राष्ट्रीय
दंगाई पश्चिमी बंगाल में पहुंच गए, बाबा योगी ठाली खड़े बुलडोजरों को राष्ट्र हित में ममता दीदी को दे दें।
पश्चिमी बंगाल के अतिरिक्त अब दंगे फसाद कहीं भी नहीं हो रहे हैं। क्योंकि भाजपा ने दंगे फसाद करने वाले लोगों को कंट्रोल कर दिया है। जिन प्रदेशों में भाजपा की सरकार है, वहां दंगे पूरी तरह से नियंत्रित हो गए हैं। उत्तर प्रदेश में तो योगी जी का दावा है कि दंगाइयों को पाताल से भी खींच लाएंगे। योगी जी के दावे और मीडिया में उनके इस दावे के प्रचार प्रसार के चलते ऐसा लगता है। जैसे सभी दंगाइयों ने अपना रुख पश्चिम बंगाल और उन राज्यों की ओर कर लिया है। जहां भाजपा की सरकार नही है। मतलब साफ है कि दंगाइयों ने अपना डेरा पश्चिम बंगाल में डाल लिया है। उत्तर प्रदेश वाले निश्चित रहें अब यहां दंगे फसाद नही होंगे। क्योंकि यहां तो बाबा योगी आदित्यनाथ ने बुलडोजर खरीद रखें हैं। ये बात अलग है कि योगी बाबा आदित्यनाथ के बुलडोजर अब आराम कर रहे हैं।
कोलकाता में पुलिस की गाड़ी जलाने वालों का वीडियो करीब से सामने आया। पुलिस की कार्रवाई का विरोध करते हुए नारेबाजी। आग लगाने वालों के हाथ में BJP का झंडा pic.twitter.com/Xl09uIa8RQ
— Abhinav Pandey (@Abhinav_Pan) September 13, 2022
ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं की हाल ही में पश्चिमी बंगाल में सत्ताधारी पार्टी टीएमसी और विपक्षी दल भाजपा के बीच घमासान जारी है। विपक्ष में होने के चलते भाजपा नेता मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की हर तरह से घेराबंदी करने में जुटे हुए हैं। अब आप समझ सकते हो कि पश्चिम बंगाल में टीएमसी की सरकार है यदि वहां भाजपा की सरकार होती तो उत्तर प्रदेश और दूसरे प्रदेशों की तरह सब कुछ ठीक ही मान लिया जाता।
अब यह तो बड़े आश्चर्य की बात होगी कि जिन राज्यों में भाजपा की सरकार नही है। तो ये कैसे माना जाए कि वहां की सरकार भी भाजपा शासित राज्यों की तरह ही चल रही। पश्चिमी बंगाल में सरकार टीएमसी की हो और भाजपाई यह मान ले कि वहां भी दूसरे प्रदेशों की तरह ही सब कुछ सही चल रहा है। ऐसा तो हो ही नहीं सकता।
वैसे भी देश भर में जो भी दंगाई थे। वे पश्चिम बंगाल में ही तो चले गए हैं। भाजपा सरकार वाले प्रदेशों से तो दंगाइयों को विदाई और सम्मान समारोह कर छूट्टी दे दी गई है। उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के दंगाई अब बहुत व्यवहारिक और व्यवसायिक नजर आते हैं। सबके सब ठेकेदारी और दूसरे कमाई के धंधों में लगे पड़े हैं। ले दे कर अब इनके पास भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ सेल्फी व फोटो लेकर सोशल मीडिया पर वायरल कर भाजपा में अपनी स्थिति और नेताओं से नजदीकियों को जनता में बताने के अलावा दंगे फसाद जैसा जोखिम भरा कोई काम नही है।
दरअसल सोमवार को भाजपा कार्यकर्ताओं ने पश्चिम बंगाल में एक मार्च का आयोजन किया। ये मार्च इतना हिंसक हो गया कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव करने के साथ-साथ पुलिस की गाड़ियों को आग लगा दी। पुलिस की ओर से लाठीचार्ज किया गया और आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए।
भाजपा की नई टीम ने सप्ताह भर में गुल खिला दिये
भाजपा ने हिंसक प्रदर्शन से सप्ताह भर पहले ही बिहार के पूर्व मंत्री मंगल पांडे को पश्चिम बंगाल का राज्य प्रभारी नियुक्त किया। अगस्त में ही पार्टी ने अपने तीन शीर्ष नेताओं को भी यहां तैनात किया, जिसमें केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और स्मृति ईरानी जो बंगाली भाषा भी बोल लेते हैं। तीसरे ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी बंगाल का प्रभारी बनाया। पश्चिमी बंगाल के विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी और धर्मेंद्र प्रधान के अच्छे कामकाजी संबंध की चर्चा भी मीडिया माध्यमों से आपको पता चली होगी। हिंसक प्रदर्शन को राजनीतिक विश्लेषक बीजेपी के मिशन 2024 के लोकसभा चुनाव के रूप मेें देख रहे है।
2024 के लिए बीजेपी अब माहौल को गर्म रखेगी
शिक्षक भर्ती घोटाले के बाद बंगाल बीजेपी ममता बनर्जी के विरोध का कोई भी मौका खोना नही चाहती। बीजेपी भ्रष्टाचार के मुद्दे को मजबूती के साथ उठा कर जनता के दिलों दिमाग में ममता बनर्जी की छवि बिगाड़ने में जुट गई है। ऐसे महसूस किया जा रहा है कि बंगाल में शिक्षक घोटाला उजागर होने के बाद लोगों में सरकार को लेकर खासा आक्रोश है। इस आक्रोश को बीजेपी शुभ अवसर मान कर मौके का फायदा उठाने की कोशिश कर रही है। अर्पित मुखर्जी और पार्थ चटर्जी मामले में जो आक्रोश जनता में है। बीजेपी उसे किसी भी सूरत में ठंडा नहीं होने देगी।
बीजेपी सरकार की केंद्रीय एजेंसियां पश्चिम बंगाल में ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है। ऐसे में बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनावों में इसका लाभ लेने की योजना के तहत विपक्षियों के खिलाफ धरने-प्रदर्शन और मार्च निकालने तक कोई मौका नही खोना चाहती। बीजेपी पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के विरुद्ध राजनीतिक जमीन बनाने की कोशिश कर रही है। मंगलवार को नबन्ना मार्च में हुई हिंसा को बीजेपी एक और मौके की तरह देख रही है।
गौर करने वाली बात यह है कि पश्चिम बंगाल में पिछले कुछ दिनों से ED की छापेमारी में अलग-अलग लोगों से भारी मात्रा में कैश और अन्य बेनामी सम्पत्तियाँ बरामद हुई हैं। 10 सितंबर 2022 को भी 6 जगहों पर छापे मारी हुई, जिसमें ₹170000000 ( 17 करोड़ ) से भी ज्यादा नगदी मिली थी।
इस छापेमारी में कई नामी व्यापारियों के साथ आमिर खान का भी नाम है। इसके अलावा शिक्षक घोटाला, पशु तस्करी व कोयला तस्करी के मामले में राज्य के कई बड़े राजनैतिक लोगों के नाम भी शामिल होने की भी जानकारी सामने आ रही है।
गजब तो यह है कि जब ED, CBI और दूसरी केंद्र सरकार की एजेंसियां पश्चिम बंगाल में टीएमसी और विपक्ष के भ्रष्टाचारियों के खिलाफ बखुबी अपने काम में लगी हुई हैं। सभी को पता है कि केंद्र की भाजपा सरकार की एजेंसियों द्वारा विपक्ष के भ्रष्टाचारियों पर लगातार कार्रवाई की जा रही हैं। तो ऐसे में पश्चिमी बंगाल में भाजपा को मार्च निकालने के लिए इतनी बेचैन क्यों हो रही थी? लगता है पश्चिम बंगाल की भाजपा इकाई को अपनी केंद्र सरकार की सरकारी एजेंसियों पर भरोसा नही है। या फिर कोई दूसरा कारण है?
कोलकाता में 'नबान्न' आंदोलन के दौरान BJP कार्यकर्ता हिंसा करते हुए देखे गए। #WATCH pic.twitter.com/EG6fB0x5GA
— News24 (@news24tvchannel) September 14, 2022
दंगे को लेकर आरोप प्रत्यारोप चल रहे हैं। भाजपा के जिलाध्यक्ष सुकुमार रॉय का कहना है कि रैली तृणमूल कॉन्ग्रेस के उन नेताओं के खिलाफ थी जिन्होंने तमाम घोटालों को अंजाम दिए हैं। सुकुमार कह रहे हैं कि इस रैली पर न सिर्फ देसी बम फेंके गए बल्कि पत्थरों से भी हमला हुआ है। रॉय ने भाजपा के दो कार्यकर्ताओं के घायल होने की जानकारी भी मीडिया को दी।
दूसरी ओर तृणमूल कॉन्ग्रेस ने इन आरोपों से साफ़ इंकार कर दिया। TMC सांसद शांतनु सेन के मुताबिक भाजपा की रैलियों में लोग नहीं जुट पाए थे इसलिए उनकी तरफ से ऐसे बहाने बनाए जा रहे हैं। उन्होंने भाजपा को आत्म विनाशकारी पार्टी बताया। साथ ही हिंसा के पीछे भाजपा की विचारधारा को जिम्मेदार ठहराया।
अब मीडिया में यह खबर तो आ गई कि पुलिस बल के प्रयोग से कई भाजपा नेता और कार्यकर्ता घायल हो गए। घायलों को उपचार के लिए करीब के अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन इस सब मामले में देश भर की मीडिया में भाजपा के कार्यकर्ताओं की कोई गलती कहीं किसी को भी नजर नहीं आ रही है क्योंकि भाजपा के लोग तो पुलिस की गाड़ियों में आग लगाते हुए देखे जाने के बाद भी दंगाई नहीं कहलाते, बेचारे पुलिस वालों को लाठी-डंडों और लातों से पीटते हुए भाजपाई भी हमारे देश में कभी भी दंगाई नहीं कहलाते। भाजपाई क्रांतिकारी होते हैं। बाकी यदि आप दूसरे दलों के कार्यकर्ताओं के बारे में बात करेंगे तो वह पल भर में दंगाई आतंकवादी और ना जाने क्या-क्या हो जाते हैं हमारे देश में तो शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे किसान भी खालिस्तानी और आतंकवादी और विदेशी सहायता प्राप्त कहे जाते हैं।
क्या आपने कभी भ्रष्टाचार का नाम सुना है हो सकता है कभी सुना हो लेकिन अब यह गुजरे जमाने की बात हो गई है क्योंकि देश के अधिकांश राज्यों में भाजपा की सरकार है और भाजपा की सरकार में तो भ्रष्टाचार होता ही नहीं है ले देकर भ्रष्टाचार यदि देश में कहीं बचा है तो उन प्रदेशों में केवल उन प्रदेशों में बचा है जहां भाजपा की सरकार नहीं है जैसे ही वहां भाजपा की सरकार बनेगी वैसे ही वहां भी भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा और देश में दंगे फसाद धरने प्रदर्शन सरकारी संपत्ति की तोड़फोड़ एकाएक बंद हो जाएंगे।
कोलकाता : दंगाइयों को कपड़ों से ही नही बल्कि झंडे से भी पहचानिए.! pic.twitter.com/TIeIrashRW
— Prakash Raj (Parody) (@KhadedaHobe) September 13, 2022
दरअसल हम आपको बता देना चाहते हैं कि बीजेपी ने पश्चिम बंगाल सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था को लेकर प्रदेश व्यापी आंदोलन का आह्वान किया था। भाजपा ने इस आंदोलन को नबन्ना सचिवालय चलो का नाम दिया था भाजपा ने पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों से राज्य सचिवालय पहुंचने का आह्वान किया था पार्टी नेताओं के आह्वान पर बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता मार्च पर निकल पड़े।
मीडिया में आई रिपोर्टों के अनुसार हम प्रकरण का विश्लेषण कर रहे हैं। प्रदेश सरकार ने मार्च को लेकर तैयारियां कर ली थी। रानीगंज रेलवे स्टेशन के पास पुलिस ने भाजपा कार्यकर्ताओं को रोकने का प्रयास किया जिसके परिणाम स्वरूप भाजपा कार्यकर्ताओं ने हंगामा शुरू कर दिया दरअसल पुलिस की दलील थी कि भाजपा को इस मार्च के लिए स्वीकृति नहीं मिली थी। प्रदेश पुलिस प्रदेश भर में आ रहे भाजपा कर्ताओं को रास्ते में रोकने के लिए रेलवे स्टेशन और बस अड्डे के पास बैरिकेडिंग कर दी थी। इसके बावजूद भारी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता कोलकाता पहुंचे भीड़ ने पुलिस कार्रवाई के विरोध में हंगामा शुरू कर दिया। पुलिस ने भीड़ को काबू में करने के लिए बल प्रयोग किया। इससे भीड़ उग्र हो गई और पुलिस पर पथराव और आगजनी करने लगी।
पुलिस के लाठीचार्ज में कोलकाता के भाजपा पार्षद मीना पुरोहित और प्रदेश के पूर्व भाजपा अध्यक्ष राहुल सिन्हा घायल हो गए। यह खबर मीडिया रिपोर्ट्स में आ रही है।
कोलकाता में पुलिस को बीजेपी के झंडे लगे डंडों से इतना पीटा गया कि पुलिस की शील्ड तक टूट गई!pic.twitter.com/E1JqvaS5r1
— Swati Mishra (@swati_mishr) September 13, 2022
लेकिन दूसरी तरफ बहुत से विडियो सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्मो पर वायरल हो रहे हैं जिनमें पुलिस के सिपाहियों को भाजपा कार्यकर्ता पीटते दिखाई दे रहे हैं। कुछ जगहों पर बीजेपी के कार्यकर्ता पुलिस की गाड़ियों में आगजनी करते दिखाई दे रहे हैं। लेकिन किसी भी मीडिया रिपोर्ट्स में यह नहीं बताया गया है कि पुलिस के किस-किस कर्मचारियों को कितनी चोट आई। जबकि भाजपा के गली-मोहल्ले के कार्यकर्ताओं को यदि कोई छोटी-मोटी चोट भी आ गई है तो इसकी जानकारी आपको मीडिया के जरिए पहुंचा दी गई।
हम उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में बैठकर पश्चिम बंगाल के चोटिल पुलिसकर्मियों के नाम तस्दीक करने में समर्थ नहीं हो रहे हैं। एक तो भाषा की समस्या दूसरे मीडिया मैनेजमेंट के चलते बंगाल पुलिस के अधिकारियों में नोएडा के नाम पर ही निगेटिव सोच बनी हुई है। लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भाजपा के छोटे-मोटे चोटिल नेताओं के नाम हमारे सामने हैं जो मीडिया की मेहरबानी है
आरोप प्रत्यारोप चल रहे हैं। कहा जा रहा है कि TMC के गुंडों ने भाजपा को बदनाम करने के लिए भाजपा के झंडे हाथ में लेकर हिंसा और आगजनी की है। हाथों में झंडे और डंडे किसी भी पार्टी के हों? हिंसा और आगजनी, तोड़ फोड़ तो सच्चाई है। विडियोज में चेहरे साफ दिखाई दे रहे हैं। दंगाई तो दंगाई हैं। कार्रवाई सख्त होनी चाहिए।
पश्चिमी बंगाल हो या उत्तर प्रदेश है तो भारत ही। इसलिए देश हित में दंगाइयों को सबक सिखाने के लिए बाबा योगी श्री आदित्यनाथ को अपने ठाली खड़े बुलडोजर पश्चिमी बंगाल में ममता बनर्जी को सुपुर्द कर देने चाहिए ताकि भाजपा शासित राज्यों से पश्चिमी बंगाल पहुंचें दंगाइयों और उनके स्थानीय सहयोगी को सबक सिखाने का राष्ट्रीय हित का कार्य किया जा सके।
संजय भाटी (संपादक सुप्रीम)
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