गौतमबुद्धनगरमिशन
भारत को समझने के लिए जुड़ना होगा अपने गौरवपूर्ण अतीत से : डॉ सत्यपाल
भारत को समझो अभियान समिति की ओर से आयोजित किए गए यज्ञ के अवसर पर एक साथ किया गया पांच पुस्तकों का विमोचन
ग्रेटर नोएडा। ( संवाददाता ) यहां स्थित अंसल सोसाइटी की महर्षि दयानंद वेद वाटिका में स्वामी दयानंद सरस्वती की 200वीं, म0 राजेंद्र सिंह आर्य की 112 वीं तथा माता सत्यवती आर्या की 99 वीं जयंती के उपलक्ष्य में संपन्न हुए पांच दिवसीय ऋग्वेदीय पारायण यज्ञ के समापन सत्र में विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए बागपत के लोकप्रिय सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ सत्यपाल सिंह ने कहा कि भारत को समझने के लिए हमें भारत के गौरवपूर्ण अतीत से जुड़ना होगा। उन्होंने कहा कि भारत की एक शानदार विरासत है। जिस पर हम सबको गर्व करने का पूर्ण अधिकार है।
डॉ सत्यपाल सिंह ने कहा कि भारत की विरासत को संपूर्ण विश्व की विरासत कहने में भी कोई अतिशयोक्ति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत प्राचीन काल से ही ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में संपूर्ण विश्व का मार्गदर्शन करता आया है । भारत की महान परंपराओं को अपनाकर सारे संसार ने सामाजिक व्यवस्था को विकसित किया। उन्होंने कहा कि यह कहना गलत होगा कि भारत ही ज्ञान का एकमात्र केंद्र रहा है और इससे अलग ज्ञान विज्ञान नहीं था, ज्ञान विज्ञान तो सृष्टि के कण कण में रचा बसा है, पर इस ज्ञान विज्ञान की परतों को सुलझाने, खोलने और समझने में सबसे अधिक सफल रहने वाला देश भारत ही है। उन्होंने कहा कि भारत का अभिप्राय ही ज्ञान की दीप्ति में रत रहने वाले देश से है। हमें इस बात पर गर्व है कि हम उन ऋषियों की संतानें हैं जिन्होंने सृष्टि के प्रारंभ में परमपिता परमेश्वर से सीधे वेद का ज्ञान प्राप्त किया। आज भी हम इसी वैदिक ज्ञान विज्ञान के माध्यम से ही समाज और संसार की समस्याओं का समाधान खोज सकते हैं।
जो लोग आज अपनी मजहबी शिक्षाओं के आधार पर संसार में उपद्रव मचा रहे हैं या एक दूसरे देशों पर आक्रमण कर रहे हैं, उनको भी वैदिक संस्कृति के साथ जोड़ने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री ने भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय संरक्षक श्री देवेंद्र सिंह आर्य की एक पुस्तक और उक्त अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता डॉ राकेश कुमार आर्य की भारत के महान ऋषि वैज्ञानिक, देश का विभाजन और सावरकर तथा महाभारत की शिक्षाप्रद कहानियां नामक तीन पुस्तकों के साथ-साथ सुप्रसिद्ध भजनोपदेशिका बहन कविता आर्या की ‘भजन सरिता’ नामक पुस्तक का विमोचन भी किया। उन्होंने कहा कि भारत को समझो अभियान एक महत्वपूर्ण अभियान है इसके सभी पदाधिकारी बधाई और अभिनंदन के पात्र हैं। इस अवसर पर श्री देवेंद्र सिंह आर्य ने अपनी पुस्तक के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि यह पुस्तक आध्यात्मिक क्षेत्र की कई शंकाओं का समाधान करने के उद्देश्य से प्रेरित होकर उन्होंने लिखी ।जबकि डॉ राकेश कुमार आर्य ने अपनी पुस्तकों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि भारत की महान सांस्कृतिक विरासत को समेटने और आज के परिप्रेक्ष्य में उसे सही अर्थ व संदर्भ के साथ प्रस्तुत करने के उद्देश्य से प्रेरित होकर उन्होंने अपनी इन तीनों पुस्तकों की रचना की है। ज्ञात रहे कि डॉ राकेश कुमार आर्य की अब तक 73 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
इस अवसर पर राष्ट्र निर्माण पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ आनंद कुमार ने कहा कि भारत के सांस्कृतिक मूल्यों को उजाड़ने के आज के षड्यंत्र को समझने की आवश्यकता है । उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की भारत के लोग तेजी से भारत की वैदिक संस्कृति को मिटाने के काम में लगे हुए हैं। जिसे हम आज के युवाओं के बिगड़ते हुए फैशन में देख सकते हैं। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि वर्तमान केंद्र सरकार को भारत की सांस्कृतिक विरासत को आज के युवा के मन मस्तिष्क में भरने के लिए शिक्षा नीति में व्यापक बदलाव करना होगा। उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद जी महाराज के राजनीतिक चिंतन को अपना कर ही वर्तमान राजनीति की विसंगतियों को दूर किया जा सकता है। छद्म धर्मनिरपेक्षता और वोटो की गंदी राजनीति की ओर संकेत करते हुए राष्ट्र निर्माण पार्टी के अध्यक्ष ने कहा कि हमें यथाशीघ्र भारत की राजनीति को वैदिक ऋषि, मुनियों और राजनीतिक मनीषियों के चिंतन के अनुसार परिवर्तित करने की दिशा में कार्य करना होगा। इस अवसर पर प्रोफ़ेसर विजेन्द्र सिंह आर्य ने भी अपने विचार व्यक्त किए और सबका धन्यवाद ज्ञापित करते हुए अध्यक्षता कर रहे सतीश नंबरदार की ओर से लोगों का आवाहन किया कि वे वैदिक संस्कृति के साथ जुड़कर देश सेवा के कार्य में लगें । इस अवसर पर भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय सुरक्षा पुरुषोत्तम मुनि और प्रेम सचदेवा सहित राष्ट्रीय संयोजक लखनलाल आर्य, राष्ट्रीय महामंत्री डॉ व्यासनंदन शास्त्री, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अनिल नरुला, प्रदेश महामंत्री विमलेश कुमार आर्य, कविता आर्या, सुनीति आर्या, ऋषि पाल भाटी एडवोकेट, बृजपाल भाटी, सरदार सिंह बंसल एड., मेजर वीर सिंह आर्य, अजय कुमार आर्य, श्रीनिवास आर्य, अमन आर्य, शकुंतला आर्या, श्रीमती सुमन, दया आर्या, मृदुला आर्या, ऋचा आर्या सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।