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अपने-अपने जिलों की पत्रकारिता को साफ कर दें भ्रष्टाचार स्वयं समाप्त हो जाएगा~संजय भाटी

फोन उठाओ और ट्विटर पर आ जाओ आप सभी पत्रकार हो ~ संजय भाटी 

बेरोजगारी के दौर में पत्रकारिता से जुड़े अधिकांश नौजवान अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के जुगाड में करोड़ों से अरबों रुपए के घोटाले बाज लोगों के इसारों पर ऐसे नाच रहे हैं जैसे मंदारी का बंदर नाचता है। घर के खर्च चलाने के लिए रिक्शा चलाओ, बेलदारी करो या कोई भी नौकरी कर लो पर पत्रकारिता से समझौता मत करो। सच्चाई की आवाज को बुलंद करने के लिए फोन उठाओ और ट्विटर पर आ जाओ। हमें हमारी आने वाली नस्लें घिनौनी नजरों से देखेंगी और गालियां देंगी। उम्र के आखिरी पड़ाव में छोटे बच्चे हम से सवाल पुछेंगे जब सब बर्बाद हो रहा था तो आप क्या कर रहे थे?

 

हाल ही में सुप्रीम न्यूज के ट्विटर अकाउंट से गौतमबुद्धनगर जिले के एक क्लबिया पत्रकार का ₹3000 महीने की अवैध वसूली करते हुए वीडियो वायरल हुआ तो जिले भर के पत्रकारों ने शराब ठेकों के सेल्समैनों द्वारा ओवर रेट में शराब बेचने के दर्जनों विडियो ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर वायरल कर आबकारी विभाग और ठेके संचालकों की मिलीभगत की परतें उधेड़ दी। इस तरह हम कह सकते हैं कि हमें जो परिणाम चाहते थे वहीं परिणाम सामने आए। मतलब पत्रकारिता की गंदगी साफ करो तो पत्रकार भी कुछ काम अवश्य कर देंगे। वरना सब कुछ सेटिंग का खेला तो चल ही रहा है।

 

आप देखेंगे कि एक क्लबिया पत्रकार द्वारा शराब के ठेकों से ₹3000 वसूलने का वीडियो वायरल होते ही पत्रकारिता लाइन पर आ गई जो क्लबिया पत्रकारिता अब तक शराब के ठेकों पर जाकर ओवर रेटिंग की विडियो बना कर ऐसे विडियो को केवल अवैध वसूली करने के लिए इस्तेमाल कर सेटलमेंट कर मोज उड़ रहे थे। वे अब ट्विटर पर विडियो शेयर कर ओवर रेटिंग को उजागर करने में जुटे हैं।

वैसे अब से पहले भी कुछ ईमानदार पत्रकारों द्वारा गौतमबुद्धनगर जिले के शराब के ठेकों की ओवर रेटिंग के वीडियो बनाकर ट्विटर आदि माध्यमों पर वायरल करते हुए पुलिस-प्रशासन और आबकारी विभाग के अधिकारियों को ओवर रेटिंग की समस्या से अवगत कराया गया है लेकिन उस समय कुछ पत्रकार शराब के ठेके संचालकों और आबकारी विभाग की पैरोकारी में ट्विटर व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर उत्तर आए थे।

 

 

पत्रकारों को बेनकाब करो सब बेनकाब हो जाएंगे

वर्तमान में ईमानदारी से पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों के साथ गौतमबुद्धनगर नगर के ठेकों पर शराब की ओवर रेटिंग के चलते उगाही करने वाले पत्रकार भी शामिल हो गए हैं जिससे अधिकारियों पर ओवर रेटिंग को रोकने का नैतिक दबाव बना हुआ है। जिससे हमारी मुहिम की कामयाबी के लिए हमारा चुना हुआ रास्ता “पत्रकारों को बेनकाब करो सब बेनकाब हो जाएंगे” कामयाब होता हुआ नजर आ रहा है।

 

हम यहां अपने पाठकों को यह जानकारी देना चाहते कि अधिकांश पत्रकारों ने अपने खुद के या फिर अपने चहेतों के साथ मिलकर NGO बना रखें हैं। जिनमें कुछ तो पत्रकार यूनियन या संगठन हैं। कुछ दूसरी तरह के संगठन हैं जिनमें घुमा फिरा कर वे ही गिने चुने लोग शामिल हैं। इन संगठनों का मुख्य उद्देश्य जिले में तैनात पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों से लाइजनिंग करना मात्र होता है।

हमारे जिले गौमबुद्धनगर में पत्रकारिता के देश भर के सबसे बड़े खिलाड़ी मौजूद हैं। क्योंकि अधिकांश टीवी चैनलों और अखबारों के मुख्यालय और प्रिंटिंग प्रेस यहां पर मौजूद हैं। गौतमबुद्धनगर से लगभग 200 समाचार पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन होता है। इनमें से अधिकांश केवल Directorate of Advertising and Visual Publicity (विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय) द्वारा दिए जाने वाले सरकारी विज्ञापनों तक सीमित है। सूचना विभाग गौतमबुद्धनगर के WhatsApp ग्रुपों में लगभग 550 से अधिक पत्रकार और संपादक सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। इस बार हम बड़े अभियान की तैयारी पर है। जिसकी सफलता जन सहयोग और कानून पर ही टिकी हुई हैं।

आपको यह भी स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि यह मुहिम रुकेगी नही क्योंकि इस मुहिम में हमारे साथ आम आदमी से लेकर दूसरे जिलों के हजारों ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ समाजसेवियों, पत्रकारों और अधिवक्ताओं का बड़ा हिस्सा है

दूसरे जो सबसे महत्वपूर्ण बात वह यह कि इस मिशन में हमारे पास खोने के लिए पत्रकारिता के बल पर प्राप्त की गई फूटी कौड़ी भी नही है। जो कुछ भी है वह पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही विरासत वाली जमीन है। इसी वजह से हम गर्व के साथ कह रहे हैं कि घासफूस की झोपड़ियों वाले पत्रकारों को अपनी झोपड़ी को तिल्ली दिखा कर जेल में सरकारी रोटियां खाने के लिए तैयार रहना चाहिए। फिर देखिए भ्रष्टाचारियों के ट्विन टावरों में खुद सरकार ही सरकारी बारुद लगा कर ध्वस्त करने को मजबूर होगी।

अकेले गौतमबुद्धनगर में सरकारी माल पर रहे संपादकों के बहुत से टृविन टावर हैं। हमें पूरी उम्मीद है कि हम इन भ्रष्टाचार के ट्विन टावरों को कागज और कलम की मदद से जेल में सरकारी सुविधाओं और सुरक्षा में रहते हुए भी गिरा देंगे।

क्लबिया पत्रकारों का दबी जुबान से जिले के राजनीतिज्ञों से लेकर समाज सेवा से जुड़े अधिकांश लोगों में हैं। क्योंकि ये अपने कुछ चेहते लोगों के साथ मिलकर लाइजनिंग में जुटे हुए हैं।

ध्यान देने वाली बात यह कि जिले में ऐसे-ऐसे किस्से भी मौजूद हैं। एक परिवार के दो अखबार सरकारी विज्ञापन के लिए सूचीबद्ध हैं फिर भी उस परिवार का सदस्य किसी दूसरे के स्वामित्व वाली वैबसाइट में पत्रकारिता कर रहा है। तो उसी परिवार का कोई दूसरा सदस्य राजनीतिक दलों में राजनीति कर रहे हैं। इन्हीं लोग अपने कुछ सहयोगियों के साथ मिलकर हाल ही में गौतमबुद्धनगर के विकास के लिए एक समिति भी रजिस्टर्ड कराई है।

आपको जानकरी दे रहे हैं कि फिलहाल हम गौतमबुद्धनगर जिले के समाचार पत्र-पत्रिकाओं और समाज सेवी संस्थाओं की RTI द्वारा लेटेस्ट जानकारी जुटा रहे हैं। क्योंकि अधिकांशतः पत्रकारिता की आड़ में करोड़ों से अरबों रुपए के खेल छिपे हुए हैं।

बहुत सी जानकारियां हमारे पास पहले से ही हैं। हम उम्मीद है कि हमारे इस कदम से जिले के सफेद पोश लोगों में हलचल तो मचनी लाजमी है। सब कुछ कानून के दायरे में रहकर किया जा रहा है। क्योंकि हमें अपनी इस मुहिम के तहत सभी कार्य जिले में तैनात पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों की कलम से ही करने होंगे। क्योंकि यही विधिक प्रक्रिया है।

 

वैसे तो हम आप सभी को आस्वस्त करना चाहते हैं कि यदि हम आंख बंद करके भी भ्रष्टाचार के ट्विन टावरों के विषय में शिकायत दर्ज कराएंगे तो अधिकांश पहले राउंड में ही ताश के पत्तों की तरह धराशाई होते नजर आएंगे। लेकिन जहां एक तरफ सभी बिंदुओं पर लेटेस्ट जानकारी जुटाई जा रही है

 

वहीं दूसरी तरफ जन समर्थन जुटाने के उद्देश्य से समाचार प्रकाशित कर अपनी योजनाओं को जनता जनार्दन के सामने रख रहे हैं। आपसे उम्मीद करते हैं कि आप हमारे मिशन को कामयाब बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हुए सभी प्रकाशित खबरों व जानकारियों को अधिक से अधिक शेयर और लाइक रिट्वीट करते हुए अपने विचार व्यक्त करेंगे।

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