिस शिकायत करने वाले लोगों को ही डरा धमकाकर भगा देती है। या फिर शिकायत कर्ताओं को हवालात और जेल की हवा खिला देती है।

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