उत्तरप्रदेश

सत्ता समर्थित खनन माफियाओं के खेले में मौत और जेल

लाखों की मंथली से एक लाख के इनामी तक

इंद्रकांत त्रिपाठी
इंद्रकांत त्रिपाठी की 14/09/2020 को कानपुर में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी

 

सुप्रीम न्यूज 16/10/2022 उत्तर प्रदेश

 

सुप्रीम न्यूज। उत्तर प्रदेश। पिछले कुछ दिनों से आप देख रहे होंगे कि खनन को लेकर कहीं ना कहीं बवाल मचा हुआ है 2 साल पहले एक खनन व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी से पुलिस के एक आईपीएस अधिकारी मणिलाल पाटीदार द्वारा ₹6 लाख महीना मांगने से संबंधित वीडियो वायरल होने के बाद उसको गोलियां मारे जाने के मामले में हाल ही में वांछित चल रहे IPS मणिलाल पाटीदार ने न्यायालय में सिलेंडर किया है आईपीएस मणीलाल पाटीदार पर लंबे समय से फरार होने के कारण एक लाख रुपए का इनाम घोषित था लेकिन आईपीएस मणिलाल पाटीदार उत्तर प्रदेश की तेजतर्रार पुलिस को हाथ नहीं आ रहा था।

उत्तर प्रदेश पुलिस के महानिदेशक 75 जिलों में 33 सशस्त्र बटालियनों, खुफिया, जांच, भ्रष्टाचार निरोधी, तकनीकी, प्रशिक्षण, अपराध विज्ञान इत्यादि से संबन्धित विशेषज्ञ प्रकोष्ठ/शाखाओं में फैले करीब 2.5 लाख कर्मियों के बल की कमान संभालते हैं। जिससे पांच सौ से अधिक IPS व हजारों पीपीएस अधिकारियों की फौज होने के बावजूद एक लाख के इनामी IPS मणीलाल पाटीदार को गिरफ्तार करने में फेल हो गए। इसका क्या कारण था। इसे बताने की आवश्यकता नही है।

फरार आईपीएस मणिलाल पाटीदार ने लखनऊ कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। महोबा के व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी की मौत के मामले में पुलिस को पाटीदार की तलाश थी। मणिलाल पर एक लाख रुपए का इनाम घोषित था। महोबा एसपी रहते हुए मणिलाल पर इंद्रकांत वसूली करने के आरोप लगाए थे। इसके चलते उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था।

महोबा में खनन व्यापारी की मौत के मामले में फरार चल रहे IPS पाटीदार ने सरेंडर कर दिया है। बीते दो साल से यूपी पुलिस को IPS अफसर की तलाश थी। पाटीदार पर एक लाख रुपए का इनाम भी घोषित था। अब उसे 14 दिन की ज्यूडिशियल कस्टडी में भेजा गया है।

2014 बैच के आईपीएस अफसर मणिलाल पाटीदार ने शनिवार को लखनऊ की एंटी करप्शन कोर्ट में सरेंडर कर दिया। लगभग दो सालों से फरार चल रहे मणिलाल पाटीदार की बर्खास्तगी के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र को सिफारिश की थी। उनके महोबा एसपी रहने के दौरान खनन व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी ने वसूली के आरोपी लगाए थे। जिसके बाद उसे वसूली के लिए प्रताड़ित किए जाने के आरोप के चलते सस्पेंड भी किया गया था

 

7 सितंबर 2020 को महोबा के करवई थाना इलाके के व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी ने तत्कालीन महोबा एसपी मणिलाल पाटीदार के खिलाफ एक सोशल मीडिया पोस्ट डाली थी।‌‌ जिसमें पाटीदार पर जबरन 6 लाख रुपए मंथली वसूली के लिए प्रताड़ित किए जाने के आरोप लगाए गए। पोस्ट डालने के बाद इंद्रकांत त्रिपाठी को 9 सितंबर 2020 को संदिग्ध परिस्थितियों में गोली लगी थी।14 सितंबर को कानपुर के अस्पताल में निधन हो गया था।

 

घटना में घायल इंद्रकांत को महोबा जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां से कानपुर रेफर किया गया था। कानपुर में इलाज के दौरान 13 सितंबर को इंद्रकांत की मौत हो गई थी। उसकी मौत के बाद परिजनों की तरफ से पाटीदार पर इल्जाम लगाए गए थे। इंद्रकांत के भाई रविकांत त्रिपाठी ने 11 सितंबर 2020 की शाम थाना कबरई में पाटीदार के खिलाफ एफआईआई दर्ज करवाई थी।

इस FIR में तत्कालीन महोबा एसपी मणिलाल पाटीदार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए थे। शिकायत में लिखा गया कि चंद्रकांत त्रिपाठी क्रेशर चलाते हैं। जून, 2020 से एसपी मणिलाल पाटीदार उनसे हर महीने 6 लाख रुपये की रिश्वत की डिमांड कर रहे हैं। लेकिन  रिश्वत देने से इनकार कर दिया गया। इसके बाद एसपी मणिलाल ने अपने सहयोगी पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर चंद्रकांत त्रिपाठी को धमकियां देनी शुरू कर दी।

सीएम ने एसपी पाटीदार को किया था सस्पेंड

इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान लिया और कड़ा रुख दिखाते हुए 9 सितंबर को महोबा के एसपी मणिलाल पाटीदार को सस्पेंड कर दिया। इस मामले में मणिलाल पाटीदार, पूर्व एसओ देवेंद्र शुक्ला सहित 4 नामजद, व अधीनस्थों पर केस दर्ज किया गया है। बता दें, व्यापारी के गले में गोली लगी थी।

हाल ही में खनन को लेकर एक दूसरा मामला जिसमें उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर जिले में एक अपराधी की तलाश में ब्लॉक प्रमुख गुरताज भुल्लर के घर छापे के दौरान ब्लॉक प्रमुख की पत्नी गुरप्रीत कौर को गोली मार दी गई। जिससे गुरप्रीत कौर की मौके पर ही पुलिस की गोली से मौत होने का मामला सामने आ रहा है। वैसे भी यह मामला उत्तर प्रदेश पुलिस की जांबाजी से जुड़ा हुआ है।

भाजपा नेता गुरताज भुल्लर व उसकी मृतक पत्नी गुरप्रीत कौर

इस पर उत्तर प्रदेश पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि मुरादाबाद जिले की पुलिस उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर की जसपुर तहसील में भाजपा के जिला ब्लॉक प्रमुख भाजपा नेता गुरताज भुल्लर के घर में छिपे 50 हजार के इनामी बदमाश जफर जो कि एक खनन माफिया है, को गिरफ्तार करने के लिए उत्तर प्रदेश की एसओजी बिना नंबर की गाड़ियां, बिना वर्दी के पहुंच गई। जहां पर गोलीबारी होने की वजह से पुलिस की गोलियों से भाजपा के नेता भुल्लर की पत्नी की मौत हो गई।

हैरानी की बात तो यह है कि एक लाख के इनामी खनन माफिया जफर को उत्तर प्रदेश पुलिस ने मुठभेड़ कर गिरफ्तार लिया है। उसके पैर में गोली लगने से वह घायल हो गया। एक सिपाही को भी इस मुठभेड़ के दौरान गिर कर  घायल हो गया था। दोनों का इलाज चल रहा है।

डीआईजी शलभ माथुर ने बताया कि जफर की तलाश में पुलिस टीमें जुटी थी। शनिवार सुबह करीब पांच बजे जफर बाइक से पाकबड़ा अगवानपुर बाईपास से होते हुए अमरोहा की ओर भाग रहा था। इसी दौरान पाकबड़ा समेत अन्य थानों की पुलिस ने उसे कैलसा रोड के पास पकड़ने की कोशिश की। उसने पुलिस टीम पर फायरिंग कर दी।

इसके बाद पुलिस ने जवाबी फायरिंग की। एक गोली जफर के पैर में लगी। इसके बाद वह बाइक समेत सड़क पर गिर गया। इसी दौरान दौड़-भाग में सिपाही संदीप भी सड़क पर गिरकर घायल हो गया। घायल जफर और सिपाही संदीप को तुरंत जिला अस्पताल भिजवा दिया। पुलिस अफसरों ने भी घटनास्थल का निरीक्षण किया और फोरेंसिक टीम ने मौके से नमूने लिए हैं।

अब आप स्वयं समझ लिजिए कि पुलिस की ये कहानी भी परम्परागत तथ्यों से परे नही है। एनकाउंटर में सदाबहार और पुराने स्टाईल से निशाना सटीक जगह पर ही लगा है

दूसरे उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड तक बखेड़ा खड़ा करवाने के बाद एक लाख का इनामी हो चुका बदमाश जफर अपने पैर में गोली लगवाने के लिए मुरादाबाद के पाकबड़ा अगवानपुर तक मोटरसाइकिल से आ गया। पुलिस की यह टेक्निक मीडिया समर्थन के चलते  हमेशा सुर्खियों में रहने के बावजूद भी स्थाई और कामयाब बनी हुई है

यहां एक बात साफ है कि जफर तब तक भागता रहा जब तक उसे सत्ता में बैठे आकाओं द्वारा पुलिस से गोली लगवाने का आदेश नही मिला।

उत्तराखंड में भाजपा नेता गुरताज भुल्लर की पत्नी गुरप्रीत सिंह की मौत और उत्तर प्रदेश पुलिस की मरम्मत के बाद भाजपा के छुटभैय्ए अपने आप को बचाने की जद्दोजहद में फंसे होने के चलते जफर को बचाने की कोशिश छोड़कर  अब पुलिस के पीछे खड़े हैं

जो लोग पहले पुलिस के सामने खड़े होकर जफर को बचाने में लगे थे वे अब पुलिस के पीछे खड़े होकर अपने आप को बचाने के लिए गिड़गिड़ाने को मजबूर हो गए हैं।

इस बखेड़े में शामिल सभी को जेल जाना है। कोई सिम्पैथी नही मिलेगी। पुलिस उत्तर प्रदेश की हो या उत्तराखंड की सब की फेरेंसिक जांच एक साथ कदम ताल करेंगी। जफर के बखेड़े से नसीहत लेकर इनाम घोषित होने से पहले ही जेल का रास्ता तय कर लें तो ही बेहतर विकल्प होगा। राजनीति जेल से रिहा होकर की जाएगी तो अच्छी चमकेगी। वरना पुलिस का निशाना और मुठभेड़ की कहानी तो सदाबहार है। पुलिस का एक तमंचा और एक खोखा और एक जिंदा कारतूस हमेशा तैयार ही रहते हैं जिससे दो मुकदमे व्यर्थ ही बढ़ जाते हैं। जो देश के न्यायालयों तक का समय बर्बाद करते हैं

तीसरा मामला उत्तर प्रदेश के बांदा जिले से लगातार सुर्खियों में बना हुआ है जहां पर बांदा पुलिस के नरैनी क्षेत्राधिकारी नितिन कुमार सारंग का खनन माफिया पर इतना खुला आशीर्वाद है कि नंगेपन के सारे रिकॉर्ड तोड दिए गए हैं। नरैनी क्षेत्राधिकारी नितिन कुमार सारंग ने खनन माफिया को संरक्षण देते हुए अवैध खनन व ओवर लोडिंग वाहनों की कवरेज कर खबर तैयार करने वाले 7 पत्रकारों को उस समय गिरफ्तार करके जेल भेज दिया जब वे क्षेत्राधिकारी नितिन कुमार सारंग से अवैध खनन और ओवर लोडिंग वाहनों के बारे में पुलिस अधिकारी का वर्जन लेने उसके पास पहुंचे थे तो क्षेत्राधिकारी नितिन कुमार सारंग ने पत्रकारों के साथ मारपीट कर उनके कैमरे व मोबाइल फोन से सभी डाटा डिलीट करवा कर पत्रकारों से 35 सौ रुपए बरामद दिखाते हुए रंगदारी वसूलने के आरोप में रिपोर्ट दर्ज कर जेल भेज दिया।

पत्रकारों को खनन व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी और IPS मणिलाल पाटीदार मोहबा के पुलिस अधीक्षक के दो साल से चले आ रहे मामले की गंभीरता को समझते हुए व हाल ही में मुरादाबाद जिले की पुलिस उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर की जसपुर तहसील में भाजपा के जिला ब्लॉक प्रमुख भाजपा नेता गुरताज भुल्लर के घर में छिपे 50 हजार के इनामी बदमाश जफर जो कि एक खनन माफिया बताया जा रहा है। जिसके कारण गुरताज भुल्लर की पत्नी  गुरप्रीत कौर की पुलिस की गोली से मौके पर ही मौत हो गई। अन्त में जफर को भी मुठभेड़ कर बाबा योगी आदित्यनाथ की जांबाज पुलिस ने गिरफ्तारी कर लिया।

अब पत्रकारों को इतना तो समझ ही लेना चाहिए कि खनन माफियाओं को वर्तमान सत्ताधारी दल के नेताओं का आशीर्वाद नीचे से ऊपर तक होने के साथ-साथ पुलिस-प्रशासन का समर्थन बखुबी प्राप्त होता है। क्योंकि खनन के धंधे में करोड़ों रुपए की कमाई होती है। जिसमें सब के हिस्से होते हैं। उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड तो जो गोलियां बरस रही है ये पत्रकारों को कुछ संदेश दे रही हैं।

यहां यह भी समझ लीजिए कि दोनों घटनाओं में खनन व्यापारी और उसके सहयोगी अपनी वास्तविक स्थिति का सही से मूल्याकंन नही कर पाएं जिसके कारण एक मामले में खुद खनन व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी की मौत हो गई तो हाल के मामले में भाजपा नेता गुरताज भुल्लर की पत्नी गुरप्रीत कौर की मौत पुलिस की गोली से होने की बात सब के सामने है

अब यहां दूसरी बात यह है कि एक तरफ एक लाख का इनामी अपराधी पुलिस का आईपीएस अधिकारी है जो 2 साल बाद अपनी मर्जी से न्यायालय में सिरेंडर करता है तो दूसरी ओर एक 50 हजार का इनामी जो एक दिन में ही 50 हजार से एक लाख का इनामी घोषित कर अगले ही दिन पुलिस मुठभेड़ में टांग में गोली लगने के बाद गिरफ्तार दिखाया दिया जाता है।

अब आप इसे राजनीतिक आशीर्वाद समझने की भुल मत करना कि एक लाख का इनामी जफर जिंदा गिरफ्तार दिखाया गया है। यह तो मामलें की पेचीदगियों के कारण है क्योंकि उत्तर प्रदेश पुलिस की जांबाजी की सारी कहानियां जफर के मुंह से ही कबूल (Confess) करवा कर सुनवाई जानी बाकी हैं। मौत के लिए तो मौके बहुत हैं। अभी कहानी बाकी है।

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