कोर्ट/कचहरी

फर्जी मुकदमें न्यायालय में नही टिकते केवल अखबारों की सुर्खियां बनते हैं

गांजा व खाईबाडी करने वाले गैंग की शिकायत संपादकों और दर्जनों मौहल्ले वासियों द्वारा की गई तो क्षेत्राधिकारी ने फोन कर अपने चौकी प्रभारी के माध्यम से गांजा तस्करों और खाईवाडी करने वाले लोगों को बुला कर 'सुप्रीम न्यूज की संपादक मधु जी' पर हमला करा कर उनके साथ लूटपाट कराने के बाद सम्पादकों पर फर्जी मुक़दमा दर्ज कर दिया था। फोटो में फोन करता तत्कालीन क्षेत्राधिकारी दादरी बाद में यही फर्जी मुकदमें का विवेचक भी रहा, मतलब पुलिस का क्षेत्राधिकारी, थाना प्रभारी और चौकी प्रभारी ही गांजा तस्करी और सट्टेबाजी करवाते थे। संपादकों के पास मुकदमें के फर्जी होने के सैकड़ों सबूत मौजूद हैं

राजा मौर्या/सुप्रीम न्यूज 

गौतमबुद्धनगर। आज जिस मामले में सुप्रीम न्यूज के संपादक श्री संजय भाटी द्वारा आत्म समर्पण किया गया था। उसमें श्री संजय भाटी की ओर से उनकी जमानत याचिका पर एडवोकेट श्री प्रदीप त्यागी जी द्वारा एससी, एसटी विशेष न्यायालय गौतमबुद्धनगर में उनका पक्ष रखा गया। मामलें में न्यायालय द्वारा संपादक को अंतरिम जमानत दे दी गई है। आगे की सुनवाई के लिए 11/04/2023 नियत की गई है।

 

पुलिस का गोरखधंधा सबके सामने आ रहा है क्षेत्राधिकारी तक अवैध धंधों में लिप्त थे 

2016 में गौतमबुद्धनगर के चौकी-थाने से लेकर सट्टेबाजों को तत्कालिन दादरी क्षेत्राधिकारी तक का संरक्षण प्राप्त था। जिसको लेकर सुप्रीम न्यूज के संपादकों ने दादरी पुलिस को कानून का पाठ पढ़ाया था। जबकि कानून व्यवस्था के लिए बनाए गए पुलिस विभाग को कानूनी काम करना मंजूर ही नही था। इसी सब को लेकर पुलिस विभाग के भ्रष्टाचारियों द्वारा सुप्रीम न्यूज के संपादकों पर एक के बाद एक मुकदमें दर्ज किए गए।

पुलिस द्वारा दर्ज किए गए इन मुकदमों में से एक भी मुकदमा कोर्ट में सुनवाई के दौरान नही टिक पा रहा है। किसी मुकदमें में FIR में लगाई गई धाराओं में गड़बड़ी तो किसी में चार्जशीट में धाराओं को बढ़ा चढ़ा कर चार्जशीट दाखिल कर दी गई है। 

 

पुलिस की लगाई गई धाराएं और मुकदमें न्यायालय में चार्ज लगाते वक्त ही लड़खड़ाते हुए धड़ाम से गिर गए। जो कुछ धाराएं बचीं उनकी पोल पट्टी FIR कर्ताओं से जिरह के दौरान खुल गई। मुकदमा वादी को FIR में दर्ज घटनाओं के बारे में जानकारी तक नही है।

एक मामले में तो वादियां द्वारा अपने मुकदमें में चश्मदीद गवाह बनाए गए अपने जीजा की कोरोना काल में मृत्यु होना बता दी।

संपादकों पर दर्ज दूसरे मुकदमें में जिस जीजा की मौत कोरोना में होना बताई है। वही दूसरे मुकदमें का भी मुख्य और चश्मदीद गवाह है। दूसरे मुकदमें की वादियां भी इसी चश्मदीद गवाह की पत्नी हैं। संपादक वादिया के जीजा का मृत्यु प्रमाण पत्र की मांग कर रहे हैं। क्योंकि जीजा कांशीराम आवास योजना में मकान लेकर आज भी अवैध रूप से शराब और गांजा तस्करी कर रहा है।

गवाह कुछ भी नही बता पा रहे हैं। सुप्रीम न्यूज के संपादकों पर दर्ज हर एक मुकदमा न केवल फर्जी साबित हो रहा है। बल्कि पुलिस का सारा फर्जीवाड़ा न्यायालय के सामने आ गया है। विवेचक खुद अपने कर्मों को छिपाने में नाकामी के बाद जिरह से मुंह छिपाकर लगातार गैर हाजिर हो रहें हैं 

कुल मिलाकर ये बात साफ हो रही है कि पुलिस द्वारा गांजा तस्करों और सट्टे की खाईबाडी करने वालों के परिवारों को वादी और गवाह बना कर मुकदमें दर्ज कर गम्भीर और संपादक के बेदाग छवि को दागी बनने का भरपूर प्रयास किया गया है।

 

मैं पिछले कुछ समय से सुप्रीम न्यूज के “संपादक श्री संजय भाटी” के साथ जनपद न्यायालय गौतमबुद्धनगर में उन पर चल रहे मुकदमों की सुनवाई को देखने के लिए सुबह दस बजे से पहले ही जनपद न्यायालय गौतमबुद्धनगर पहुंच जाता हूं। उन पर दर्ज मुकदमों की संख्या और मुकदमों की धाराओं को सुनकर अच्छे-अच्छे की हवा खराब हो जाती है।

पुलिस द्वारा अपने विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के चेहरे पर पुती हुई भ्रष्टाचार की कालिख को अपने चेहरे से मिटाने के लिए ‘सुप्रीम न्यूज के संपादक श्री संजय भाटी’ पर एक के बाद न केवल मुकदमें दर्ज किए बल्कि मुकदमों में बढ़ा चढ़ा कर चार्जशीट भी दाखिल की।

‘श्री संजय भाटी’ संपादक सुप्रीम न्यूज पर दादरी पुलिस ने जो मुकदमा दर्ज किया थे। वे सभी मुकदमें पुलिस द्वारा अपनी गैरकानूनी गतिविधियों के एकदम सटीक खुलासे और शिकायतें दर्ज होने के कारण शिकायतों से बचने के लिए किए गए हैं।

पुलिस द्वारा दर्ज हर एक मुकदमा फर्जी साबित हो रहा है इसलिए सुप्रीम न्यूज के संपादकों का कांफिडेंस लेवल हाई रहता है। पहले तो सभी मुकदमें पुलिस द्वारा SC,St Act और महिलाओं से संबंधित धाराओं में इतने बढ़ा चढ़ा कर दर्ज किए गए हैं कि FIR पढ़ते ही मुकदमों के झूठे होने का पता चल जाता है। इसके बाद मुकदमों में एससी,एसटी एक्ट होने के कारण विवेचना PPS अधिकारियों द्वारा की गई हैं। जिनमें विवेचना के दौरान बढ़ा चढ़ा कर चार्जशीट दाखिल की गई हैं। 

मामले में और भी कई पेंच हैं जिसके कारण सुप्रीम न्यूज के दोनों संपादकों को सजा होने या जेल जाने का तनिक भी संदेह नही है। बल्कि वादी मुकदमा और विवेचक रहे तत्कालीन क्षेत्राधिकारियों की हालत खस्ता हो रही है। विवेचक सुप्रीम न्यूज के संपादक द्वारा की जा रही जिरह का सामना नही कर पाएंगे।

 

यही कारण है कि सुप्रीम न्यूज के दोनों संपादकों का कांफिडेंस लेवल हाई रहता है। सुप्रीम न्यूज के संपादक कानून और न्यायालय पर बेइंतहा भरोसा करते हैं। क्योंकि कानून सुप्रीम न्यूज के संपादक श्री संजय भाटी की रगरग में भरा हुआ है।

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