पत्रकारिता

मान्यता प्राप्त पत्रकार होने से बेहतर ट्विटर, फेसबुक या दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर सच्चाई रखने वाले नागरिक बनें

वर्तमान में केवल प्रिंट और टेलीविजन के पत्रकार प्रेस सूचना ब्यूरो से सरकारी मान्यता प्राप्त करने के लिए पात्र हैं। इस में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों से जुड़े पत्रकारों के लिए कोई स्थान नही है। बल्कि यह भी कहा जा सकता है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर लिखने वाले सरकारी नियम और क़ानून के हिसाब से पत्रकार ही नही है। सुविधाओं, मुनाफे और लाभ कमाने के लिए पत्रकारिता करने से बेहतर कोई दूसरा व्यापार या रोजगार कर लिजिए। क्योंकि वास्तव में तो पत्रकारिता सरकार और अधिकार संपन्न लोगों से गरीब मजदूर, किसान और आर्थिक स्तर पर कमजोरों के हितों की रक्षा का संविधान सम्मत विकल्प है। लेकिन वर्तमान में अधिकार सम्पन्न लोगों की स्वार्थवृत्ति ने पत्रकारिता को व्यावसायिक रूप देकर मुनाफे और रोजगार का साधन बना दिया ~ संजय भाटी

संजय भाटी

मान्यता प्राप्त पत्रकार बनने के सवाल पर मित्र को दिया गया जबाब

आज एक पुराने मित्र ने सवाल उठाया कि मान्यता प्राप्त पत्रकार कैसे बनाए जाते हैं ?

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कानूनी तौर पर मान्यता प्राप्त पत्रकार बनने के लिए एक पूरी प्रक्रिया होती है। जो सभी को भलीभांति मालूम होती है। लेकिन अब अपने मित्र के सवाल का जबाब वास्तविकता के हिसाब से दूंगा । पूरा सच बोल दिया तो बखेड़ा खड़ा हो जाएगा।

हम उन्हें कैसे समझाएं कि हम पत्रकारिता में मान्यता प्राप्त पत्रकार बनने नही आए। बल्कि भारतीय नागरिक होने का फर्ज निभाने आए है। अपने खुद के लिए सुविधाएं, धन और रसूखदार लोगों से संबंध अर्जित करना हमारा मकसद नही रहा।

सरकारी मान्यता प्राप्त पत्रकार बनना हमारे लिए आत्महत्या करने जैसी कायरता होगा। 

हमारे मित्र सिर्फ इतना समझ लें कि हम सरकारी सुविधाओं को प्राप्त कर देश की जनता का सौदा करने पत्रकारिता में नही आए। आपने लिए कुछ सुविधाएं प्राप्त करके सरकारी भोंपू बनना हमारे खून में ही नही है। हम आंखों पर पट्टी बांध कर पत्रकारिता को कलंकित करने नही आए हैं। सरकारी मान्यता प्राप्त पत्रकार बनना हमारे लिए आत्महत्या करने जैसी कायरता होगा।

हमें मंत्री, संतरी और मंत्रालयों से मतलब नही है, हमारा उद्देश्य जनसरोकार की पत्रकारिता है 

हमारा अपने मित्र को सीधा और सरल सा जबाब यह है कि मान्यता प्राप्त पत्रकार का मतलब सरकार से पत्रकारिता के नाम पर सुविधा प्राप्त करना है। सरकारी सुविधाओं का मतलब पत्रकारिता की एवज में लाभ प्राप्त करना। अब जो लोग हर साल मान्यता प्राप्त पत्रकार बनने की दौड़ में लगे रहते हैं। यदि उनके हिसाब से बात करोगे तो मान्यता प्राप्त पत्रकार का मतलब कुछ विशेष उपलब्धि से है। हमें मंत्री, संतरी और मंत्रालयों से मतलब नही है, हमारा उद्देश्य जनसरोकार की पत्रकारिता है

वास्तव में मान्यता प्राप्त पत्रकार होना उनके लिए यह एक उपलब्धि है

सोच का फर्क है। हमारा नजरिया बिल्कुल दूसरी तरह का है। इसे उद्देश्य का फर्क भी कह सकते हैं। जिन लोगों का उद्देश्य पत्रकारिता से अपने लिए कुछ अलग से प्राप्त करना हो, वास्तव में मान्यता प्राप्त पत्रकार होना उनके लिए यह एक उपलब्धि है।

सोच और उद्देश्य का अन्तर 

मान्यता प्राप्त पत्रकारों के हिसाब से सोचा जाए तो हम लोग पत्रकार की श्रेणी में भी नही आते। वे हमें पत्रकारिता में छिछोरेपन और फुहड़ता को बढ़ाने वाले भी कह सकते हैं।

दरअसल जिस तरह से हम पत्रकारिता करते हैं। वह सरकार और सरकारी मशीनरी के लिए चुनौतियां खड़ी कर देता है। हम संविधान और कानूनों से प्राप्त अधिकारों के दम पर लिखते हैं। मान्यता प्राप्त पत्रकार सरकार से प्राप्त धन और बल के आधार पर सरकार के पक्ष में लिखते हैं।

मान्यता प्राप्त पत्रकार बनने के लिए सबसे पहले जरूरी है कि आप जिस अखबार या टेलीविजन चैनलों (मीडिया संस्थान) में कार्यरत हैं वह सरकार से विज्ञापन के लिए सूचीबद्ध हो। सूचिबद्धता के लिए भी बहुत से मानक होते हैं। जिन मानकों को वही मीडिया संस्थान पूरा करता है। जो पूरी तरह से व्यापार के नियमों पर चलने को तैयार हो।

इससे ज्यादा कुछ मत कहलवाओ क्योंकि पत्रकार सिर्फ पत्रकार होता है

अन्त में मित्र ये भी जान लीजिए पत्रकार भले ही मान्यता प्राप्त हो या फिर ट्विटर, फेसबुक आदि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर लिखने वाला हो कहीं न कहीं अपनी आत्मा की आवाज और जनता जनार्दन से कम या ज्यादा जुड़ाव के चलते जनसरोकारों के लिए एक सुर और ताल पर आ ही जाते हैं। इसलिए पत्रकार सिर्फ और सिर्फ पत्रकार होता है।

हम अपनी आत्मा को मार कर इस अन्तर को खत्म नही करना चाहते

“हमारा उद्देश्य मान्यता प्राप्त पत्रकार बनना नही है। हम केवल भारतीय नागरिक हैं। वही बने रहना चाहते हैं। एक छोटा सा पत्रकार बनकर जन सरोकार से ओतप्रोत पत्रकारिता करना और सरकारी मान्यता प्राप्त पत्रकार बनकर सुविधाएं अर्जित करना। दोनों में जमीन आसमान जैसा अन्तर है। ये अन्तर हमें मंजूर है। हम अपनी आत्मा को मार कर इस अन्तर को खत्म नही करना चाहते। हमें इस अन्तर पर गर्व है।” ~ संजय भाटी

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