साहित्य

मेरी यात्रा ट्विन टॉवर तक

पत्रकारिता जगत में हमारे बड़े भाई राजेश बैरागी जी का आशीर्वाद हम पर हमेशा बना रहे।

 _-राजेश बैरागी-_
      इक्कीसवीं सदी के तीसरे दशक में अभी तक दो घटनाएं अभूतपूर्व रही हैं। पहली कोरोना महामारी और दूसरी 28 अगस्त 2022 को नोएडा में दो गगनचुंबी जुड़वां इमारतों को जर्जर न होने के बावजूद विस्फोटक लगाकर गिराया जाना। मैं उन सौभाग्यशाली लोगों में हूं जो कोरोना महामारी के शिकार नहीं बने और उस दौरान व्यापक रूप से जरूरतमंद लोगों की सेवा करने का मुझे मौका मिला। मैं उन दुर्भाग्यशाली लोगों में भी शामिल हूं जिन्होंने अपनों को या अपने साथ जी रहे अनगिनत लोगों को कोरोना महामारी के कारण मरते देखा।इसी प्रकार गगनचुंबी जुड़वां इमारतों को विस्फोटक के माध्यम से ढहाए जाने की घटना एक नये अनुभव और रोमांच से भरपूर घटना थी। दुर्भाग्य यह रहा कि यह इमारत जर्जर नहीं थी बल्कि इसे पैदाइशी भ्रष्टाचार का कैंसर था।
महीनों से समाचार माध्यमों में स्थाई समाचार बनी रही इस घटना को देखने के लिए मैं उत्साहित तो नहीं परंतु उत्सुक अवश्य था। एक साथी पत्रकार के साथ उनकी मोटरसाइकिल पर सवार होकर जब पुलिस उपायुक्त कार्यालय से आगे बढ़े तो मुस्तैद सिपाहियों ने रोक दिया। बताया गया कि इधर से नहीं उधर से जाइए। उधर से गये तो वहां मुस्तैद सिपाहियों ने कहा,-आगे से जाइए। इस प्रकार पुलिस के आड़े तिरछे घुमाने के बावजूद हम उस मैदान तक पहुंचने में सफल हो गए जहां अस्थाई पार्किंग बनाई गई थी और वहीं से जुड़वां इमारतों को ढहाने की ऐतिहासिक दुर्भाग्यपूर्ण घटना को स्पष्ट देखने के लिए मचान के तौर पर इस्तेमाल होने के लिए फ्लाईओवर तैयार था। फ्लाईओवर के ऊपर देश दुनिया के समाचार माध्यमों के पत्रकार, कैमरामैन, उनके आधुनिक यंत्रों के जमावड़े के अलावा पुलिस, प्रशासन, प्राधिकरण के अधिकारियों, कर्मचारियों का अमला मौजूद था। समाचार चैनलों के प्रतिनिधि कैमरे से दोनों जुड़वां इमारतों को दिखा दिखाकर चिल्ला रहे थे,-यही है वो भ्रष्टाचार की इमारत जिसे कुछ ही देर में गिरा दिया जाएगा।’ वहां का माहौल कुछ ऐसा था जैसे इन इमारतों को ढहाए जाने के साथ आज ही देश से भ्रष्टाचार को भी ढहा दिया जाएगा।
कमिश्नरेट पुलिस वर्दी के ऊपर खास पहचान वाली जैकेट पहने कदमताल कर रही थी। कमिश्नरेट बनने के बाद से एक बात खास हुई है। ऐसे अवसरों पर हमेशा आगे रहने वाला जिला प्रशासन अब दोयम दर्जे का हो गया है। हां प्राधिकरण की स्थिति पहले भी विशिष्ट थी, वह अब भी बरकरार है। घड़ी की सूईयां दोपहर बाद ढाई बजाने की ओर बढ़ चलीं। तमाशा देखने को इकट्ठा भीड़ शोर मचाने लगी। अचानक दुड़ुम दुड़ुम की आवाज आई और इतने कोई कुछ समझ पाता, दोनों गगनचुंबी इमारतें अपने ही दायरे में ढेर हो गईं।साथी ने कहा,-चलो अब चलते हैं।
(साभार:नेक दृष्टि हिंदी साप्ताहिक नौएडा)

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