राष्ट्रीय
छोटे बच्चे के वायरल विडियो के साथ मोदी जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं
आज हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का जन्मदिन है। उनका जन्म 17 सितंबर 1950 को हुआ था। वे अब 72 वर्ष के हो गए है। हम अपने पाठकों और सुप्रीम न्यूज की और से अपने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं देते हैं। हम अपने प्रधानमंत्री को उनके जन्मदिन पर शुभकामनाएं देते हुए अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं
~ संजय भाटी संपादक सुप्रीम न्यूज
आज हमारे प्रधानमंत्री का जन्म दिन है तो आज यहां पर हमारा रोज मर्रा की सरकार व व्यवस्था की कमियों को गिनवाने का कोई इरादा नही है। एक छोटे बच्चे का बहुत आत्म विश्वास से भरपूर विडियो कई दिनों से मोदी जी के चाय बेचने को लेकर वायरल हो रहा है। इसलिए कुछ हंसी-मजाक भरा राजनीतिक विश्लेषण उसी विडियो को लेकर करते हैं।
पहले आप वायरल विडियो देखें
https://twitter.com/SupremeNewsG/status/1570238680052400128?t=IpbBtHUagkG9X1l6yA3BUQ&s=19
हम अपने को बहुत भाग्यशाली मान रहे हैं कि हम उस देश में पैदा हुए हैं। जहां एक चाय बेचने वाला मामूली व्यक्ति आज दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्रिक देश का प्रधानमंत्री है। देश के प्रधानमंत्री को मामूली चाय बेचने वाला कहना उचित सा नही लग रहा इसलिए अपने शब्दों में सुधार कि जरुरत समझते हुए हम इसे दूसरी तरह से कहेंगे।
लो इस तरह कहते हैं कि किसी सपने में भी नही सोचा होगा कि एक चाय बेचने वाला इतना प्रतिभाशाली होगा कि वह एक दिन भारत जैसे लोकतांत्रिक देश का प्रधानमंत्री बन सकता है।
अब कुछ ठीक है। पर विषय यह भी है कि चाय बेचने वाला प्रतिभाशाली बालक प्रधानमंत्री बनने के बाद इस बात को गर्व के साथ बड़ी-बड़ी चुनावी सभाओं में लाखों लोगों के सामने कहेगा कि उसने बचपन में चाय बेची थी। ये तो किसी ने नही सोचा था।
यदि नरेंद्र मोदी की चाय बेचकर प्रधानमंत्री बनने वाली बात पहले से देश के नेताओं को पता चल जाती तो हिमालय की तलहटी में स्थित जम्मू प्रदेश श्रीनगर, पहलगांम, गुलमर्ग, करगिल, लद्दाख से लेकर दिल्ली, आगरा, मुरादाबाद, कानपुर, लखनऊ, आगरा, इलाहाबाद, पटना, चेन्नई, कलकत्ता, मुम्बई, भोपाल से रामेश्वरम् तक सभी छोटे-बड़े स्टेशन पर आज के संसद और विधायक बचपन में बेचते मिल जाते। अब क्या करें? अब तो चाय बेचने का समय निकल गया पचपन में बचपन कहां से लाएं।
वैसे अभी बचपन में चाय बेचने वाला फॉर्मूला फ्लॉप नही हुआ है। अभी भी उम्मीद जताई जा रही है कि बचपन में चाय बेचकर देश का प्रधानमंत्री बना जा सकता है। वैसे भी हम भारतवासी रुढ़िवाद को परम्पराओं के रूप में निभाते रहते हैं। इस लिए छोटे-छोटे बच्चे को अभी भी इस फॉर्मूले पर भरोसा है।
पाठकों अब हम आपसे विनती कर रहे हैं कि ज्यादा हंसी मजाक मत करो। यहां पता नही कब किसकी भावनाएं आहत हो जाएं। वैसे श्री नरेन्द्र मोदी जी, देश के प्रधानमंत्री होने के नाते हमारे भी उतने ही हैं, जितने उनके साथ फोटो खींचवाने वालों के हैं। इसलिए उनके चाय बेचने वाले बच्चे के प्रधानमंत्री बनने के फॉर्मूले पर हमारे जैसे किसी गरीब के बच्चे को भी प्रधानमंत्री बनने का सपना देखने का उतना ही हक रखता है जितना उनकी अगल बगल में लगे लोगों का है। वैसे भी हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने चाय बेचने के फॉर्मूले से लेकर पकोड़े तल कर बेचने वाले, जैसे दूसरे बहुत से फॉर्मूलों का जनहित में कोई पेटेंट नही कराया।
वरना देश में स्वतंत्रता के बाद 1970 में पेटेंट अधिनियम बना और इसे वर्ष 1972 से लागू किया गया था
हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी बहुत दयालु और कृपालु हैं । उन्होंने अपने किसी भी फॉर्मूले पर कोई पेटेंट नही कराया। सब के सब फॉर्मूले देश की जनता को समर्पित कर दिए।
अंत में पुनः एक बार दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को जन्मदिन की कोटि-कोटि शुभकामनाएं और बधाइयां।
संजय भाटी
संपादक सुप्रीम न्यूज