गौतमबुद्धनगर
ताबड़तोड़ एन्काउन्टरों के बाद अपराध नही रुकता, केवल पुलिस की मंथली और वसूली रेट बढ़ते हैं।
गौतमबुद्धनगर नगर में ही नही पूरे उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के कुछ दिनों बाद ही ताबड़तोड़ एन्काउन्टरों की खबरें चारों ओर से आने लगी। इन एनकाउंटरों का एक बड़ा सच ये था कि इनमें कुछेक मामलों को छोड़कर सभी मामलों में गरीब-मजदूर व असंगठित समाज से ताल्लुक रखने वाले परिवारों के नौजवानों पर पुलिस अज्ञात में दर्ज हुए मुकदमों को जादू की छड़ी से खुलासे करके उनके एनकाउंटर कर पत्रकार मित्रों की मदद से पुलिस की हीरो-गिरी वाली फर्जी छवि बना कर वाह-वाही लूटने से लेकर कुछ ही दिनों पहले मेहकश मजदूर और किसान से नव धनाढ्य बने क्षेत्रीय लोगों से छोटे-छोटे मामलों के निपटारे के नाम पर लाखों के वारे-न्यारे कर लूट-खसोट मचाने में व्यस्त हैं।
आपको यह जानकर भी आश्चर्य होगा कि जिस गौतम बुद्ध नगर के पुलिस विभाग को कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने से पहले केवल एक या दो आईपीएस और चार से पांच पीपीएस अधिकारियों द्वारा बखूबी सम्भाल लिया जाता था। आज वही जिला दर्जनों आईपीएस और दर्जनों पीपीएस अधिकारियों से नही सम्भाला जा रहा है।
आखिर इसका क्या कारण है?
जल्द लेकर आ रहे हैं। सुप्रीम न्यूज के संपादक संजय भाटी
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