वास्तविक मुद्देसंजय भाटी

समाज में अच्छे लोगों के निष्क्रिय होने से ठगी, भ्रष्टाचार और अपराध में संलिप्तता वाले लोगों के द्वारा हर क्षेत्र में गंदगी स्थापित कर दी गई ~ संजय भाटी

संजय भाटी 

भ्रष्टाचार, झूठ, ठगी और अपराध में संलिप्तता और संरक्षण देना अब राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों की ही नही बल्कि दूसरे अन्य व्यवसायों से जुड़े लोगों की वरिष्ठता की पहचान बना चुकी है। समाजसेवी संस्थाओं से लेकर धार्मिक स्थलों पर बनी संस्थाओं और मीडिया संस्थानों में भी अधिकांशतः भ्रष्टाचार, झूठ, ठगी और अपराध में संलिप्तता रखने वाले लोगों का वर्चस्व लगातार बढ़ रहा है।

हमारे समाज में यह योग राजनीति से प्रेरित होकर ही दूसरे व्यवसायों और सेवाओं से जुड़े लोगों तक पहुंचा हैं। व्यवसायों की बात तो बहुत बड़ी बात होगी क्योंकि अनेकों व्यवसाय तो सीधे तौर पर राजनीति से जुड़े होते हैं।

हम यहां आपका ध्यान सबसे पहले अनेकों समाजसेवी संस्थाओं और धार्मिक स्थलों के नाम पर चलने वाले संगठनों की ओर ले जाना चाहते हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि क्या हमारे आस-पास सक्रिय समाजसेवी संस्थाओं और धार्मिक स्थलों पर धर्म के नाम पर बनाई गई संस्थाओं के सदस्यों से लेकर पदाधिकारियों में शामिल लोग राजनीतिक दलों से जुड़े हुए हैं? या फिर नही? इसी सवाल के जबाब में हमारे आस-पास सक्रिय समाज सेवी संस्थाओं का वास्तविक उद्देश्य छिपा हुआ है। इसी सवाल के जबाब में इस तरह की समाजसेवी संस्थाओं से जुड़े लोगों का वास्तविक उद्देश्य व उनका चरित्र भी छिपा होता है। इसके अलावा आप इस बात पर भी नजर डालें कि इस तरह की संस्थाओं से जुड़े लोग अपनी आजीविका चलाने के लिए क्या कार्य करते हैं? उनकी आमदनी का जरिया क्या है?

यहां हम आपको यह भी बताना चाहते हैं कि समाज सेवा और धर्म से जुड़े मामलों का सीधा संबंध व्यक्ति की भावनाओं से जुड़ा होता है। भावनाओं की गहराई और सच्चाई की वास्तविकता उसके रोजगार या यूं कहें कि व्यक्ति के कमाई के जरिए से हो सकती है।

आप देखेंगे कि ठगी, भ्रष्टाचार और अपराध में संलिप्तता वाले लोग धार्मिक स्थलों पर सबसे आगे की पंक्ति में खड़े दिखाई देते हैं। यही हाल अधिकांश समाजसेवी संस्थाओं का भी हो चुका है। यह एक अहम समस्या व सामाजिक बुराई है। जिसके चलते न केवल ऐसे लोगों को बढ़ावा मिलता है बल्कि समाज में ये लोग बच्चों व युवाओं के रोल मॉडल बन जाते हैं। बच्चे और युवा इनका अनुकरण करते हैं। जिससे प्रति दिन अपराध, ठगी और भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है।

हमें इसके बड़े-छोटे सभी कारण खोजने होंगे। वे क्या हैं ? यही हमारा आज का मुख्य विषय है जिस पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। जब हम इस पर ध्यान देंगे तब तक हमारे सभी धार्मिक भावनाओं और संवेदनाओं का खुन होता रहेगा। लाख धार्मिक भावनाओं और कार्यक्रमों के आयोजन के उपरांत भी हमारा समाज में अपराध, ठगी और भ्रष्टाचार की ओर बढ़ता ही रहेगा।

अतः अंत में मैं एक व्यक्तिगत विचार आपके सामने रख रहा हूं। मेरा मानना तो यह है कि समाज में अच्छे लोगों के निष्क्रिय होने से ठगी, भ्रष्टाचार और अपराध में संलिप्तता वाले लोगों के द्वारा हर क्षेत्र में गंदगी स्थापित कर दी गई।

 

 

 

 

 

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