अपराधकोर्ट/कचहरी
वकील सुनील फागना और डॉ अशोक फर्जी मेडिकल मामले में फसे
"झूठे तथ्य गढ़ कर झूठे मुकदमों में दूसरों को फंसाने वालों के लिए नसीहत, कितनी भी साजिशें क्यों न रच लें एक न एक दिन सच्चाई सामने आ ही जाती है। यहां एक वकील अपनी खुद की शैतानी सोच और वकालत के अहंकार में खुद ही फस गया।
वकील और सरकारी डॉक्टर सहित पांच नाम जद और सरकारी अस्पताल के दो अज्ञात डॉक्टरों पर मुकदमा दर्ज
वकील साहब वकालत के अहंकार में परिजनों और डॉक्टरों को भी ले डूबे
आखिरकार अपराधिक सोच के चलते अपने बिछाए जाल में खुद फस गए वकील सुनील फागना और पैसे के लालच में फंसे सरकारी अस्पताल के डॉ अशोक व दो अन्य डॉक्टर
ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर थाना क्षेत्र के लखनावली गांव निवासी वकील सुनील फागना और उसके परिजनों द्वारा सरकारी अस्पताल के डॉक्टर अशोक पुत्र छुट्टन के साथ सांठ-गांठ कर फर्जी मेडिकल रिपोर्ट तैयार करा कर अपने ही गांव के अधिवक्ता सुनील चपराना व उनके परिजनों को झूठे मुकदमे में फसाने की साज़िश की थी। जो नाकाम रही थी।
अब इस मामले में वकील सुनील फागना पुत्र कृष्ण और उसके चाचा महेश फागना पुत्र श्री चंद व चचेरे भाई रोहित व अजय पुत्रगण महेश सहित डॉक्टर अशोक के अलावा दो अन्य अज्ञात सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों पर न्यायालय के आदेश से भा दं सं 1860 की धारा 420, 467, 468, 469, 471,193, 195 व 120-B के तहत थाना सूरजपुर में मुकदमा दर्ज हुआ है।
सुनील फागना पुत्र कृष्ण निवासी लखनावली ने एक, दो साल पहले ही वकालत शुरु की थी। वकील सुनील फागना ने अपनी अपराधी सोच के चलते अपने ही गांव के वकील सुनील चपराना और उनके बुजुर्ग पिता एवं दो अन्य परिजनों को झूठे मुकदमे में फसाने के लिए सरकारी अस्पताल में तैनात डॉक्टरों से सांठ-गांठ कर अपनी नाबालिग भतीजी की पसली टुटने का मेडिकल बनवा कर पूरी तरह से झूठी कहानी और झूठा चिकित्सा प्रमाण पत्र तैयार कर आईपीसी की धारा 307, 325, 323, 504, 452 के तहत मुकदमा दर्ज कराया था।
फर्जी मेडिकल की सच्चाई सबके सामने लाने के लिए अधिवक्ता सुनील चपराना ने जिलाधिकारी सहित अन्य अधिकारीयों को डॉक्टर अशोक और वकील सुनील फागना के द्वारा फर्जी मेडिकल रिपोर्ट तैयार करने के बारे में शिकायत की। जिस पर अधिकारियों के आदेश पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमेटी बना कर पुनः जांच की गई। जिसमें छाती की पसली टुटने की बात झूठी पाई गई।
इस तरह सरकारी डॉक्टर अशोक पुत्र छुट्टन और वकील सुनील फागना की सांठ-गांठ कर झूठा मुकदमा दर्ज कराने की साज़िश जग जाहिर हो गई। तदोपरांत फर्जी मेडिकल के अलावा सीसीटीवी फुटेज के चलते वकील सुनील फागना द्वारा बनाई गई कहानी पुलिस की विवेचना में ताश के पत्तों की तरह बिखर गई। मुकदमा पूरी तरह से झूठी कहानी पर आधारित पाया गया।
दरअसल सुनील फागना ने अधिवक्ता सुनील चपराना और उनके बुजुर्ग पिता को फसाने के लिए जो कहानी बनाई उसमें एक अक्षर की भी सच्चाई नहीं थी।
सुनील फागना द्वारा दर्ज कराया गया मुकदमा उसके खुद के गले की फांस बन गया। दरअसल सुनील फागना ने ये मुकदमा आईपीसी की धारा 307, 325, 323, 504, 452 के तहत दर्ज कराया था। विवेचना में पुलिस ने इस मुकदमे को पूरी तरह से झूठा पाया। इस मुकदमे में न केवल पसली टुटने की कहानी झूठी थी बल्कि सारी कहानी ही फर्जी साबित हुई थी।
डॉक्टर अशोक कुमार और वकील सुनील फागना डॉक्टरी और वकालत के पेशे से जुड़े हैं जिनके द्वारा झूठा मेडिकल तैयार कर निर्दोष व्यक्तियों को फसाने का कृत्य समाज के लिए घातक है। जिन्होंने अपनी आपराधिक मानसिकता के चलते डॉक्टरी और वकालत जैसे पवित्र पेशे को भी कलंकित किया है।
यहां यह बताना भी जरूरी है कि डॉक्टर अशोक कुमार पहले भी कई बार इसी तरह की फर्जी मेडिकल रिपोर्ट तैयार करने के मामले में चर्चा का विषय रहे हैं। इनके खिलाफ कई अन्य लोगों की भी शिकायते रहीं हैं। वहीं वकील सुनील फागना के परिजनों का भी अपराध से पुराना संबंध है। महेश, उसका बेटा विकास व अन्य मार्च महीने में ही एक दलित परिवार के साथ हुए विवाद में सूरजपुर पुलिस द्वारा मौके से गिरफ्तार कर जेल भेजे गए थे। जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।