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भ्रष्टाचार नही है तो उपजिलाधिकारी अपने आदेश में दर्ज तथ्यों के आधार पर आबादी दर्ज कर दें

सरकार व अधिकारी गौतमबुद्धनगर को कामधेनु गाय समझते हैं

सुप्रीम न्यूज 21/10/2022 गौतमबुद्धनगर

 

भ्रष्टाचार का आलम यह है कि अधिकारी जजमेंट लिखने तक भी यह नहीं सोचते हैं कि वो लिख क्या रहे हैं अधिकारी अपने तुरंत के लाभ के लिए जो मर्जी चाहे अपने आदेशों में लिख देते हैं। ऐसा ही एक मामला उप जिलाधिकारी सदर गौतम बुध नगर अंकित कुमार का है जिसे हम आप सबके सामने रख रहे है।

 

उपजिलाधिकारी अंकित कुमार के गैरकानूनी फैसले पर डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन कलैक्ट्रेट गौतमबुद्धनगर ने भ्रष्टाचार की मोहर लगाते हुए उपजिलाधिकारी सदर अंकित कुमार के न्यायालय का बहिष्कार रखने का प्रस्ताव जारी किया है।

दिनांक 21-10-2022 को बार की एक बैठक अध्यक्ष श्री विनोद भाटी एडवोकेट की अध्यक्षता में हुई जिसका संचालन सचिव श्री हेमन्त शर्मा एडवोकेट ने किया। दरअसल पूर्व अध्यक्ष अनिल कुमार भाटी एडवोकेट द्वारा उपजिलाधिकारी सदर अंकित कुमार के न्यायालय के एक निर्णाय को गैरकानूनी और भ्रष्टाचार पर आधारित बताया। बार ने सर्वसम्मति से निर्णय लेते हुए पूर्व अध्यक्ष अनिल कुमार भाटी एडवोकेट द्वारा उपजिलाधिकारी सदर अंकित कुमार पर लगाए गए आरोपों की जांच बार के पूर्व अध्यक्ष जयपाल भाटी एडवोकेट, हरेंद्र मावी एडवोकेट, जितेंद्र भाटी एडवोकेट को दी गई जिसकी उक्त अधिवक्ताओं रिपोर्ट बार को देंगे। इस बाबत उच्च अधिकारियों से भी वार्ता की जाएगी।

 

एक नजर पूरे मामले पर अवश्य डालें 

 

उप जिलाधिकारी सदर अंकित कुमार ने वाद संख्या 4537/2022 श्री चंद, रामनरेश व दिनेश पुत्र गण स्वर्गीय रतनी पुत्र तुलसी निवासी ग्राम लखनावली तहसील व जिला गौतमबुधनगर बनाम सुनील कुमार आदि में दिनांक 20/10/2022 को एक आदेश जारी किया है।

 

उप जिलाधिकारी के न्यायालय में उक्त प्रकरण में वादी द्वारा ग्राम लखनावली, तहसील व जिला गौतम बुध नगर की खतौनी फसली 1424-1429 के खाता संख्या 180 के खसरा संख्या 189 रकबा 0.2020 हैक्टेयर भूमि के सहखातेदार संक्रमणीय भूमिधर और मालिक व काबिज हैं। इस पर वादी गण ने उक्त भूमि में अपना हिस्सा अलग करने के लिए वाद योजित किया।

इस मामले में विपक्षियों द्वारा उप जिलाधिकारी जिलाधिकारी न्यायालय में भूमि पर आबादी बने होने की बात कही है अब यहां खास बात यह है कि उप जिलाधिकारी ने विपक्षियों के द्वारा दिए गए तथ्य को मानते हुए भूमि के बंटवारे का वाद निस्तारित कर दिया है उप जिलाधिकारी ने अपने आदेश में साफ-साफ लिखा है कि भूमि पर आबादी बनी हुई है। मतलब यह कि उक्त भूमि खेती की जमीन नहीं है

 

हम आपको एक जानकारी विशेष रूप से देना चाहते हैं। गौतमबुद्धनगर जिले में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण , नोएडा प्राधिकरण व यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण ग्रामीणों की जमीन पर आबादी होते हुए भी आबादी नही मानते हैं। यदि कोई भी काश्तकार अपनी भूमि में आबादी दर्ज कराने के लिए धारा 80 यूपीआरसी के तहत आबादी दर्ज कराने के लिए प्रार्थना पत्र देता है। तो राजस्व रिकार्ड में आबादी दर्ज कराने के प्रार्थना पत्र उपजिलाधिकारी के न्यायालय में ही सुना जाता है।

 

बता दें कि गौतमबुद्धनगर में किसानों अपनी भूमि पर आबादी दर्ज कराने के वीडियो, फोटो और बिजली बिलों तक को पत्रावली पर लगाते हैं। किसानों द्वारा अपनी भूमि पर आबादी दर्ज कराने के लिए घर व घेर के भवनों के अतिरिक्त गाय-भैंस के साथ उनके गोबर तक के फोटो दिखाते हैं लेकिन इस सब के बावजूद भी उप जिलाधिकारी किसान की आबादी को आबादी नही मानते हैं।

पीड़ित किसान आबादी दर्ज कराने के लिए धारा 80 यूपीआरसी के तहत प्रार्थना पत्र देकर भ्रष्टाचार की पोल खोल दे

यहां हम उक्त प्रकरण में उपजिलाधिकारी सदर अंकित कुमार के न्यायालय के गैरकानूनी और भ्रष्टाचार पूर्ण आदेश की पोल खोलने के लिए पीड़ित किसानों से आग्रह कर रहे हैं कि वे अपनी उक्त भूमि में आबादी दर्ज कराने के लिए धारा 80 यूपीआरसी के तहत आबादी दर्ज कराने के लिए प्रार्थना पत्र दे दें। हम उम्मीद करते हैं कि उपजिलाधिकारी अपनी ईमानदारी और न्यायिक चरित्र का परिचय देते हुए किसानों की भूमि पर राजस्व रिकार्ड में आबादी दर्ज कराने के का आदेश दे देंगे।

यदि उपजिलाधिकारी किसान के प्रार्थना पत्र पर धारा 80 यूपीआरसी के तहत राजस्व रिकार्ड में आबादी दर्ज करने का आदेश नही देते हैं तो कम से कम उपजिलाधिकारी के न्यायालय में व्याप्त भ्रष्टाचार स्पष्ट रूप से सार्वजनिक तो हो ही जाएगा। इस तरह वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल भाटी  के द्वारा उपजिलाधिकारी सदर अंकित कुमार पर लगाए आरोप में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

 

हम अपने पाठकों को जानकारी देना चाहते हैं कि उप जिलाधिकारी सदर गौतमबुद्धनगर के न्यायालय में ही किसानों के ऐसे अनेकों मुकदमें होंगे। जिनमें किसान अपनी भूमि पर आबादी दर्ज कराने के लिए धारा 80 यूपीआरसी के तहत मुकदमे डालता है। लेकिन तब यही उपजिलाधिकारी या जिले के दूसरे उपजिलाधिकारी भी किसान की आबादी को आबादी मानने से इंकर कर देते हैं।

 

हम अपने पाठकों को बता देना चाहते हैं कि यह बहुत ही पेचीदा मामला है कानून के जानकार ही इसे समझ पाएंगे। यहां सिर्फ इतना कह है रहे हैं कि गौतमबुद्धनगर जिले में राजस्व न्यायालय में बैठे अधिकारियों पर सबसे बड़ा दबाव तो प्राधिकरणों का होता है। इसके बाद वर्तमान सत्ताधारी दलों के नेताओं का दबाव जो समस्त उत्तर प्रदेश में होता है। जिसके चलते राजस्व न्यायालयों में बैठे अधिकारियों के फैसले कानून और न्याय पर आधारित नही होते। अब आप समझ सकते हो कि जो अधिकारी अपनी कलम से प्राधिकरणों और नेताओं के दबाब में गैरकानूनी फैसले करते हैं। वे अपनी जेब भरने में भी कोई कोर कसर नही छोड़ते।

 

सुप्रीम न्यूज ने जिला प्रशासन के अधिकारियों से उक्त प्रकरण में उनका पक्ष जानने का प्रयास किए गए कोई भी अधिकारी कुछ भी नही बोलना चाहता। यहां तक कि प्रकरण को ट्विटर के माध्यम से भी जिलाधिकारी व स्वयं उपजिलाधिकारी सदर अंकित कुमार को भी टैग किया गया है। ट्विटर पर भी अधिकारियों की कोई प्रतिक्रिया नही है।‌‌‌‌‌‌‌‌

सैटिंग के खेल में कानून और ईमानदार अधिवक्ता फेल

उपजिलाधिकारी सदर अंकित कुमार के भ्रष्टाचार का ये पहला मामला नही। इससे पहले भी उपजिलाधिकारी सदर कलेक्ट्रेट में सुर्खियां बटोरने में नम्बर वन रहते है। ये बात अलग है कि हर कोई व्यक्ति इनका विरोध नही करता। गौतमबुद्धनगर में ऐसे अनेकों उदाहरण है जब प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा गैर कानूनी तरीके से लोगों को परेशान किया जाता है। जिससे लोग परेशान होकर इनकी शरण में नजराने लेकर पहुंच जाते हैं।

 गौतमबुद्धनगर में कानून के बजाय नजराने का बड़ा खेल है। जिसके चलते गौतमबुद्धनगर में अधिकांश लोग अपने काम के लिए विधिवत अधिवक्ताओं से कराने के बजाय, सेटिंग कराने वाले लोगों से संपर्क करते हैं। अधिकतर मामलों में लोग अधिवक्ताओं से केवल फाइल तैयार करवा कर सैटिंग वाले लोगों को अपने काम का ठेका दे देते हैं

 

गौतमबुद्धनगर के क्लबिया पत्रकारों और लोकतंत्र के तथाकथित चौथे स्तम्भ और जनता की आखिरी उम्मीद के नजारे देखने के लिए लिंक को क्लिक करें

https://supremenews.online/?p=9490

 

 

   इस तरह कानून की डिग्री लेकर बैठे अधिवक्ताओं को राजस्व अधिकारियों ने फेल करके जिले के अशिक्षित व अनेकों अंगुठा टेक लोगों को हिरो बना दिया है। जिसके कारण बहुत से अधिवक्ता भी मजबूर हो कर धीरे-धीरे  भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों के साथ कदम ताल करने लग जाते हैं।

सरकार व अधिकारी गौतमबुद्धनगर नगर व यहां के लोगों को कामधेनु गाय समझते हैं मतलब अपनी इच्छा पूर्ति का जरिया। 

 

 

 

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