अधिवक्ता-पत्रकार और पुलिस-प्रशासननोएडा पुलिस
जावेद का चार बार हो चुका है फर्जी एनकाऊंटर, इस बार ट्विटर वासियों ने बचा लिया
पत्नी ने दिया ट्विटर वासियों को धन्यवाद
“सुप्रीम न्यूज परिवार के सदस्य कभी भी दलाली के रास्ते पर नही जाते, जावेद की दादरी पुलिस द्वारा गिरफ्तारी के पंद्रह बीस मिनट बाद से ही हमें जानकारी थी, जावेद से स्वयं दादरी पुलिस ने हिरासत से उसकी पत्नी को फोन कराया था जिसमें एक अंगूठी और कुछ पैसे लाकर देने को कहा गया था ” ~ संजय भाटी
गौतमबुद्धनगर में पत्रकारिता पुलिस के गुड़ वर्क का इंतजार करता है मानवाधिकारों और नियम कानूनों को तिलांजलि दे रहे पुलिस विभाग से दलाली आदि के रूप में कमाई के कारण कोई सवाल नही करता? यहां तक कि परिजनों को सही रास्ते तक नही बताता। जबकि जब भी कस्बाई इलाकों से कोई गिरफ्तारी होती है तो पत्रकारों को उसका तुरंत पता चल जाता है।
कई बार तो एनकाऊंटर के डर से अपराधियों के परिजन और स्वयं अपराध में संलिप्त व्यक्ति मीडिया से जुड़े लोगों को तक किसी भी तरह पहुंच बनाने की कोशिश करते हैं। लेकिन पत्रकारिता से जुड़े लोग कानूनी मदद के बजाए दलाली का मौका तलाशने लगते हैं। सुप्रीम न्यूज परिवार के सदस्य कभी भी दलाली के रास्ते पर नही जाते।
जावेद उर्फ जावर पुत्र मुस्ताक को कई – कई दिनों तक अवैध हिरासत में रखने के बाद फर्जी मुठभेड़ कर आधा दर्जन से लेकर दर्जन भर तक मुकदमें खोल दिए जाते हैं। ये हम नही कह रहे हैं। ये सब जावेद के मुकदमों का इतिहास कह रहा है।
हम आपको बता दें कि जावेद उर्फ जावर पुत्र मुस्ताक निवासी बिलासपुर पर गौतमबुद्धनगर में 30 से अधिक मुकदमें दर्ज हैं। जावेद से पुलिस अब तक चार बार मुठभेड़ दिखा चुकी है।
इस बार जावेद को दादरी पुलिस द्वारा उसके घर के सामने से दिनांक 02/12/2022 को समय दोपहर 3:00 बजे दादरी पुलिस के दो-तीन सिपाहियों द्वारा लाया गया था। बाद में उसे पंजाब नेशनल बैंक के सामने से एक कार में डाल कर दादरी थाने ले जाया गया। जहां वह चिखने चिल्लाने लगा। जिससे भीड़ जमा हो गई।
भीड़ में से ही किसी ने जावेद को पुलिस द्वारा जबरन ले जाने की जानकारी उसकी पत्नी को दे दी। जिससे जावेद की पत्नी को जावेद के पुलिस द्वारा उठाए जाने की जानकारी हो गई। उसने जावेद को गौतमबुद्धनगर जिले की पुलिस की फर्जी मुठभेड़ से बचाने की जद्दोजहद शुरू कर दी। वह कभी दादरी थाने तो कभी सूरजपुर कोर्ट पहुंची।
उसने जिलाधिकारी कार्यालय पर जाकर जावेद को दादरी पुलिस द्वारा जबरन उठा कर ले जाने और उसके बारे में दादरी पुलिस द्वारा कोई जानकारी नही देने के बारे में लिखित शिकायत दर्ज कराई।
साथ ही दर्जनों पत्र लिखकर विभिन्न विभागों के अधिकारियों और मानवाधिकार आयोग, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री आदि को रजिस्टर्ड डाक द्वारा भेजें। जावेद की पत्नी ने इस मामले में दादरी व ग्रेटर नोएडा के पत्रकारों से भी सम्पर्क किया। पत्रकारों ने उसकी कोई मदद नही की। वह रात भर दादरी के पत्रकारों व दादरी थाने के पुलिस वालों से हाथ जोड़कर प्रार्थना करती रही कि उसके पति का एनकाऊंटर न किया जाए। अंत में उसने सुप्रीम न्यूज परिवार के अधिवक्ताओं से सम्पर्क किया।
जिसके बाद को रेशमा की शिकायतों को देखते हुए। उसके पति को जबरन दादरी पुलिस द्वारा उठाए जाने और अवैध रूप से हिरासत में रखने के मामले में ट्विटर पर शेयर किया गया। जिस पर मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार द्वारा जावेद को दादरी पुलिस द्वारा जबरन उठा कर अवैध हिरासत में रखने के विरुद्ध अभियान चलाया गया। तब जाकर पुलिस द्वारा उसके हिरासत में लिए जाने की अधिकारिक पुष्टि करते हुए उसे एक मामले का आरोपी बताया।
दरअसल दादरी में 30/11/2022 को एक घटना हुई थी। पुलिस द्वारा जावेद पुत्र मुस्ताक और जावेद पुत्र अनवर को उस घटना में आरोपी बनाया गया साथ ही दोनों अभियुक्तों से एक-एक तमंचा और एक कारतूस बरामद दिखा गया है।
थाना दादरी:- ठगी करने वाले 02 शातिर अभियुक्त गिरफ्तार, कब्जे से 02 अंगूठी पीली धातू, 02 एटीएम कार्ड, अवैध हथियार, 18,500 रूपये व एक मोटरसाइकिल बिना नम्बर (घटना में प्रयुक्त) बरामद। pic.twitter.com/L9gRdk92W6
— POLICE COMMISSIONERATE GAUTAM BUDDH NAGAR (@noidapolice) December 4, 2022
हम पुलिस द्वारा किए गए खुलासे पर कोई सवाल नही उठा रहे हैं। दादरी पुलिस ने वास्तव में बहुत जल्द और सटीक खुलासा किया है। लेकिन पुलिस यह भी बताए की सोने की दोनों अंगूठी कहां से खरीदी? अंगूठियों का भुगतान केश या ATM कार्ड या किसी अन्य ऑनलाइन माध्यम से किया गया? यहां एक अहम सवाल यह भी है कि बरामद तमंचे कहां से आए? जिस दूकान से सोने की दोनों अंगूठियां खरीदी गई उसे भी सामने लाना चाहिए।
सोने की अंगूठियां पीली धातु की कैसे हो जाती है?
आजकल पुलिस द्वारा बरामद आभूषण सोने, चांदी की बजाए पीली धातु या सफेद धातु की बरामद होने लगी हैं। क्या इसमें भी कोई पेंच है? जी हां। यह चलन अब बहुत ज्यादा बढ़ गया है। ठीक उसी तरह जिस तरह बरामद राशि वास्तविक बरामदगी से लिखापढ़ी तक आते-आते कम हो जाती है। ठीक उसी तरह सोने, चांदी के आभूषण बरामदगी के समय से लिखा-पढी तक आते-आते पीली और सफेद धातु की हो जाती हैं।
वरना घटना को ज्यादा दिन तो हुए नहीं हैं। ऐसे में उस दुकान का पता लगाना मुश्किल काम तो नही है जहां से अंगूठियां खरीदी गई हैं। दादरी कस्बे में सुुुुुुुनार की दूकान और दूकान से अंगूठियों की कीमत और किस तरह भुगतान किया गया? ये पता करना मुश्किल काम नहीं है। क्योंकि दादरी के सभी सुनार थाने से एक किलोमीटर से कम दूरी में ही हैं।
जारी