गौतमबुद्धनगर
क्या यह ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण है?
-राजेश बैरागी-_
नॉलेज पार्क -4 के भूखंड संख्या -1 पर बने विशाल भवन के समक्ष खड़े उस आगंतुक ने पूछा,-क्या यह ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण है?दीन हीन सा वह सज्जन अपने या अपने स्वामी के घर के पानी का बिल भरने आया था। राजप्रासाद की भांति लग रहे उस भवन में प्रवेश करने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी।दो बड़े बड़े दरवाजे जो बंद जैसे थे। उनके अंदर और बाहर कमांडो जैसी पोशाकों में तैनात गार्ड। उनके हाथ में वॉकी टॉकी और बिना वजह की भागदौड़। ऐसा नजारा साउथ एवेन्यू और नॉर्थ एवेन्यू में देखने को मिलता है। प्राधिकरण में अपनी समस्या लेकर आने वाले लोगों की निगरानी बढ़ा दी गई है। मैं कई बार सोचता हूं कि लोग इतनी समस्याएं लाते कहां से हैं जिन्हें प्रतिदिन देर रात तक प्राधिकरण में काम करने वाले अधिकारी निपटा नहीं पाते।एक आदमी लीज डीड और ट्रांसफर डीड संपन्न अपने भूखंड की खोज में छः वर्षों से नियमित आ रहा है।
उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के आदेशों के बावजूद एक हजार से अधिक किसान अपने आबादी भूखंडों की तलाश में आते हैं। ऑनलाइन आवेदन के बावजूद काम न होने पर अनेकानेक लोग सुबह मुंह उठाए प्राधिकरण चले आते हैं। इन्हें थामने के लिए पास लागू किया गया है। परंतु इनकी समस्याओं के समाधान के लिए मंगलवार को जनसुनवाई का आयोजन किया जाता है। आगंतुक मेरे मुंह पर आंखें जमाए खड़ा था और मैं इतनी सारी बातें सोच रहा था। उसने फिर प्रश्न किया,- क्या यह ही ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण है? मेरी तंद्रा टूटी तो मैंने हड़बड़ा कर कहा,-हां है, तुम्हें क्यों विश्वास नहीं हो रहा है। उसने कहा,-इतनी बड़ी इमारत पर कहीं नाम नहीं लिखा है।
(साभार:नेक दृष्टि हिंदी साप्ताहिक नौएडा)