उत्तरप्रदेश

घबराईए मत सुप्रीम न्यूज वाले शुभकामना संदेश के विज्ञापन नही मांगते

दस वेबसाइट गिफ्ट करेंगे, आप सभी को दीपावली की शुभकामनाएं

सभी देशवासियों, ट्विटर वासियों को सुप्रीम न्यूज परिवार की ओर से दीपावली, गोवर्धन पूजा व भैया दूज की हार्दिक शुभकामनाएं।

 

आज दीपावली के शुभ अवसर पर “सुप्रीम न्यूज़ परिवार” की ओर से आप सभी देशवासियों, ट्विटर पर मौजूद साथियों व विशेष रूप से सुप्रीम न्यूज के पाठकों को एक विशेष जानकारी देना चाहते हैं

आज के दिन हम पत्रकारिता से जुड़े सभी साथियों को भी विशेष रूप से यह जानकारी देना उचित समझ रहे हैं कि हम पत्रकारिता में बेरोजगारी के चलते धंधे की तलाश में नही आए हैं। हमारा उद्देश्य सरकार में बैठे नेताओं और पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों से गलबहियां करके दलाली करना बिल्कुल भी नही हैं।

यहां हम यह भी स्पष्ट बता देना चाहते हैं कि हमारा उद्देश्य ऐसे प्रेस क्लबों का सदस्य या पदाधिकारी बना बिल्कुल भी नही है जो आमजन की सच्चाइयों पर पर्दा डालकर आर्थिक अपराध से जुड़े राजनीतिक और अधिकारी वर्ग के सफेद पोश लोगों के एजेंडों को प्रचारित कर उनके साथ मिलकर दलाली आदि करके अनुचित लाभ कमाते हैं। यहां तक कि अधिकांश पत्रकार प्रेस क्लबों और पत्रकारिता की आड़ में अवैध धंधें जैसे अवैध शराब की बिक्री, गांजा, सुल्फा, जुआ, सट्टा आदि को संरक्षण दे अवैध कमाई करते हैं

यहां एक सवाल पत्रकारों और संपादकों से भी है क्या किसी आम आदमी ने देश के किसी समाचार पत्र या पत्रिका को विज्ञापन दिया है? कौन लोग विज्ञापन देते हैं? उनके कमाई के धंधे क्या है? कभी सम्पादकों द्वारा इस पर विचार किया जाता है? क्या हम पैसे यानी विज्ञापन के लिए ही पत्रकारिता के ढकोसले में लगे हैं?

https://twitter.com/SupremeNewsG/status/1584443049740226560?t=xAWL37ASdTCgv1EX4WZ2Og&s=19

 

यदि हम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र या फिर उत्तर प्रदेश के उन जिलों की बात करें जहां पर औद्योगिकरण और शहरीकरण के चल रहा है तो पत्रकार बिल्डरों और भूमाफियाओं के साथ मिलकर जनता के साथ लूट खसोट करवा कर अपने घरों को भरने में लगे हैं

यही हाल उन जिलों के पत्रकारों और प्रेस क्लबों का भी है जहां खनन के क्षेत्र है। अखबारों के मुख्य पृष्ठों पर माफियाओं के नव वर्ष से लेकर सभी राष्ट्रीय पर्वों जैसे गणतंत्रा दिवस और स्वतंत्रता दिवस तक, सभी समुदायों के त्योहारों के शुभकामना संदेश छपे होते हैं इसके अलावा देश की आजादी में प्राणों की आहुति देने वाले क्रांतिकारियों से लेकर अन्य महापुरुषों के जन्म‌ व मरण दिवसों तक के अवसरों पर रंगे सियारों के संदेश छपे होते है।

आप सभी बखुबी जानते होंगे कि बहुत से बिल्डरों और भूमाफियाओं ने तो खुद के अखबार, सैटेलाइट टीवी चैनलों तक चला रखें हैं। चलाकर प्रेस क्लबों की सदस्यता ग्रहण कर रखी है। हम इसे इस तरह भी कह सकते हैं कि अधिकांश पत्रकार जो पत्रकारिता का दंभ भरने का नाटक करते हैं वे किसी न किसी सफेद पोश अपराधी के ही नुमाइंदे है।

विषय बहुत गंभीर और विस्तृत चर्चा का है लेकिन आज इस पर इतनी चर्चा के साथ ही हम यह कहना चाहते कि सुप्रीम न्यूज उपरोक्त कारण से ऐसे किसी भी राष्ट्रीय पर्व, किसी भी समुदाय के त्यौहारों पर किसी भी व्यक्ति के शुभ कामना संदेश के विज्ञापन इसलिए प्रकाशित नही करता ताकि कोई भी व्यक्ति विज्ञापन का लाभ देकर सुप्रीम न्यूज नेटवर्क की स्वतंत्रता और निष्पक्ष पत्रकारिता को मैनेज करने के विषय में सोच भी नही सके। 

अब आप आसानी से समझ सकते हैं कि सुप्रीम न्यूज नेटवर्क का उद्देश्य किसी भी सूरत में धन कमाना नही है। पत्रकारिता के क्षेत्र में सुप्रीम न्यूज अपने आप में एक अनोखा प्रयोग है। सुप्रीम न्यूज के पास हिन्द भाषी क्षेत्रों में ट्विटर पर मौजूद हजारों ईमानदार और मिशनरी पत्रकारों, समाजसेवियों, अधिवक्ताओं का नेटवर्क है। जो अपने-अपने जिलों और क्षेत्रों में अपनी ईमानदारी के लिए प्रसिद्ध हैं।

आप यह भी कह सकते हैं कि सुप्रीम न्यूज ट्विटर पर मौजूद उन सभी लोगों के दिल की धड़कन है जिनकी रगों में ईमानदारी का खुश दौडता है। सुप्रीम न्यूज परिवार द्वारा संचालित “@forpolicereform उत्तर प्रदेश पुलिस-प्रशासन में सुधार के लिए जन मंच” को ट्विटर वासियों ने अपार समर्थन दिया है। हम आपको बता देना चाहते हैं कि सुप्रीम न्यूज पर प्रकाशित अधिकांश खबरें ट्विटर पर मौजूद लोगों से संपर्क कर प्रकाशित की जाती हैं।

 

दस वेबसाइट बनवा कर गिफ्ट करेंगे

अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के माध्यम से पत्रकारिता पर होने वाले खर्चे बहुत कम हो गए हैं। ये भी कहा जा सकता है कि खर्चे शून्य हो चुके हैं इसलिए दीपावली के शुभ अवसर पर सुप्रीम न्यूज परिवार की ओर से ऐसे लोगों को वेबसाइट बनवा कर देंगे। जो गुलामी की दीवारों को तोड़ कर पत्रकारिता करने को तैयार हों। बस आप समाज और देश के लिए पत्रकारिता करने के लिए मानसिक रूप से तैयार तो हों।

सुप्रीम न्यूज परिवार पहले से ही सरकारी विज्ञापन से भी दूरी बनाए हुए हैं। सरकारी मान्यता प्राप्त पत्रकार आदि बने के प्रलोभन से सुप्रीम न्यूज हमेशा दूर ही रहता है। अखबारों के प्रकाशन में तो बहुत अधिक खर्च होता है तब भी विज्ञापनों से दूरी बना कर रखी गई। वेबसाइट पर तो खर्च शून्य बराबर ही होता है। इसलिए विज्ञापन की आवश्यकता ही नही है। 

सुप्रीम न्यूज नेटवर्क में कोई भी व्यक्ति अपनी खबरों को प्रकाशित करने के लिए भेज सकता है। देश का प्रत्येक नागरिक पत्रकार है। हमारे यहां किसी भी पत्रकार को किसी भी प्रकार के आई कार्ड या सुप्रीम न्यूज की पत्रकारिता से संबंधित को दस्तावेज नही दिया जाता। इसका बड़ा कारण यह है कि देश में दूसरे बहुत से मीडिया संस्थानों के पत्रकार प्नेस क्लबों के पदाधिकारी और सदस्य बनकर थाने-चौकियों पर दलाली और अवैध उगाही के संगठित गिरोह चल रहे हैं। हम पत्रकारिता के घिनौन सत्य से भलीभांति परिचित होने के चलते “सुप्रीम न्यूज” के नाम पर दलाल पैदा नहीं करना चाहते।

इसका सीधा मतलब यह है कि जो लोग विभिन्न मीडिया संस्थानों में कार्यरत हैं। उनमें जो ईमानदार छवि के हैं। सुप्रीम न्यूज नेटवर्क ऐसे पत्रकारों व सीधे तौर पर जन सम्पर्क में रहकर खबरें का संकलन कर प्रकाशित करता है। यह कार्य आज के दौर में ट्विटर व अन्य सोशल मीडिया साधनों के माध्यम से बहुत ही आसानी से कर लिया जाता है। हमारा उद्देश्य खबर कम हो पर जन सरोकार से ओतप्रोत हो। 

 

 

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One Comment

  1. श्रीमान जी
    हमें आपके निर्देशन में काम करने का अवसर मिले तो अपार खुशी होगी
    आपके बिचार पवित्र एवं तथ्य पूर्ण सत्य है किन्तु हमारी मजबूरियाँ हौसला तोड़ने लगी है ऐसे में आपके बिचार से एक संजीवन मिली
    आशा है साथ जोडने की कृपा करेंगे
    साभार धन्यवाद

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