गौतमबुद्धनगर

दस मिनट ग्रेटर नोएडा के इंस्टिट्यूट एरिया में घुम कर देखिए छात्र-छात्राएं नशे में डूबे नजर आएंगे

उड़ता पंजाब देख कर ही कुछ सीख ले लो

योगी सरकार के दौर में सरकारी भांग का ठेका देखो

 

सुप्रीम न्यूज। ग्रेटर नोएडा। आजकल पंजाब को लेकर उड़ता पंजाब के नाम से आम आदमी पार्टी की सरकार को दोषारोपित करते हुए कुछ नशा करते हुए या फिर नशे की हालत में झुमते, गिरते, पड़ते युवक-यवतियों के वीडियो डाले जा रहे हैं। इस क्रम में केजरीवाल द्वारा एक चुनावी सभा में किए गए वादे का वीडियो भी दिया जाता है। जिसमें वे तीन महीने में पंजाब को नशामुक्त करने के लिए कहते दिखाई देते हैं।

ये पूरी तरीके से सुनियोजित कार्यक्रम है। यहां यह कहने की जरूरत नहीं है कि इस सुनियोजित कार्यक्रम को कौन लोग चला रहे हैं? देश में सबसे मजबूत आईटी सेल भाजपा की ही है। वाट्सएप, टि्वटर, फेसबुक, यूट्यूब आदि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों से लेकर टीवी चैनलों पर ऐसे बहुत से वीडियो मिल जाएंगे। जिनमें युवक युक्तियां नशे की हालत में सड़कों के किनारे नालियों में या इधर-उधर पार्क आदि के कोनों में गिरे पड़े मिलेंगे।

यहां एक बड़ा सवाल यह है कि क्या भाजपा शासित राज्यों में लोग नशा नही करते? क्या कोई भी सरकार चाहकर भी बहुत अल्प समय में किसी नशे के आदी हो चुके व्यक्ति की नशे की आदत छुड़वाने में कामयाब हो सकती है?

नशे के आदी शराब, सुल्फा, गांजा, चरस, भांग, धतूरा, तम्बाकू आदि आमतौर पर इस्तेमाल करते हैं।

कुछ लोग आयोडेक्स तथा सूंघने वाली व्हाइटनर, सोल्यूशन, खांसी की दवा कॉरेक्स, फेन्साड्रील, डाइलेक्स आदि का प्रयोग करते हैं।

हेरोइन/हेराइन काफी लोकप्रिय नाम है, जिसे क्वीन ऑफ ड्रग्स भी कहा जाता है। कोकीन यह भी काफी लोकप्रिय ड्रग है। इसके रसायन सीधे दिमाग पर असर डालते हैं। जिससे आपकी याद रखने की क्षमता कम हो जाती है। एलएसडी, स्पीड बॉल, एमडीएमए, केटामाइन, क्रिस्टल मेथक्रिस्टल, म्याऊं-म्याऊं, सिरिंज आदि सब के सब नशे के सामान है। जिनकी गिरफ्तार में पंजाब, दिल्ली, मुम्बई के अलावा देश के अन्य हाई-प्रोफाईल शहरों में इनकी डिमांड है।

यहां हम भी आम आदमी पार्टी के पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंतमान और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल से उनके चुनावी वादे को पूरा करने के लिए नशामुक्ति अभियान की योजनाओं पर उठाए गए कदमों की जानकारी चाहते हैं। हम यह सवाल एक पत्रकार होने और एक मीडिया संस्थान के संचालक होने के नाते जानकारी चाहते हैं।

दूसरी ओर हम यही सवाल भाजपा के लोग से भी जाना चाहते हैं कि आप उत्तर प्रदेश में भांग के ठेके से लेकर अंग्रेजी और देशी‌ शराब बेचने से लेकर बीयर आदि की बिक्री से सरकारी खजाने को भरने के लिए पूरी सिद्दत से लगे रहते हो। क्या आपको खुद को उन प्रदेशों में नशामुक्ति अभियान योजनाएं चलाने की याद नही रहती, जहां पर भाजपा की सरकार हैं?

हम अपने पाठकों से कहना चाहेंगे कि यह हाल अकेले पंजाब का नहीं है। वास्तविकता तो यह है कि योगी सरकार के ग्रेटर नोएडा और नोएडा के इंस्टिट्यूट एरिया में भी यही हाल है। यदि 10 मिनट भी भ्रमण करके देखेंगे तो दिन के समय ही सड़कों के किनारे स्कूल कॉलेजों के आसपास पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं ही पंजाब के नौजवानों से बदतर हालत में आपको गिरते पड़ते दिखाई देंगे। शाम होते-होते हालात बद से बद्तर नजर आने लगते हैं।

हम ने ग्रेटर नोएडा क्षेत्र के छात्र-छात्राओं के कुछ नशा करते हुए वीडियो एकत्रित किए लेकिन वीडियोस को देखकर मेरे बेटे ने कहा कि पापा आप अपनी एक खबर के लिए इन बच्चों के वीडियो सोशल मीडिया पर डालकर इनका जीवन बर्बाद मत करो। मुझे अपने बेटे की बात में भी दम दिखाई दिया। इस पर मैंने बेटे से वादा किया कि मैं यह वीडियो नहीं डालूंगा लेकिन मैं इस पर खबर जरूर लिखूंगा।

हम यहां यह कहना चाहते हैं कि युवाओं की नशे की आदत से मुक्ति दिलाने के लिए देशभर में नशे के खिलाफ एक व्यापक अभियान की जरूरत है। नशामुक्ति के लिए हमें देश भर में ही चुनावी राजनीति को छोड़कर काम करने की जरूरत है। नशे की आदत युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक में पूरे देश भर में पहले से ही देखी जाती है। यह कोई नई समस्या नही है। हम अपने गांव देहात में पहले से ही सुनते आ रहे हैं कि बहुत से लोग नशे की आदत के चलते पूरी तरह से बर्बाद हो गए। परिवार के परिवार तवाह हो जाते हैं।

नशे की आदत का संबंध पूरी तरह से किसी एक राज्य सरकार की नीतियों से नही है। आज हम राज्यों के बार्डरों से बंधे हुए नही हैं। बल्कि सम्पूर्ण भारत भर में आधुनिक यातायात और संचार के साधनों से जुड़े हुए हैं। वास्तविकता तो यह है कि यह समस्या सम्पूर्ण मानव समाज की है। मतलब साफ है कि नशे की समस्या विश्व स्तर पर है।

अब ऐसे में इससे निपटने के लिए कम से कम देश भर की राज्य सरकारों और हमारी केंद्र सरकार व सभी राजनीतिक पार्टियों को एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करने के बजाए एक सांझा विस्तृत कार्यक्रम के तहत काम करने की जरूरत है।

इस कड़ी में हम विभिन्न राज्य सरकारों में शराब बेचने की होड़ पर नजर डालते हैं। इसके लिए पहले हमें आबकारी नीतियों पर एक नजर डालने की जरूरत है। हम देखते हैं कि एक राज में शराब बंदी की जाती है तो दूसरे राज्य में अपनी आबकारी नीतियों में छूट देकर अधिक शराब बेचकर आमदनी बढ़ाने की योजना तैयार की जाती है। कोई राज अधिक टैक्स लगा कर महंगी शराब बेचने की कोशिश करके ज्यादा मुनाफा कमाने की कोशिश करता है तो कोई राज्य कम टैक्स लगााक ज्यादा शराब बेचकर ज्यादा मुनाफा कमाने की कोशिश करता है

 

हम देख सकते हैं कि जिन सीमावर्ती राज्यों में शराब के रेट उत्तर प्रदेश से कम होते हैं। उन राज्यों की शराब उत्तर प्रदेश में भारी मात्रा में पकड़ी जाती है। उत्तर प्रदेश में हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली राजस्थान व मध्य प्रदेश की शराब रेट के कम ज्यादा होने के चलते आ जाती है। इसमें बहुत बार नकली व जहरीली शराब की खेप भी पकड़ी जाती हैं।

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार महंगी शराब बेचकर अधिक पैसा कमाना चाहती है। जिसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने तमाम पुलिस फोर्स और आबकारी विभाग व अपने आबकारी अधिनियम बनाए हुए हैं। मतलब साफ है कि उत्तर प्रदेश सरकार भी अपने प्रदेश में शराब बेचकर अधिक धन कमाना चाहती है।

देश में बिहार जैसे शराब बंदी वाले कुछ राज भी हैं। जिनमें उनके पड़ोसी राज्यों की शराब नीति के चलते उनकी शराब सप्लाई हो जाती है। आप बिहार को ही ले लीजिए बिहार में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली यहां तक कि कि हिमाचल प्रदेश तक की शराब पकड़ी जाती है।

हम यहां केवल शराब की बात कर रहे हैं। जिससे यह साफ हो रहा है कि विभिन्न राज्यों की सरकारों में किसी भी तरह से अधिक शराब बेचकर या महंगे रेट में शराब बेचकर ज्यादा पैसे कमाने की होड़ लगी है। किसी भी राजनीतिक दल की सरकार हो वह बिहार की नीतीश कुमार की सरकार की तरह मिशाल कायम करने को तैयार नही है।

उड़ता पंजाब देख कर समय रहते कुछ सीख ले लो। वो दिन दूर नही है। जब उत्तर प्रदेश भी उड़ने लगेगा।

अगले लेख में हम आप से अवैध और वैध शराब के शाही धंधे में जुड़े नेताओं, बड़े पूंजीपतियों और पुलिस-प्रशासन की भूमिका पर चर्चा करेंगे। हम आपको बताएंगे कि कौन-कौन, कैसे-कैसे और कितना-कितना कमा रहा?

 

संजय भाटी (संपादक सुप्रीम न्यूज)

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2 Comments

  1. कश्मीर घाटी में भारतीय जनता पार्टी द्वारा पूर्व में आत्मसमर्पण किया पूर्व आतंकवादियों को पार्टी पदाधिकारी एवं सदस्य बनाया गया है मेरी रिक्वेस्ट है कि चाहे कोई भी अलगाववादी नेता हो अभिनेता हो यात अंक वादी हो अगर वह अलगाववाद की बात करता है अगर भारतीय जनता पार्टी उनको बाहर का रास्ता नहीं दिखाती है तो यह गलत होगा राष्ट्र और राज्य की दोनों के लिए Thakur ashvni Singh

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