उत्तरप्रदेश
सीमित संसाधनों से भी अपनी और आम जन की बात रखने वाले ही असली पत्रकार ~ संजय भाटी
सच्चाई को जितना दबाया जाता है वह उतना ही आगे बढ़ाने लगता है ~ संजय भाटी
सुप्रीम न्यूज। 04/10/2022 प्रस्तुति मधु चमारी।
सुप्रीम न्यूज। आज मैं बांदा के जिन 7 पत्रकारों को भ्रष्टाचार के कारण फर्जी मुकदमों दर्ज कर पुलिस द्वारा जेल भेजा गया व जो पत्रकार भाई-बहन पत्रकारिता को जिंदा रखने के लिए अनशन कर रहे हैं। उन सभी को समर्पित करते हुए “श्री संजय भाटी संपादक सुप्रीम न्यूज” के उन शब्दों को एक माला में पिरोने का प्रयास करते हुए आपके सामने रखने का प्रयास कर रही हूं जो उनके द्वारा विभिन्न समय, परिस्थितियों व अलग-अलग स्थानों पर जनहित कारी पत्रकारों को प्रेरित करते हुए कहे गए हैं।
सुप्रीम न्यूज परिवार द्वारा मुझे जिम्मेदारी दी गई है कि ” शालिनी सिंह पटेल व उनके अन्य सहयोगी से बांदा के पत्रकारों को लेकर आगे की रणनीति को अपडेट कर सभी को जानकारी शेयर करुं।
“यदि आप पत्रकारिता कर रहे हो तो आपको सबसे पहले पत्रकारिता की गंदगी को साफ करना होगा। यदि आप ऐसा नही करते हैं तो हम साफ-साफ कह देना चाहता हैं कि आप पत्रकार नही हैं। जी हां हम अपने शब्दों को एक बार फिर से दोहरा रहे हैं। यदि आप खुद के पत्रकार होने का दावा करते हो, तो सबसे पहले आपको अपने जिले तहसील में पत्रकारिता के नाम पर फैली हुई गंदगी को दूर करना होगा।” ~ संजय भाटी संपादक सुप्रीम न्यूज
श्री कांत जी🙏मतभेद किसी से भी नही रखते हम मदद करना फर्ज समझते हैं
👉हम अच्छी तरह जानते हैं कि बड़े-बड़े मीडिया संस्थानों के पत्रकारों में दलाली और मंथली चलती रहती है,किसी एक-दो को छोड़कर
जिसके कारण ईमानदारी से पत्रकारिता करने वालों का पत्रकारों से भी हमेशा ही टकराव बना रहता है
— सच के साथ (@SupremeNewsG) October 3, 2022
“वर्तमान में पत्रकारिता में जो गंदगी फैली हुई है यदि हम उस गंदगी को साफ नहीं करते हैं, तो हम दावे के साथ कह सकते हैं कि देश और दुनिया में कोई भी सरकारी अधिकारी कर्मचारी या यूं कहें कि सरकारी मशीनरी सही काम नही करेंगे। सरकारें भी जनहित के मुद्दों पर केवल मीडिया मैनेजमेंट कर अपने आकाओं/पूंजीपतियों के लिए काम करके आपका ख़ून चूसती रहेंगी।”
प्रेस क्लबिया कल्चर का एक और नायाब नमूना पेश है
हम आपको बता देना चाहते हैं कि दिनेश निगम दद्दा एडवोकेट अध्यक्ष प्रेस क्लब जिला बांदा एक हिस्ट्रीशीटर भी है👉बड़े भाई अजय भदौरिया जिन्दाबाद
https://t.co/0br0NJhovC pic.twitter.com/UH7EkiUFMh— सच के साथ (@SupremeNewsG) October 4, 2022
हम आपको जानकारी दे देना चाहते हैं कि अधिकांश मीडिया संस्थान सरकार के चहेतों पूंजीपतियों के हैं। उनमें काम करने वाले अपने आप को पत्रकार बता कर न केवल देश की जनता की आंखों में धूल झोंक रहे हैं बल्कि ताज्जुब तो इस बात का है कि शिक्षित और प्रबुद्ध वर्ग भी उन्हें ही पत्रकार मान लेते हैं।
गली-मोहल्ले और जनहित की समस्याओं को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर रखने वाले सच्चे लोगों को पत्रकारिता की सरकारी परिभाषा को बदलते हुए खुद की आत्मा के जिंदा होने के सबूत देने होंगे।
इसी के साथ-साथ पत्रकारिता को जिंदा रखने के लिए सबसे पहले आर्थिक लाभ के लिए जो लोग सरकार व पूंजीपतियों के गुलाम बनकर जनता को पत्रकारिता और मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से जहर परोस रहे हैं उनके बारे में जनता जनार्दन को समझने का काम करते हुए जनहितैषी पत्रकारिता को स्थापित करने वाले लोगों को आगे बढ़ाते हुए पत्रकार और पत्रकारिता शब्द को सुस्थापित करना होगा। इस यज्ञ में हमें निजी स्वार्थों की आहुति देनी होगी, फर्जी मुकदमों में जेल भी जाना होगा
पत्रकार शब्द को इतना कलंकित कर दिया है कि पढ़े-लिखे और शिक्षित लोग यदि कोई अपने आप का परिचय पत्रकार के रूप में देता है तो वह आपको एक रजिस्टर्ड दलाल के रूप में देखते हैं। जी हां रजिस्टर्ड दलाल के रूप में देखते है। पढ़े लिखे लोगों की नजरों में पत्रकार शब्द आज इतना कलंकित हो चुका है कि आप किसी के सामने जाकर अपने आप का परिचय पत्रकार के रूप में देकर उसके चेहरे के भावों को देखिए, उसके चेहरे के भाव आपको बता देते हैं कि वह आपको दलाल और सिर्फ एक दलाल और रजिस्टर्ड दलाल के रूप में देख रहा है।
अब ऐसी हालत में आप पत्रकारिता करने का दावा मत करिए हम बार-बार देखते हैं कि पत्रकारिता को लेकर असली और नकली पत्रकार का एक सवाल बार-बार उठता है वास्तव में पत्रकार कौन होता है? क्या किसी कॉरपोरेट मीडिया संस्थान से तनख़ाह पने वाला व्यक्ति पत्रकार है? जो सरकारों द्वारा जनता के टैक्स से दिए गए विज्ञापनों के पैसे और दूसरे पूंजीपतियों के पैसे के दम पर आम जन को केवल और केवल अपराधी, निकम्मा और अशिक्षित साबित करने के एजेंडे पर काम करते हैं।
देश का प्रत्येक नागरिक पत्रकारिता करने का अधिकार रखता है,जिसकी आत्मा जिंदा है भले ही वह सोशल मीडिया नेटवर्क पर जैसे ट्विटर, व्हाट्सएप,फेसबुक,यूट्यूब आदि पर लिखने वाले लोगों को हम पत्रकार मानते हैं
हमें दलालों,भांडों व ठेकेदारों को बेनकाब करना होगा
🤣 प्रेस कार्ड मैंने नही बनाए pic.twitter.com/PsyFc84hw7
— सच के साथ (@SupremeNewsG) October 3, 2022
“हां ये सब सरकारी मानक हो सकते हैं वास्तव में पत्रकार वह व्यक्ति है जो सबसे पहले समाज की आवाज व्हाट्सएप, फेसबुक, टि्वटर, इंस्टाग्राम और अब कुछ लोग वेबसाईट और यूट्यूब चैनल जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों से अपनी व समाज की आवाज उठाते हैं। जो भी व्यक्ति प्राप्त साधनों के माध्यम से अपनी और समाज की बात रखता है वहीं असली पत्रकार है।”
पत्रकार उसे नही कहते जो अपने व अपने आकाओं के किसी छद्म लाभ के लिए सरकार व संगठित लोगों के संरक्षण में मिले मीडिया प्लेटफॉर्मों पर उनके व सरकारी एजेंडे में शामिल होकर काम करते हैं। घुमा फिरा कर अपने आकाओं को खुश करने के लिए लिखता है। वह न तो वास्तव में पत्रकार होता है और न ही उसके काम पत्रकारिता की श्रेणी में आते हैं वह तो पत्रकारिता के अतिक्रमण की ऐसी श्रेणी है जिसे सरकारी संरक्षण प्राप्त होने के कारण अल्प बुद्धि के ईमान बेच चुके लोगों द्वारा पत्रकारिता बताने का प्रयास किया जाता है
अंत में मैं आपको पुनः बता देना चाहती हूं कि सुप्रीम न्यूज परिवार द्वारा मुझे जिम्मेदारी दी गई है कि ” शालिनी सिंह पटेल व उनके अन्य सहयोगी से बांदा के पत्रकारों को लेकर आगे की रणनीति को अपडेट कर सभी को जानकारी शेयर करुं।
तथाकथित बांदा का पत्रकार और वकील है दिनेश निगम दद्दा हमने बांदा एसपी और दिया डीआईजी को लिखित में अवगत कराया लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हो रही है महिलाओं के अस्मिता पर सवाल उठा रहा है पत्रकार @GSOtoDGPUP @ADGZonPrayagraj @priyankagandhi @yadavakhilesh @RahulGandhi pic.twitter.com/fNfk2FB3gs
— shalini singh Patel (@shalnipatelsp) September 29, 2022
ये लड़ाई कितनी गंभीर है। आप समझ सकते हैं।
दूसरे किसी को भी पत्रकारों व पत्रकारिता के संबंध में किसी भी तरह की कोई खबर व तथ्य भेजने है तो supremenews72@gmail.com पर भेजें। ~ मधु चमारी संपादक दैनिक सुप्रीम न्यूज
अभी के लिए इतना ही काफी है क्योंकि विषय बहुत गंभीर और विस्तृत है रोज की दिनचर्या और भागमभाग के कारण हमें भी समय कम मिल पाता है। समय मिलते ही हम फिर दोबारा कुछ लिखेंगे अपनी नजर बनाए रखें।