राष्ट्रीय

हमने प्रतिज्ञा की है,क्या आप भी करोगे?

वकालत,पत्रकारिता और समाजसेवा से जुड़े लोग से बहुत उम्मीदें हैं

काल्पनिक फोटो~सुप्रीम न्यूज
स्वतंत्रता दिवस पर हम प्रतिज्ञा करते हैं। साथ ही वकालत, पत्रकारिता व समाजसेवा से जुड़े बुद्धिजीवियों से आशा करते हैं कि आजादी के इस महोत्सव पर संकल्प लें कि कम से कम आजाद भारत में मानव का उत्पीड़न सरकारी मशीनरी द्वारा ना हो। पुलिस द्वारा अवैध हिरासत में लिए गए लोगों के मामलों का पुरजोर विरोध करके देश के कानूनों और मानवाधिकारों का समर्थन करेंगे।
पुलिस के सैल्यूट गैंग और तुच्छ लाभधारी सत्ता समर्थकों को भी बताया जाएगा कि अपराध रोकने के लिए देश में कानून मौजूद हैं किसी भी अपराध के आरोपी या संलिप्त व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए दबाव बनाने के लिए उसके परिजनों व परिचितों को हिरासत में रखना मानवाधिकारों और देश के कानूनों का उल्लंघन है राजनीतिज्ञों और मीडिया के दबाव में पुलिस अक्सर ऐसा करती है अनेकों बार पुलिस वाले अनुचित लाभ कमाने के लिए गरीब, कमजोर व असंगठित लोगों को अवैध हिरासत में रखकर मनमानी करते हैं।
आए दिन किए जा रहे फर्जी एंकाऊंरों का मकसद जनता में भय व्याप्त कर अवैध वसूली के अलावा कुछ भी नही है आप देखेंगे कि उत्तर प्रदेश में दनादन एंकाऊंरों के बाद भी अपराध की घटनाओं में कोई गिरावट नही आती। कानून व्यवस्था में फेलियर सरकार को उसकी भ्रष्टाचार में अकंठ डूबी हुई सरकारी मशीनरी अपनी असफलता की चर्चाओं पर विराम लगाने व एंकाऊंरों और बुलडोजरों के क्रूर चेहरे को छिपाने के लिए समाचार-पत्रों, टीवी चैनलों में बडे-बडे विज्ञापन देकर देश की जनता के पैसे को बर्बाद किया जाता है।
विषय स्वतंत्रता, संविधान और कानूनों से जुड़ा होने के चलते बहुत गंभीर और विस्तृत है। आज के लिए इतना ही, चर्चा करते रहेंगे। हम एक बार पुनः संकल्प कर स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि सरकारी मशीनरी के अमानवीय और भ्रष्ट चहरे से पर्दा खींचा जाएगा।
अधिकार संपन्न और सत्ता के पक्षधरों से सवाल बस इतना बाकी है कि क्या आजादी के अमृत महोत्सव को रैलियां, ध्वजारोहण, गाने, बजाने की रस्म अदायगी कर सैल्फी, फोटो, विडियो, प्रेस-विज्ञप्तियां जारी कर समाचार-पत्रों, टीवी चैनलों व शोशल मीडिया पर राष्ट्रीय ध्वज के सहारे चहरा चमकाने के बाद, फिर से आम चूसना, आम आदमी का खुन चूसना जारी रखोगे या जनपक्षधरता का संकल्प ले, कम से कम मानवता की रक्षा के लिए संविधान से प्राप्त मानवाधिकारों का समर्थन करोगे? अधिक उम्मीदें तो हमें भी नही हैं।

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