गौतमबुद्धनगरदादरी

🤣 क्या आप जानते हैं कि फर्जी मुकदमा किसे कहते हैं? नही जानते तो जान लिजिए।

उत्तर प्रदेश पुलिस के अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए नसीहत, झूठा फंसाकर खुद ही मरना पड़ेगा

सुप्रीम न्यूज। दादरी। आज हम आपको फर्जी मुकदमों की परिभाषा बताने का प्रयास करेंगे। परिभाषाएं तो कानून की किताबें पढ़ने वाले भी बता देंगे। हम आपको फर्जी मुकदमों के नतीजों के बारे में सबसे पहले बताना चाहते हैं। क्योंकि फर्जी मुकदमों की असली परिभाषा तो उनका नतीजा ही तो होती हैं। लेकिन सबसे पहले आपसे एक वादा भी चाहते हैं। आप हमें बेवकूफ समझ कर हंसना मत। हंसी ना रुके तो हंस लेना। आप वादा खिलाफी करके हंस भी लोगे तो भी हम नाराज नही होंगे।

फोटो में सुप्रीम न्यूज के संपादक संजय भाटी पर दर्ज मुकदमे में वादी मोहतरमा सीमा द्वारा न्यायालय में दिया गया बयान का महत्व पूर्ण भाग । इससे अच्छी तरह पढ़ लो।

अपनी बेटी ‌‌के बाप का नाम भुल गई
सीमा कोर्ट में अपनी बेटी ‌‌के बाप का नाम भुल गई
अपने जन्म जात पड़ोसी व मकान मालिक स्वर्गीय मनोज के पिता का नाम भुल गई

 

(1) 🤔कभी भी ऐसी महिलाओं से किसी दुश्मन पर छेड़छाड़ या बलात्कार का आरोप नही लगवाना चाहिए। जो आपका बच्चा पैदा करके आपके बच्चे के बाप का नाम भी भुल जाएं।

🤣हंसी आ रही है तो हंस लो पर एक वादा तो करो। हम आपको इस बार हंसने की छुट दे रहे हैं लेकिन वादा चाहते हैं कि आप कम से कम इस लेख को उत्तर प्रदेश पुलिस के हर एक कर्मचारी और अधिकारी तक पहुंचाने में हमारी मदद करोगे। ताकि सब कुछ जानते हुए कोई पुलिसिया हमें भले ही हजार बार झूठे मुकदमों में फंसा दे लेकिन गरीब को ना फंसाए।

विडियो बनने वाले पत्रकारों को बहुत-बहुत धन्यवाद।

ये विडियो सुप्रीम न्यूज के संपादक संजय भाटी पर अपनी दूसरी पत्नी सीमा द्वारा फर्जी मुकदमों दर्ज कराने वाले तत्कालीन चौकी प्रभारी रेलवे रोड़ दादरी, गौतमबुद्धनगर दरोगा तारबाबू जो बाद में फर्रुखाबाद में तैनाती के दौरान खुद ही अपनी कारगुज़ारियों के कारण आत्महत्या करने को मजबूर हो गए थे। उनकी मौत के बाद सीमा निवासी गौतमपुरी ने खुद को फर्रुखाबाद के एसपी आफिस जाकर दरोगा तारबाबू की दूसरी पत्नी बताया और उनसे पैदा अपनी बेटी ‌‌‌‌‌के साथ जाकर वहां के पत्रकारों को पुलिस लाइन में एसपी आफिस पर यह विडियो बनवाई थी।

(2) 🤔विडियो देखिए और यह भी देखें कि कोर्ट में  बयान देते वक्त मोहतरमा अपनी उस बेटी के उस बाप का नाम तक भुल गई । जिसकी मौत के बाद बेटी को लेकर मरे हुए बाप की पैंशन में बेटी का हक मांगने फरुखाबाद तक पहुंच गई थी।

😭माहौल गमगीन हो गया है। दरोगा तारबाबू जी दूसरों को फर्जी मुकदमों में फंसकर अपनी नौकरी बचाने के चक्कर में जिंदगी गंवा चुके हैं। दरोगा तारबाबू जी को उनके शातिर दिमाग ने ही डूबो दिया। वे खुद अपने बिछाए जाल में फंसाकर आत्महत्या करने को मजबूर हो गए।

(3) 🤗लेकिन तीसरी बात ध्यान रखना । कभी भी किराए पर रहने वाली महिला का प्रयोग किसी पर फर्जी मुकदमा दर्ज करने के लिए मत करना।

(4) 🤪बीड़ी-माचिस का खोखा या चने-मुंगफली का ठेला लगाने वाली महिलाओं से छेड़छाड़ या फिर बलात्कार के मामले में किसी को मत फंसना । क्योंकि ऐसी महिलाएं अदालत में जिरह का सामना नही कर पाती हैं।

(5) 🤔दरअसल अधिकांश लोग पुलिस से ही न्याय मांगते हैं जबकि न्याय न्यायालय में ही मिलता है। पुलिस तो झूठे गवाह और उनके झूठे बयान लिख कर चार्जशीट दाखिल कर देती है।

(6)🤣 झूठे मुकदमे दर्ज कर चार्जशीट दायर करके किसी का उत्पीड़न करना । आजकल पुलिस की महानता बन गई है। लेकिन अंत में ये सब कम से कम विवेचक को तो भारी पड़ता ही है।

(7) 🙄हम आपको बता रहे हैं। कभी भी झूठे आरोप लगा कर किसी का भी उत्पीड़न नहीं करना चाहिए

(8) 😭हम पुलिस से भी कहना चाहते हैं कि ऐसी महिलाओं और उनके चरित्र हीन मित्रों को ही जेल भेज देना चाहिए। जो दूसरों के जीवन को बर्बाद करने की कोशिश करते हैं।

(9) 🤣 हमारी नेक सलाह यह है कि अपनी महिलाओ से घनिष्ठता के सम्बन्धों को अपने तक रखना चाहिए। इस घनिष्ठता से किसी के लिए अनिष्टता की सोच रखने वाले समझ लें । इस तरह की महिलाएं जो आपके कहने पर दूसरे की तबाही को तैयार हैं । वे एक दिन आपकी तबाही बहुत आसानी से कर देंगी। ऐसी सोच रख कर आप अपनी घनिष्ठ बदचलन औरत को अपनी तबाही का रास्ता दिखा कर उसकी रफ्तार बढ़ा रहे हैं।

(10) 🤔 दरअसल बदचलन औरतों को सपोर्ट कर बहुत से लोग आगे बढ़ा देते हैं। इसका सबसे पहले दुष्प्रभाव तो उन संघर्ष शील और नेक नीयत से चलने वाली महिलाओं पर पड़ता है। जो अपनी ईमानदारी और कड़ी मेहनत से आगे बढ़ने के लिए संघर्षरत हैं। क्योंकि समाज उन्हें भी गंदी नजरों से देखने लगता हैं।श

(11) 🤗 बदचलन औरतों को आगे मत बढ़ाओ। ये जितना आगे बढ़ाई जाती हैं। उतनी ही ज्यादा तबाही मचाती हैं। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में रह कर समाज के माहौल को गन्दा मत करो। तुम्हें भी इस समाज में रहना है। इसलिए समाज को रहने लायक बनाएं रखने की जिम्मेदारी हम सब की है।

(12) बीड़ी-माचिस का खोखा लगाना या चने-मुंगफली बेचने का काम गलत नही है। गलत है, ऐसे व्यक्तियों के कहने से किसी को झूठे मुकदमों में फंसकर उन्हों परेशान करना जो महिलाओं के प्रिय जनों के किसी प्रकार के प्रतिद्वंद्वी है। महत्वाकांक्षाओं और आर्थिक लाभ के लिए किसी को झूठे मुक़दमें जैसे बलात्कार, छेड़छाड़, खासकर एससी-एसटी एक्ट और पोक्सों एक्ट बहुत ही खतरनाक साबित होते हैं। इसलिए किसी को झूठा न फंसाए। ऐसा करने से ईमानदारी से संघर्ष कर रही महिलाओं का भी समाज में विश्वास गिर जाता है।

आगे जारी।

हम आपको आगे बताएंगे कि पुलिस की चहेती महिला ने विवेचक को फंसा दिया । क्योंकि यदि फर्जी मुकदमें की वादिया को झूठे मुकदमे दर्ज करने के आरोपों में जेल जाने से बचना है तो विवेचक को फंसाना ही पड़ेगा । मुकदमे का विवेचक वर्तमान में एसपी के पद पर है।

सुप्रीम न्यूज। संपादक। मधु चमारी संपादक दादरी गौतमपुरी वाली।

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