उत्तरप्रदेश

मुझे गर्व है कि मैं मीडिया मैनेजमेंट का हिस्सा नही हूं। मैंने जेल जाने का रास्ता चुना है ~ संजय भाटी

हिन्दू-मुस्लिम, गौमाता और राम के नाम पर वोट देकर सरकार से कुछ भी उम्मीद करना हमारे पागलपन को दर्शाता है

 

सुप्रीम न्यूज। दिनांक 01/10/2022। प्रस्तुतकर्ता मधु चमारी।

सुशील सुशील जी, आपने लोनी विधायक नन्द किशोर को लेकर अपने क्षेत्र की एक सड़क के टूट कर गड्ढों में तब्दील होने और उस पर पानी भर जाने से रास्ते की खस्ताहाल स्थिति को बयां करते विडियो के साथ एक ट्वीट किया है। आपके द्वारा ट्विटर पर शेयर की गई वीडियो भले ही आपके एक गांव या कस्बे की एक सड़क की है। लेकिन इस विडियो को देखते ही हमारे जहन में तमाम उत्तर प्रदेश की टूटी-फूटी सड़कों का पूरा परिदृश्य एकाएक आने लगा। पूरे के पूरे उत्तर प्रदेश की सड़कों और गांवों के रास्तों की हालत खस्ताहाल है। अहम सवाल यह है कि ऐसा क्यों है?

 

हम आपको और अपने पाठकों को बता दें कि जो हालात आपके गांव की सड़क के हैं यही हालत उत्तर प्रदेश के अधिकांश गांवों और कस्बों की सड़कों के हैं।

सुशील जी, हम आपको और आपके माध्यम से अपने पाठकों और उत्तर प्रदेश की जनता के साथ-साथ देश भर की आम जनता को बताना चाहते हैं कि हम सब ने या ये कहें कि हम में से अधिकांश ने सरकार सड़कें बनाने के लिए चुनी ही नही थी। सरकार तो हम ने हिन्दू-मुस्लिम, राम और गौमाता के नाम पर चुनी थी। अब गांव की सड़कों की मरम्मत या फिर उन्हें बनवाने की मांग करना हमारे पागलपन के सिवाय और कुछ भी तो नही है।

 

सुशील जी, यहां पर हमारा आपसे सवाल है कि भाजपा के लोनी विधायक की तो बात ही छोड़ दो। भाजपा के दूसरे विधायक जो हम में से अधिकांश ने हिंदू मुस्लिम, राम और गाय के नाम पर चुने थे। बस यह बता दो कि क्या उन्होंने अब चुनावी जीतने के बाद उनका नाम लेना छोड़ दिया? यदि वह अभी भी उनका नाम लेते हैं।

 

हमारा कहना यह है कि यदि वह आज भी गौ माता, गौ माता चिल्लाते हैं। हिंदू मुस्लिम, हिंदू मुस्लिम चिल्लाते हैं। वह जाति धर्म की बात करते हैं तो समझ लीजिए कि आपके दिए हुए एक एक वोट की कीमत वे चुकता कर रहे हैं। जब हमने भाजपा को वोट दिया था तो क्या हम ने किसी और मुद्दे के बारे में एक बार भी सोचा था। नही सोचा। बिल्कुल भी नही सोचा। एक बार भी नही सोचा।

सुशील जी, भाजपा को वोट देने का काम हमने केवल एक बार नही किया। यदि ये काम हमने केवल एक बार किया होता तो हम यह भी मान सकते थे कि भाजपा को पहचानने में हम से गलती हो गई। हमने भाजपा को न केवल राष्ट्रीय स्तर पर, मेरा मतलब है कि देश की केंद्र सरकार बनाने के लिए बहुमत दूसरी बार भी दे दिया। यही सब हम ने अपने उत्तर प्रदेश में भी किया। उत्तर प्रदेश में भी दूसरी बात पूर्ण बहुमत दिया।

अब हमारा सवाल यह है कि हम मान भी लें कि एक बार हमने गलती से भाजपा को बहुमत दे दिया लेकिन दूसरी बार न केवल केंद्र सरकार बल्कि उत्तर प्रदेश सहित दूसरे अन्य प्रदेशों में भी हम भाजपा को बहुमत देते आ रहे हैं। इसका सीधा मतलब यह है कि हमारी खुद की सोच भी हिंदू मुस्लिम, गाय-बैल और धार्मिक उन्मादों तक ही सीमित है।

 

 

अब हम सब कह देना चाहते हैं कि इसके बाद यदि भारत का कोई भी नागरिक भले ही पत्रकार वकील या राजनीति में हो या तो वे यह स्वीकार करें कि उसने भाजपा को दूसरी बार वोट नहीं दिया था। पहली गलती के लिए माफी एक आम बात है लेकिन वही गलती जब दूसरी बार की जाती है तो हमारे समाज और यहां तक कि देश दुनिया के कानूनों में भी उसके लिए माफी नहीं होती है। दूसरी गलती के लिए तो सजा होती है। वह भी सख्त सजा होती है। जिसके लिए सजा भुगतना ही एक अंतिम ईलाज होता है। बस हम यही कहना चाहते हैं कि आप पूरी सजा काटो और सजा काटते वक्त प्रायश्चित करो।

हमारे द्वारा दो बार हुई भूल के सुधार का मौका यदि हम चाहे तो आज और अभी से ही शुरू किया सकता है। बीमारी ज्यादा बढ़ गई है। ईलाज के दौरान आपको जेल भी जाना पड़ेगा। इसलिए ये तय है कि इसके इलाज के लिए हमें ज्यादा संघर्ष करना होगा।

 

“यहां एक पत्रकार होने के नाते ज्यादा संघर्ष से हमारा सीधा मतलब यह है कि हमें पत्रकारिता के माध्यम से भ्रष्टाचार में लिप्त नेताओं और पुलिस प्रशासन के भ्रष्टाचार, तानाशाही और गैर-कानूनी गतिविधियों को बेनकाब कर उनके भ्रष्टाचार की कड़ियों को खोलते हुए जन-जन तक पहुंचाना होगा। दलाली और आम चूसने का चस्का छोड़ना पड़ेगा। आम आदमी का खून चूसने की आदत छोड़नी पड़ेगी। जेल जाने के लिए तैयार रहना होगा” ~ संजय भाटी

 

 

 

 

यह काम आसान नहीं है इसके लिए हमें फर्जी मुकदमों से लेकर जेल जाने तक के लिए तैयार रहना होगा। संविधानिक और कानूनी संस्थानों की ओर बढ़ते हुए आम जन के साथ मिलकर काम करना होगा। यदि आप जेल जाने को तैयार नहीं है तो कभी भी किसी रास्ते या दूसरे भ्रष्टाचार या समस्याओं के बारे में उंगली उठाने की सोच भी मत रखना। फिर आपके लिए आपके पास एक ही अंतिम विकल्प है।

आप अपनी जाति-धर्म और अपनी आस्था के हिसाब से ईश्वर, अल्लाह, राम, जीसस या जो भी आपके इष्ट देव हों। आप उनकी शरण में जा कर उनके चरणों में समर्पित होकर अपनी दिन बोहरने के लिए अर्जी दाखिल करते रहें। हो सकता है वे कोई चमत्कार कर दें। 

 

(मधु चमारी संपादक दैनिक सुप्रीम न्यूज)

 

 

 

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