उत्तरप्रदेशगौमाता रामप्यारीमिशन

शुक्रिया, गौवंशों के बारे में लिखने वाले पत्रकारों का बहुत-बहुत धन्यवाद ~ गौमाता रामप्यारी मिशन

तुम पत्रकार हो। मेरी दुर्दशा की विडियो और फोटो छापते रहोगे तो चुनावी वादों में मेरा भी नाम आ जाएगा

सुप्रीम न्यूज। 15/10/2022। गौमाता रामप्यारी मिशन

गौतमबुद्धनगर। आपकी गौमाता रामप्यारी बोल रही हूं। जो पत्रकार गौमाता और गौवंशों के बारे में कुछ लिख रहे हैं। मैं उनका हृदय से आभार व्यक्त कर रही हूं। जो मुझे अन्ना पशु कह रहे हैं। मैं उनका भी बुरा नहीं मान रही हूं।

गौमाता के लिए पत्रकारिता के लिए “सैल्यूट”

मैं अन्ना पशु नहीं हूं मेरे इस देश से उतना रिश्ते और हक है जितना आप सब के हैं। आप अपनी तहसील में जा कर देखिए। मेरे नाम पर हर तहसील में जमीन है। गोचर, जंगल, तालाब आदि मेरे व दूसरे जीव जंतुओं के लिए ही है। जिन पर सरकार और सरकार के चहेतों ने कब्जा कर लिया।

मेरे बच्चे तो किसानों के साथ युगों-युगों से जुताई, पानी की रेहट चलाने से लेकर आपकी लकड़ी के पहियों वाली गाड़ी चलाने का काम करते रहे हैं।आपके पास मशीनरी नहीं थी। टेक्नोलॉजी नहीं थी तो आपका पेट भरने के लिए जो अन्न पैदा करने में मेरे बच्चे अपना पसीना बहाते थे। मैं अपने दूध से आपके शरीर को स्वस्थ रखने के लिए लगातार पोषक तत्वों की पूर्ति करती रही। मेरे गोबर के उपलों से खाना पकाने से लेकर, खाद बना कर खेती लहराती थी।

गौमाता को अखबार में स्थान देने के लिए “सैल्यूट”

अब आप मेरे साथ इतनी नाइंसाफी कर रहे हैं। आप मुझे अन्ना पशु कह रहे हैं आप गंभीरता से सोचिए मैंने तो थोड़ा बहुत दूध अपने बच्चों को पिलाया बाकी सारा दूध आपको ही तो दे दिया। मेरा दूध पीकर आज आप मुझे ही रास्ते का रोड़ा बता रहे हो। मैं तो शांतिपूर्ण धरना कर रही हूं। खुद भी मर जाती हूं। तुम देखकर नहीं निकलते तुम मेरी आवाज नहीं उठाते।

कभी इन रास्तों पर मेरे बच्चे ही तो तुम्हें लेकर गाड़ियां खींचते थे। आज तुम तेज रफ्तार गाड़ियों को मेरे ऊपर चढ़ा कर मुझे मौत के घाट उतार दिया जाता है।

मुझे इसका भी गिला नहीं कि तुम मुझे आवारा पशु कहो या अन्ना पशु कहो। मुझे तो इस बार बात की खुशी है कि तुम मेरी आवाज तो उठा रहे हो। मैं आपको एक बार पुनः मेरे बारे में सोचने और मेरी आवाज उठाने के लिए आशीर्वाद दे रही हूं। क्योंकि मैं रोज सड़कों पर कचरा खाने के लिए भटकती हूं आप में से बहुत से बहुत से पत्रकारों ने मेरे भूसे के घोटाले की आवाज उठाई है।

मैं सड़कों पर ही तो जा सकती हूं। जब आपको मोदी और योगी अपने दफ्तरों में नहीं जाने देते तो मैं उनके सामने कैसे जा पाऊंगी। मैं तो नजदीक की सड़कों पर भूखे-प्यासे कूड़ा-कचरा खा कर शान्ति पूर्ण तरीके से धरना दिए रहती हूं। सड़कों पर ही तो जाती हूं।क्या मोदी और योगी मुझे संसद भवन में जाने देंगे? क्या मोदी और योगी मुझे विधानसभाओं में जाने देंगे? हां मेरे नाम पर खुद संसद और विधानसभाओं में कब्जा करके बैठ गए हैं। मुझे तो संसद और विधानसभाओं के दरवाजे पर भी नहीं फटकने देंगे।

मेरी तो वोट भी नही है। हां मेरे नाम का वोट बैंक तो है। लेकिन उस वोट बैंक के मालिक तो तुम हो क्योंकि तुम पत्रकार हो। मेरे नाम पर वोट देने वालों को पत्रकार ही तो बताएं कि मेरे नाम पर मुझे और तुम्हें धोखा देने वाले आज चीतों और बाघिनों के नामांकरण कर सेल्फी ले रहे हैं।

मैं गाय भरोसा कर लेती हूं। चुनाव के समय दोनों मेरे साथ सेल्फी लेकर वोट मांगने आएंगे। गौमाता-गौमाता चिल्लाएंगे। जो अब मेरे नाम पर भुसे के फर्जी बिल पास करवाने में लगें हैं वे मुझे सर-आंखों पर बैठा कर तुम से वोट मांगने आएंगे। मैं गाय भरोसा लेती हूं। बहकावे में आ जाती हूं। आशिर्वाद दे देती हूं। तुम पत्रकार हो। मेरी दुर्दशा की विडियो और फोटो छापते रहोगे तो चुनावी वादों में मेरा भी नाम आ जाएगा।

 

(गौमाता रामप्यारी को समर्पित सुप्रीम न्यूज)

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