उत्तरप्रदेश
किसान संगठनों की आड़ में हनीट्रैप का गोरखधंधा
नए किसान नेताओं से समझौते के नाम पर लाखों की ब्लैकमेलिंग
सुप्रीम न्यूज। किसान नेताओं के आए दिन नए-नए कारनामों के खुलासे होते रहते हैं। हाल ही में गौतमबुद्धनगर के कुछ छुटभैयों के बीच ऐसा ही एक मामले की चर्चा जोरों पर है। लेकिन यह मामला पहले के मुकाबले बहुत ही आश्चर्यजनक है। इस बार मामला जमीनों की अवैध बिक्री और कब्जे की जंगमजंगा से हटकर किसान नेताओं की एक अधेड़ उम्र की तथाकथित महिला नेत्री को लेकर है।
ये तथाकथित किसान नेत्री किराए के एक कमरे में रहती हैं। खेती किसानी से इनका दूर-दूर तक कोई सम्बन्ध नही है। यहां हम यह भी बताना चाहते हैं कि किसान संगठनों में अकेले ये महिला नेत्री ही ऐसी नही हैं जिनका खेती-बाड़ी से दूर-दूर तक कोई संबंध नही है। सच तो यह है कि अधिकांश प्रोपर्टी डीलरों ने कुर्ते पहनने शुरु कर दिये हैं।
इनके खुलासे बाद में करेंगे फिलहाल किसानों के नाम पर संगठन चलने के प्रोपेगैंडा में तथाकथित महिला नेत्रियों की भूमिका पर आपको बता दें कि ये तथाकथित किसान नेताओं द्वारा आयोजित धरने-प्रदर्शनों के लिए किराये पर भिड़ जुटाने का काम करती हैं। इनके द्वारा लाए गए लोगों का खेतीबाड़ी या हमारे जिले की राजनीति से कोई सरोकार ही नही होता।
दूसरे हम आपको यह भी बता देना चाहते हैं कि इस तरह की तथाकथित किसान नेत्रियों को लेकर तथाकथित किसान संगठनों में हमेशा खिंचा-तानी चलती रहती है। क्योंकि जिस संगठन में तथाकथित किसान नेत्रियों को अपने सहयोग के लिए अधिक आर्थिक मिलता है ये उसी संगठन में शामिल हो जाती हैं। जैसे ही एक तथाकथित किसान नेत्री इधर से उधर होती है। उसके साथ दर्जनों किसान नेता भी अपना खेमा बदल लेते हैं।
कुछ तथाकथित किसान नेता इस तरह की फर्जी किसान नेत्रियों से आकर्षित हो कर किसान हितों की दुहाई देते हुए किसान संगठनों के सदस्य बन जाते हैं। यह सिलसिला वर्षों से चला आ रहा है। सुप्रीम न्यूज की टीम कई दिनों से ऐसे ही एक मामले की पड़ताल में लगी हुई है।
हाल ही में इसी तरह के एक मामले में कुछ तथ्य हमारे पास आए हैं। तथ्यों के अनुसार यह जानकारी सामने आ रही हैं कि पुराने किसान नेताओं के द्वारा इन तथाकथित किसान नेत्रियों का प्रयोग नए भर्ती हुए किसानों पर छेड़छाड़ आदि के आरोप लगवा कर पहले से जमे हुए किसान नेता मामलों को गरमाने व पुलिस-प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए मीडिया में अपनी पहचान का प्रयोग करते हैं। बाद में समझौता कराने के नाम पर लाखों रुपए की मांग होती है।
अब आप समझ लिजिए की यह सब पूर्व नियोजित होता है। इस तरह इन तथाकथित किसान नेत्रियों का महत्वपूर्ण योगदान नए किसान नेताओं को ब्लैकमेल कर मोटी रकम वसूलने में भी रहता है। आप सभी जानते होंगे कि गौतमबुद्धनगर में किसानों को करोड़ों रुपये मुआवजा मिला है। अभी इतना ही। उम्मीद है, जल्द ही आपको मीडिया में तथाकथित किसान संगठनों और कुछ राजनीतिक दलों के छुटभैया नेताओं के इस तरह के कारनामे पढ़ने को मिल सकते हैं।
(सुप्रीम न्यूज supremenews72@gmail.com)