उत्तरप्रदेशगौतमबुद्धनगर

बेशर्मों इसे “नोएडा पुलिस मीडिया क्लब” कहें या मुखबिरों और दलालों का अड्डा

दलालों और मुखबिरों से दो-दो हाथ करने के लिए गौतमबुद्धनगर में "राष्ट्रीय मधु चमारी प्रेस क्लब" बनाने पर विचार किया जा रहा है इस पर आपके क्या विचार है? सांझा करिए। देखते हैं पहला सदस्य कौन बनेगा?

“मधु चमारी” का पत्रकारिता से जुड़े भाईयों-बहनों के लिए विचार मंथन 

“नोएडा मीडिया क्लब” के नाम पर मुखबिरों और दलालों का अड्डा 

हम बरसों से गौतम बुध नगर के पत्रकारों को समझाते चले आ रहे हैं कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में जो प्रेस क्लब बने हुए हैं दरअसल ये प्रेस क्लब हैं ही नहीं। अब आप कहेंगे कि इनमें से एक का नाम नोएडा मीडिया क्लब है तो दूसरे का नाम ग्रेटर नोएडा प्रेस क्लब है फिर हम ऐसा क्यों कह रहे हैं कि यह प्रेस क्लब या मीडिया क्लब हैं ही नही। वास्तव में तो यह मुखबिरों और दलालों का अड्डा है।

 

        हम ऐसा क्यों कह रहे हैं?

जी हां हम जो कह रहे हैं वह बिल्कुल सच कह रहे हैं शायद हम जो कहना चाहते हैं वह आप समझ भी रहे होंगे। अब सवाल उठता है कि हम ऐसा क्यों कह रहे हैं? इसके हम ठोस प्रमाण देंगे। हम अपने शब्दों की पुष्टि करने के लिए कुछ कहे उससे पहले हम आप से पूछना चाहते हैं कि कोई भी संगठन चाहे वह किसी भी समुदाय, किसी भी व्यवसाय से जुड़े वर्करों या सरकारी कर्मचारियों, किसी फैक्ट्री के मजदूरों, यहां तक की छोटे-मोटे मजदूरों, रेहड़ी, पटरी, टेली लगाने वाले लोगों का ही क्यों ना हो आखिर कोई भी व्यक्ति अपने व्यवसाय से संबंधित इन संगठनों में क्यों जुड़ता है?

कोई बताएगा पत्रकार मीडिया क्लबों या संगठनों से क्यों जुड़ता है?

हम जो कह रहे हैं या हम जो सवाल पूछ रहे हैं वह बिल्कुल स्पष्ट है हम नोएडा मीडिया क्लब और ग्रेटर नोएडा प्रेस क्लब के सदस्यों से केवल और केवल एक सवाल का जवाब चाहते हैं सिर्फ और सिर्फ एक सवाल का जबाब जानना चाहते हैं। हमारा सवाल यह है कि इन मीडिया क्लबों से पत्रकार क्यों जुड़े हुए हैं? पत्रकारिता के कारण आने वाली समस्याओं के समाधान और अपनी सुरक्षा के लिए या पत्रकारों का किम केवल क्लब के पदाधिकारियों के लाइजनिंग के धंधे को धार देने तक सीमित है।

 

 

किसी पत्रकार संगठन के लिए इससे ज्यादा शर्म की बात और क्या होगी?

जो मीडिया क्लब के पदाधिकारी पुलिस में एक एफ आई आर दर्ज होने भर पर या किसी मुलजिम या दरोगा द्वारा मुलजिम के बयान लिखने भर पर आप की सदस्यता को लेकर सवाल खड़ा कर दें। क्या आपने सिर्फ क्लब की सदस्यता इस लिए ली थी कि क्लब के पदाधिकारी जिस समय आप पर पुलिस पुलिस किसी तरह से आप को फंसाने का प्रयास करें या आप को प्रताड़ित करने के लिए आप की खबरों को प्रभावित करने के लिए आपकी पत्रकारिता को प्रभावित करने के लिए आपके विरुद्ध साजिश कर FIR दर्ज कर लें या किसी मामले में मुलजिम के बयान के आधार पर आपके नाम लिख लें।

 

ऐसे समय आपके मीडिया क्लब के पदाधिकारी आपके खिलाफ, आप की क्लब की सदस्यता के खिलाफ पंचायत लेकर बैठ जाएं। बात इतने पर ही खत्म नहीं होती की किसी मीडिया संस्थान के मालिक उसके संपादक उसके पत्रकार का नाम किसी मुलजिम के बयान के आधार पर एक ऐसे पुलिसिया द्वारा घसीटा जा रहा है जिसके खिलाफ अनेकों खबरें प्रकाशित हुई है।

 

नोएडा मीडिया क्लब से जुड़े लोग ऐसे में पुलिस के साथ खड़े होकर एक नौसिखिया पत्रकार “राजा मोर्या”  जिसने जिले के शराब के ठेकेदारों की नींद हराम कर रखी थी। जिसने नोएडा के पार्किंग घोटाले पर मीडिया क्लब से लेकर क्लब या पत्रकारों तक की मंथली को मिट्टी में मिलाने का काम किया। एक छोटे से बच्चे ने गौतम बुध नगर जिले के माफियाओं और गोरख धंधों को दिए गए पुलिस के समर्थन को चुनौती देकर रखी हुई थी। पुलिस के दलाल कल से ही राजा मौर्य के संपादक मनोज वत्स पर लगातार दबाव बना रहे थे कि मनोज वत्स राजा मौर्य को अपने अखबार से निष्कासित कर दे जब यह लोग राजा मौर्य को उसके संपादक द्वारा अखबार से निष्कासित नहीं करवा पाए तो इन्होंने अपने पैंतरे को चार कदम और आगे बढ़ाते हुए आज का मुद्दा के मालिक, संपादक श्री मनोज वत्स के नाम को भी घसीट एक मुलजिम के बयान में घसीटने का दुस्साहस कर लिया।

मामला यहीं तक नहीं रहा पूरे 24 घंटे नोएडा प्रेस क्लबिया गैंग द्वारा आज का मुद्दा अखबार और उसके मालिक मनोज वत्स और एक छोटे से बहुत कम उम्र के नौसिखिया पत्रकार राजा मौर्या के खिलाफ सोशल मीडिया से लेकर अपने अखबारों तक में एजेंडे चलाने शुरू कर दिए।

बड़े ताज्जुब की बात है जब एक ऐसे मीडिया संस्थान जो कई महीनों से नोएडा में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार मुहिम चला रहा था। एक मुल्जिम के बयान में संपादक और उसके पत्रकार का नाम लिख लेने मात्र से नोएडा मीडिया क्लब के पदाधिकारी संपादक और उनके पत्रकार की सदस्यता को लेकर सवाल खड़े करने लगे मामला यहीं तक नहीं रहा। सारे का सारा क्लबिया गैंग कल से ही अपने द्वारा संचालित व्हाट्सएप ग्रुपों, सोशल मीडिया जैसे टि्वटर, फेसबुक आदि पर संपादक और पत्रकार को तथाकथित पत्रकार बताते हुए उनके खिलाफ एजेंडा चलाने लगे।

 

शायद आप समझ रहे होंगे कि हम यहां क्या कहना चाह रहे हैं? गौतम बुध नगर के प्रेस क्लब चाहे वह ग्रेटर नोएडा प्रेस क्लब हो चाहे वह नोएडा मीडिया क्लब हो। जिला गौतमबुद्धनगर के दोनों के दोनों प्रेस क्लब पत्रकारों की सुरक्षा पत्रकारों की समस्या पत्रकारों के हित के लिए नही बने हैं।

 

यह बात हम पहले भी कह चुके हैं। भले ही ये मीडिया के नाम पर बनाए हुए क्लब हैं लेकिन वास्तव में यह पुलिस-प्रशासन और वर्तमान सत्ता द्वारा संचालित प्रेस क्लब हैं इन कल्बों के पदाधिकारी और उनके परिजन हत्या, हत्या की साज़िशों, 307, 420 आदि के मामलों में नामजद आरोपी रहे हैं। कुछ तो आज भी है। ऐसे में ये क्लबिया पुलिस की जी हुजूरी नही करेंगे तो इनके परिजन जेलों में सड़ जाएंगे।

हमारा मतलब साफ है कि गौतमबुद्धनगर के दोनों प्रेस क्लबों को पत्रकारों के हितों से कोई लेना देना नही है। दोनों प्रेस क्लब पुलिस द्वारा संचालित हैं। इसलिए इन दोनों प्रेस क्लबों के पदाधिकारी केवल और केवल पुलिस के लिए लाइजनिंग कर सकते हैं। पत्रकारों की सुरक्षा नही।

 

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