पत्रकारिता

फोटो जर्नलिस्ट केविन कार्टर द्वारा खींचें एक फोटो पर पुलित्जर पुरस्कार और आत्महत्या की कहानी

ये कहानी मैंने दर्जनों बार पढ़ी है, वैसे भी यह कहानी अखबारों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर वायरल होती ही रहती है। इस कहानी को आज फिर एक पत्रकार साथी द्वारा व्हाट्सएप ग्रुप में शेयर किया गया, वहीं से उठा कर हम भी कुछ सोच विचार कर इस कहानी को अपने पोर्टल पर एक उम्मीद के साथ प्रसारित कर रहे हैं ~ संजय भाटी

हमें नही मालूम कि इस लेख के लेखक कौन हैं ? व्हाट्सएप से ज्यौ का त्यौ प्रसारित कर दिया। ऐसे लगता है कि शायद लिखने वाले का उद्देश्य कापीराइट नही बल्कि लेखक का उद्देश्य पत्रकारिता के लबादे में बैठे गिद्धों की आत्मा को जगाना है। अतः हम भी लेखक के उद्देश्य को आत्मसात करते हुए इस लेख को अपने पाठकों तक पहुंचा रहे हैं ~ संजय भाटी 

क्या आपको इस चित्र की जानकारी और याद है ?

इस चित्र का नाम है- ‘गिद्ध और छोटी बच्ची’। इस चित्र में एक गिद्ध, भूखी बच्ची की मृत्यु का इंतजार कर रहा है। एक दक्षिण अफ्रीकी फोटो पत्रकार केविन कार्टर ने इसे मार्च 1993 के अकाल में सूडान में खींचा था। उस फिल्म के लिए उसे पुलित्जर पुरस्कार दिया गया था। लेकिन इतना सम्मान प्राप्त करने के बाद भी कार्टर ने 33 वर्ष की उम्र में आत्महत्या कर ली थी।

उसकी आत्महत्या का कारण क्या था? वास्तव में, जब वह सम्मान मिलने की खुशी मना रहा था, और उस पुरस्कार का समाचार अनेक टीवी समाचार चैनलों पर दिखाया जा रहा था, उसी समय किसी ने उससे एक टेलीफोन इंटरव्यू में पूछा कि अन्त में उस लड़की का क्या हुआ?

कार्टर ने उत्तर दिया कि मैं कुछ कह नही सकता, क्योंकि मैं अपनी उड़ान पकड़ने की जल्दी में था।

‘वहाँ कितने गिद्ध थे?’ उसी आदमी ने पूछा।

कार्टर ने कहा, ‘मैं समझता हूँ कि वहाँ एक ही था।’

टेलीफोन पर दूसरी ओर से बात कर रहे व्यक्ति ने कहा, ‘मैं कह रहा हूँ कि वहाँ उस समय दो गिद्ध थे, उनमें से एक के पास कैमरा था।’

इन शब्दों की सार्थकता समझते ही कार्टर बहुत दुःखी हो गया और उसके कुछ समय बाद उसने आत्महत्या कर ली।

हमें हर स्थिति में मानवता का ध्यान रखना चाहिए। कार्टर आज भी जिन्दा होता, यदि उसने उस भूख से मरती हुई बच्ची को संयुक्त मिशन के भोजन केन्द्र तक पहुँचा दिया होता, जो वहाँ से केवल आधा मील दूर था, शायद वह बच्ची वहीं पहुँचने का प्रयास कर रही थी।

आज फिर, अनेक गिद्ध हाथों में कैमरा लेकर पूरे देश से अपने घर लौट रहे हैं, जो केवल जलती हुई चिताओं के और ऑक्सीजन के अभाव में दम घुटने से मरने वाले लोगों के चित्र खींच रहे हें और उनको ऑनलाइन बेच रहे हैं।

इन गिद्धों को मौतों की चिन्ता करने के बजाय उनके समाचार एकत्र करने की चिन्ता अधिक है, ताकि चैनलों की टीआरपी बढायी जा सके। वे जलती हुई चिताओं में ईंधन डालकर ब्रेकिंग न्यूज एकत्र करने में व्यस्त हैं।

केविन कार्टर में स्वाभिमान था, इसलिए उसने आत्महत्या कर ली। लेकिन ये पत्रकार नामधारी गिद्ध गर्व के साथ ब्रेकिंग न्यूज बनाने में व्यस्त हैं।
ऐसे गिद्ध भारत में ज्यादा हैं।

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