विचारकसाहित्य

कानून का डर दिखाकर सरकारी खोजी कुत्ते भी मंथली वसूलने लगे तो क्या होगा?

पत्रकारों की क्षमता पर शक मत करिए जनाब कुत्तों को तो छोड़िए सुअर को भी हीरो बनाने की महारथ रखतें हैं

मधु चमारी गौतमबुद्धनगर न्यायालय के प्रांगण में

मधु चमारी। सुप्रीम न्यूज। गौतम बुद्ध नगर।

 

बड़े साहेब कानून का डर दिखा कर मन्थली वसूली करना कोई बड़ा काम नही है। अदना सा होम गार्ड, चपरासी, सिपाही, क्लर्क, ड्राइवर कोई भी वसूली कर सकता है। पुलिस विभाग की तो बात ही छोड़िए। सरकारी कुत्ते के सुघने मात्र को सबूत मान कर बड़े-बडे मामलों के खुलासे हो जाते हैं। हम सब ने अनेकों बार देखा होगा, कुछ अनसुलझे रहस्य से कुत्तों के द्वारा सबूत खोजकर बड़े-बड़े मामलों से पर्दा उठाया जाता है। कुत्ते के खोजें सबूतों के आधार पर बड़े-बडों को जेलों में डाल दिया जाता है। वैसे आपको जानकर हैरानी होगी ये कुत्ते भी सरकारी पदों पर होते हैं। कुत्तों की योग्यता के आधार पर नियुक्ति, पद/रंक, सेवानिवृत्ति, पेंशन, सेवा निवृत्त के बाद भी सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।

सोचिए काश पुलिस के ये खोजी कुत्ते भी मंथली लेते तो ?

 

सोच कर देखिए, काश सरकारी कुत्ते भी मंथली बांध कर अपराधियों से सांठगांठ करने पर उतारू हो जाते तो बड़े से बडे अपराधियों और भ्रष्टाचारियों से सरकारी खोजी कुत्ते भी मंथली बांध सकते थे। अपराध से जुड़े अधिकांश मंत्री, सांसद, विधायक और बहुत से सरकारी अधिकारी भी सरकारी खोजी कुत्ते से सैटिंग करते दिखाई दिया करते। ये भी कह सकते हैं कि सरकारी खोजी कुत्तों की तस्वीरें, सैल्फी, चरन वंदना की फोटो, वीडियो व्हाट्सएप और स्टेटस पर एक खास किस्म के लोग ऐसे मंथली बाज कुत्तों की तस्वीरें सोशल मीडिया वालपेपर्स से लेकर अपने आफिसों की दिवारों पर भी अपडेट करके रखते देखे जाते। क्योंकि वे इस तरह के फोटो और सेल्फियों को आम जनता को दिखा कर समाज में खोफ बैठा कर अपने धंधे चलाते हैं।

  यदि कुत्ते भी मंथली लेते तो नजारा कुछ और होता।

 

पत्रकारों की तो बात ही छोड़िए, पत्रकार तो कुत्तों को भी अपनी ख़बरों में राबिन हुड, जेम्स बांड, शक्तिमान बना देते। पत्रकारों में तो अदभुत प्रतिभा होती है। पत्रकार तो विशेष अधिकार प्राप्त कुत्तों के साथ भी चाय-नाश्ते का एक भी मौका नही गंवाते।पत्रकारों की क्षमता पर शक जाहिर मत करिए, सुअर भी मंथली लेने का काम करे तो उसका भी स्वागत है, किसी से कोई परेज नही है।

हम तो यहां तक सोच रहे हैं कि जितना भ्रष्टाचारी और मंथली बाज कुत्ता होता उतना ही उसके साथ फोटो और सेल्फी का क्रेज भी ज्यादा ही होता। इन सब बातों पर कुत्ते के ओहदे का फर्क तो पड़ता ही लेकिन सेल्फी और फोटो सेशन में छोटे रंक वाला भी बाजी मार सकता है। ऐसे प्रतिभाशाली कुत्तों के साथ गलबहियां करने से वरिष्ठ समाजसेवियों व गली-मोहल्ले से लेकर बड़े-बड़े नेताओं तक को कोई परेशानी नही होती।

खोजी कुत्तें मंथली लेना शुरू कर दें तो दुनिया भर में कुत्तों की तस्वीरें बड़े से बड़े लोगों से साथ दिखने लगेंगी

 

 

यह स्क्रीन शॉट सामग्री hmoob.in से साभार ली गई है ~ सुप्रीम न्यूज

 

इसमें कोई संदेह नही यदि पुलिस, फोर्स आदि में जो खोजी कुत्तें अपने हैंडलर के साथ मिलकर अपराध के अन्वेषण में शामिल होते हैं। यदि वे मंथली लेना शुरू कर दें तो उन्हें भी फ्रंट पेज से लेकर टीवी चैनलों तक में हम आसानी से देख पाएंगे। कहीं भी नही तो आए दिन स्वागत समारोह आयोजित कर सभी सामाजिक प्राणियों द्वारा मीडिया कवरेज की जाएगी। कुछ मीडिया हाउसों में तो मीडिया की एक बीट कुछ भाग्यशाली और प्रभावी पत्रकारों को दे दी जाएगी। भारत के अलावा दूसरे कुछ देशों में भी खोजी कुत्तें के साथ सेल्फी और मीडिया कवरेज का बहुत बड़ा क्रेज होगा।

👉आगे जारी,

सुप्रीम न्यूज। संपादक। मधु चमारी। गौतम पुरी वाली।

 

(हमारी योग्यता बस इतनी सी है, हम “जनपद न्यायालय गौतमबुद्धनगर और माननीय हाई कोर्ट से माननीय सुप्रीम कोर्ट” तक के रास्ते जानते हैं )

मधु चमारी गौतमबुद्धनगर न्यायालय के प्रांगण में

हमारा सम्पर्क सूत्र        supremenews72@gmail.com

 

 

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